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Electricity Department : अब स्मार्ट मीटरों की तेज रफ्तार को जांचेंगे पुराने चेक मीटर, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने लगाई मुहर

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि जो पांच फीसद चेक मीटर स्थापित (Electricity Department) होंगे वह साधारण मीटर होंगे, वहीं उपभोक्ता परिषद ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव से कम से कम 25 प्रतिशत चेक मीटर लगाने की मांग की थी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 29, 2023, 6:04 PM IST

लखनऊ : स्मार्ट मीटर को लेकर लगातार उपभोक्ता शिकायत करते रहते हैं कि यह मीटर तेजी से भागता है जिससे बिल काफी ज्यादा आता है, साथ ही स्मार्ट मीटर की तकनीक को लेकर भी सवाल खड़े होते रहे हैं. इस तरह की शिकायतों को लेकर पिछले दिनों केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से एक टीम भी स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं की समस्याओं को समझकर गई है. अब इसका असर भी दिखने लगा है. अब जिस उपभोक्ता के परिसर पर मीटर लगा होगा और उसे लग रहा है कि यह तेज चल रहा है तो पुराने मीटर को ही चेक मीटर माना जाएगा. इस चेक मीटर से ही स्मार्ट मीटर की रफ्तार की जांच होगी. तीन माह तक यह चेक मीटर परिसर पर लगा रहेगा और इसका परिणाम आने पर ही स्मार्ट मीटर और चेक मीटर की स्पीड में अंतर निकाला जाएगा. अगर गड़बड़ी मिलती है तो उपभोक्ता को राहत दी जाएगी.



केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने अभी बिजली कंपनियों के लिए यह आदेश जारी किया है कि वर्तमान में जो भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ता के परिसर पर लगाए जाएंगे उसमें से अनिवार्य रूप से पांच फीसद उपभोक्ताओं के परिसर पर जो साधारण मीटर लगे हैं उनको चेक मीटर मानकर उसके समानांतर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगेगा. तीन महीने तक उसकी रीडिंग का मिलान किया जाएगा. कहने का मतलब है कि उपभोक्ताओं के परिसर पर जो साधारण मीटर लगा है जिस पर उपभोक्ताओं को विश्वास है उसी को चेक मीटर मानकर स्मार्ट मीटर की जांच होगी. प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर जिन उपभोक्ताओं की शिकायत होगी, उनके परिसर पर सबसे पहले नि:शुल्क चेक मीटर लगेगा.

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने लगाई मुहर
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने लगाई मुहर

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने यह भी निर्णय लिया है कि जो पांच फीसद चेक मीटर स्थापित होंगे वह साधारण मीटर होंगे और उसका कोई भी खर्च उपभोक्ताओं को नहीं देना होगा, हालांकि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के इस निर्णय पर उपभोक्ता परिषद ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव से कम से कम 25 प्रतिशत चेक मीटर लगाने की मांग की थी. अब फिर से उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल को प्रस्ताव भेजा है. प्रस्ताव में कहा है कि उत्तर प्रदेश के मामले में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय पांच प्रतिशत की सीमा को बढ़ाकर 25 प्रतिशत करें. उत्तर प्रदेश में एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड की तरफ से जो 12 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए थे उसका अनुभव प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के हित में नहीं रहा है, इसलिए कम से कम 25 फीसद विद्युत उपभोक्ताओं के घर में जो साधारण मीटर लगे हैं उसी के समानांतर स्मार्ट मीटर लगाया जाए.



उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 'केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने अपने सभी मुख्य अभियंताओं के लिए आदेश जारी कर दिया है कि आगे जो भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगे उस पर अनिवार्य रूप से पांच फीसद चेक मीटर नि:शुल्क साधारण मीटर को माना जाए. उसके आधार पर तीन माह रीडिंग का मिलान किया किया जाए और वह भी मुफ्त में.'

यह भी पढ़ें : बिजली कड़कने से बंद हो गए हजारों स्मार्ट मीटर, उपभोक्ताओं ने लगाया संगीन आरोप

यह भी पढ़ें : स्मार्ट मीटर की शिकायतों की जानकारी जुटाएगा केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय, राज्यों में भेजी गई टीम उपभोक्ताओं से लेगी राय

लखनऊ : स्मार्ट मीटर को लेकर लगातार उपभोक्ता शिकायत करते रहते हैं कि यह मीटर तेजी से भागता है जिससे बिल काफी ज्यादा आता है, साथ ही स्मार्ट मीटर की तकनीक को लेकर भी सवाल खड़े होते रहे हैं. इस तरह की शिकायतों को लेकर पिछले दिनों केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से एक टीम भी स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं की समस्याओं को समझकर गई है. अब इसका असर भी दिखने लगा है. अब जिस उपभोक्ता के परिसर पर मीटर लगा होगा और उसे लग रहा है कि यह तेज चल रहा है तो पुराने मीटर को ही चेक मीटर माना जाएगा. इस चेक मीटर से ही स्मार्ट मीटर की रफ्तार की जांच होगी. तीन माह तक यह चेक मीटर परिसर पर लगा रहेगा और इसका परिणाम आने पर ही स्मार्ट मीटर और चेक मीटर की स्पीड में अंतर निकाला जाएगा. अगर गड़बड़ी मिलती है तो उपभोक्ता को राहत दी जाएगी.



केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने अभी बिजली कंपनियों के लिए यह आदेश जारी किया है कि वर्तमान में जो भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ता के परिसर पर लगाए जाएंगे उसमें से अनिवार्य रूप से पांच फीसद उपभोक्ताओं के परिसर पर जो साधारण मीटर लगे हैं उनको चेक मीटर मानकर उसके समानांतर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगेगा. तीन महीने तक उसकी रीडिंग का मिलान किया जाएगा. कहने का मतलब है कि उपभोक्ताओं के परिसर पर जो साधारण मीटर लगा है जिस पर उपभोक्ताओं को विश्वास है उसी को चेक मीटर मानकर स्मार्ट मीटर की जांच होगी. प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर जिन उपभोक्ताओं की शिकायत होगी, उनके परिसर पर सबसे पहले नि:शुल्क चेक मीटर लगेगा.

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने लगाई मुहर
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने लगाई मुहर

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने यह भी निर्णय लिया है कि जो पांच फीसद चेक मीटर स्थापित होंगे वह साधारण मीटर होंगे और उसका कोई भी खर्च उपभोक्ताओं को नहीं देना होगा, हालांकि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के इस निर्णय पर उपभोक्ता परिषद ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव से कम से कम 25 प्रतिशत चेक मीटर लगाने की मांग की थी. अब फिर से उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल को प्रस्ताव भेजा है. प्रस्ताव में कहा है कि उत्तर प्रदेश के मामले में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय पांच प्रतिशत की सीमा को बढ़ाकर 25 प्रतिशत करें. उत्तर प्रदेश में एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड की तरफ से जो 12 लाख स्मार्ट मीटर लगाए गए थे उसका अनुभव प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के हित में नहीं रहा है, इसलिए कम से कम 25 फीसद विद्युत उपभोक्ताओं के घर में जो साधारण मीटर लगे हैं उसी के समानांतर स्मार्ट मीटर लगाया जाए.



उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 'केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने अपने सभी मुख्य अभियंताओं के लिए आदेश जारी कर दिया है कि आगे जो भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगे उस पर अनिवार्य रूप से पांच फीसद चेक मीटर नि:शुल्क साधारण मीटर को माना जाए. उसके आधार पर तीन माह रीडिंग का मिलान किया किया जाए और वह भी मुफ्त में.'

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