लखनऊ: 18 से 24 अप्रैल के बीच परिवहन विभाग की तरफ से चौथा सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है. इसके तहत हर दिन विभिन्न तरह के जागरूकता और चेकिंग अभियान चलाए जा रहे हैं. शनिवार को परिवहन विभाग के अधिकारी सड़क पर उतरे और प्रदूषण जांच केंद्रों की चेकिंग की. जांच केंद्र तो सही पाए गए लेकिन सड़क पर वायु प्रदूषण फैलाने वाले दो दर्जन से ज्यादा वाहन अधिकारियों के हत्थे चढ़े जिनका चालान काटा गया.
एआरटीओ (प्रवर्तन) अंकिता शुक्ला ने बताया कि शहर के विभिन्न स्थानों पर खुले प्रदूषण जांच केंद्रों की परिवहन विभाग की प्रवर्तन टीम ने मौके पर जाकर जांच की. ज्यादातर प्रदूषण जांच केंद्र मानकों के अनुरूप संचालित पाए गए. बावजूद इसके सभी प्रदूषण जांच केंद्रों को निर्देश दिए गए हैं कि वह मानक के अनुरूप ही अपने जांच केंद्रों को संचालित करें. मानकों का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई होगी.
सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रवर्तन) अंकिता शुक्ला ने यह भी बताया कि लखनऊ के विभिन्न क्षेत्रों में सहायक संभागीय परिवहन अधिकारियों और यात्री कर अधिकारियों ने प्रदूषण के अभियोग में सघन प्रवर्तन अभियान भी चलाया. इसके तहत वायु प्रदूषण फैलाने वाले 26 वाहनों को पकड़ा गया. इन सभी का चालान काटा गया है. इसके अलावा सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी और यात्री मालकर अधिकारियों ने अनाधिकृत रूप से संचालित वाहनों के खिलाफ भी अभियान चलाया. इसके तहत कुल 32 वाहनों के खिलाफ एक्शन लिया गया. कई वाहनों का चालान किया गया तो कुछ को सीज करने की कार्रवाई की गई.
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वहीं, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) अखिलेश द्विवेदी ने राजधानी के सभी स्कूलों को प्रपत्र जारी किया है. कहा कि सभी विद्यालय प्रबंधन को यह निर्देश दिया गया है कि वह अपने स्कूली वाहनों/अनुबंधित वाहनों को तकनीकी रूप से फिट रखना सुनिश्चित करें. वाहन संबंधित सभी प्रपत्र को वैध रखें. सभी विद्यालय प्रबंधन वाहन चालकों का चरित्र सत्यापन संबंधित थाने से कराएं. उनके ड्राइविंग लाइसेंस की जांच भी कर लें. प्रपत्र वैध ना होने की स्थिति में वाहन का संचालन किसी भी दशा में नहीं होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि अनफिट और प्रपत्र वैध न होने पर वाहनों द्वारा कोई भी दुर्घटना होने की स्थिति में उत्तरदायित्व विद्यालय प्रबंधन का होगा. ऐसी स्थिति में उनके खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा. उन्होंने अभिभावकों से भी अनुरोध किया कि स्कूली वाहनों की भौतिक और तकनीकी दशा ठीक होने और वाहन के प्रपत्र वैध होने की स्थिति में ही अपने बच्चे को उस वाहन से विद्यालय भेजें.
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