लखनऊ : गोरखपुर से लखनऊ के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस की सवारी लोगों को पसंद आने लगी है. यही वजह है कि ट्रेन की ऑक्युपेंसी (यात्रियों की संख्या) जहां पहले 40% थी, वहीं अब बढ़कर 89% हो गई है. इससे रेलवे की आय में तेजी से वृद्धि हुई है. यात्रियों की संख्या में किराया कम होने के बाद और भी बढ़ोतरी होगी. हालांकि लखनऊ से गोरखपुर के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस अधिकारियों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पा रही है. इसके लिए अधिकारी अब अयोध्या में रामलला के मंदिर के उद्घाटन का इंतजार कर रहे हैं. अधिकारी उम्मीद जता रहे हैं कि जब भगवान राम के मंदिर का शुभारंभ हो जाएगा तो लखनऊ से गोरखपुर के बीच रवाना होने वाली ट्रेन को भी भरपूर सवारी मिलेंगी.
लखनऊ से गोरखपुर के बीच कम मिल रहे यात्री : वंदे भारत एक्सप्रेस लखनऊ से गोरखपुर के बीच सप्ताह में छह दिन संचालित होती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ट्रेन को गोरखपुर में सात जुलाई को हरी झंडी दिखाई थी. नौ जुलाई से इस ट्रेन का कमर्शियल रन शुरू हुआ था. शुरुआत में यात्रियों की संख्या ज्यादा किराए के चलते कम रही थी लेकिन धीरे-धीरे वंदे भारत पटरी पर तेजी से दौड़नी शुरू हो गई है. यात्री भी पहले की तुलना में ज्यादा मिलने लगे हैं. गोरखपुर से लखनऊ के बीच यात्रियों की संख्या इस ट्रेन में अच्छी खासी रहती है, लेकिन लखनऊ से गोरखपुर के लिए रवाना होने पर ट्रेन में मनमाफिक यात्री नहीं मिल पा रहे हैं. इसके लिए रेलवे के अधिकारी जद्दोजहद कर रहे हैं.
आंकड़ों से जानिए यात्रियों की संख्या : आंकड़ों पर गौर किया जाए तो गोरखपुर से लखनऊ आने के दौरान ट्रेन में यात्रियों की संख्या ज्यादा रहती है जबकि लखनऊ से गोरखपुर के लिए रवाना होने के दौरान यात्रियों की संख्या में अभी उम्मीद के मुताबिक नहीं हो पा रही है. रेलवे प्रशासन के आंकड़ों पर गौर करें तो लखनऊ से गोरखपुर की तरफ रवाना होने वाली 22550 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की चेयरकार की 478 सीटों और एग्जीक्यूटिव क्लास के 52 सीटों को मिलाकर कुल 530 सीटों में से चेयरकार के 232 यात्री ट्रेन में सीट बुक किए थे, वही एग्जीक्यूटिव क्लास की 52 सीटों में से 27 सीटों के टिकट बुक हुए थे. कुल मिलाकर 530 सीटों में से 259 सीटें भरी थीं. ट्रेन की कमाई की अगर बात की जाए तो एक दिन में ₹2,45,288 की कमाई रेलवे की हुई थी. इसी ट्रेन की बात की जाए तो गोरखपुर से लखनऊ के बीच संचालित होने वाली ट्रेन संख्या 22549 वंदे भारत एक्सप्रेस 18 जुलाई को चेयरकार की 478 सीटों में से 351 सीट बुक हुईं. एग्जीक्यूटिव क्लास की 52 सीटों में 20 सीटें बुक हुई. कुल 530 सीटों में 371 सीटें भरी थीं. कुल मिलाकर इस ट्रेन की कमाई देखी जाए तो 2,93,569 हुई. 70 फीसद ऑक्युपेंसी रही.
उत्तर रेलवे प्रशासन की तरफ से नौ जुलाई से 25 जुलाई के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का जो डाटा सामने आया है उसके मुताबिक 22549 गोरखपुर से लखनऊ में चेयर कार की ऑक्यूपेंसी 88 फीसद जबकि एग्जीक्यूटिव क्लास की 69 फीसद रही. यानी कुल ऑक्यूपेंसी 87 फीसद रही, जबकि 22550 लखनऊ से गोरखपुर के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की चेयरकार की ऑक्यूपेंसी 60 और एग्जीक्यूटिव क्लास की ऑक्यूपेंसी 49 फीसद रही. कुल मिलाकर इस ट्रेन की लखनऊ से गोरखपुर के बीच ऑक्यूपेंसी 59 फीसद है. सीधा सा अर्थ है कि लखनऊ से गोरखपुर के बीच इस ट्रेन को काफी संख्या में यात्री नहीं मिल रहे हैं, जबकि गोरखपुर से लखनऊ की तरफ आने वाली ट्रेन में यात्रियों की संख्या काफी है.
रेलवे प्रशासन कर रहा जनवरी का इंतजार : उत्तर रेलवे के अधिकारियों को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के सफल होने की पूरी उम्मीद है. इसकी वजह है कि जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होना है. राम मंदिर के उद्घाटन के बाद गोरखपुर से अयोध्या तक इस ट्रेन के पूरी तरह भरकर चलने की उम्मीद अधिकारी जता रहे हैं, वहीं लखनऊ से अयोध्या के बीच भी इस ट्रेन को काफी सवारी मिलेंगी और इसकी दशा भी सुधर जाएगी, ऐसी भी उम्मीद रेलवे के अधिकारी जता रहे हैं.
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