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लविवि में अब पीएचडी से जुड़े सभी काम होंगे ऑनलाइन, जानिए क्या है तैयारी

लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन पीएचडी थीसिस से संबंधित कार्यों को ऑनलाइन रिसर्च पोर्टल के जरिए करने की तैयारी कर रहा है.

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Published : Jun 24, 2023, 7:30 AM IST

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लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय ने पीएचडी से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं को ऑनलाइन करने की तैयारी शुरू कर दी है. विश्वविद्यालय प्रशासन पीएचडी थीसिस से संबंधित सभी कार्यों को ऑनलाइन रिसर्च पोर्टल के जरिए करने की तैयारी कर रहा है. इस पोर्टल पर छात्रों के पीएचडी थीसिस सबमिट करने से लेकर मूल्यांकन व मौखिक परीक्षा तक का काम आसानी से और बहुत तेजी से किया जा सकेगा. विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि 'संशोधित पीएचडी अध्यादेश के तहत रिसर्च पोर्टल बनाया जाएगा. इस पर पीएचडी से जुडे़ सभी काम ऑनलाइन ही होंगे.

संशोधित अध्यादेश के मुताबिक, विश्वविद्यालय प्रशासन ने शोधार्थियों को राहत प्रदान की है. इसके तहत पीएचडी कर रहे शोधार्थी अपना रिसर्च वर्क पूरा होने के बाद पोर्टल पर अपनी थीसिस अपलोड कर सकेंगे. नए अध्यादेश के मुताबिक, थीसिस के अपलोड होने के बाद एक विदेशी परीक्षक एक अन्य परीक्षक (जो किसी कॉलेज या विश्वविद्यालय से हो सकता है) इस चीज का मूल्यांकन किया जाएगा. इसके बाद शोधार्थी थीसिस में हुए अपडेट को ऑनलाइन ही पोर्टल पर देख सकेंगे.


अधिष्ठाता अकादमिक प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि 'विश्वविद्यालय प्रशासन पीएचडी की पूरी प्रक्रिया को अब पेपर लेस और टाइम बाउंड पीएचडी कराने की तैयारी कर रहा है. इस नियम के लागू होने से पीएचडी कर रहे शोधार्थियों को काफी लाभ मिलेगा. पूरी प्रक्रिया के पेपर लेस हो जाने से पीएचडी होने से थीसिस जमा करने में खर्च होने वाले रुपये बचेंगे. प्रो. टंडन ने बताया कि शोधार्थी को पीएचडी की शॉफ्ट कॉपी रिसर्च पोर्टल पर अपलोड करनी होगी. इसी पोर्टल से गाइड व अन्य संबंधित लोगों को थीसिस की कॉपी भेज दी जाएगी. जिससे शोधार्थियों को बार-बार विश्वविद्यालय में भटकना नहीं पड़ेगा.'

6 महीने की अवधि में पूरे होंगे सभी कार्य : उन्होंने बताया कि 'इसके अलावा ऑनलाइन रिसर्च पोर्टल पर थीसिस जमा करने से लेकर मूल्यांकन और मौखिक परीक्षा तक की पूरी प्रक्रिया को अधिकतम 6 महीने के अंदर पूरा करा लिया जाएगा. प्रो. पूनम टंडन का कहना है कि संशोधित पीएचडी अध्यादेश में थीसिस का मूल्यांकन करने के लिए भारत के एक परीक्षक और एक विदेशी परीक्षक को भी रखना होगा. मूल्यांकन भी ऑनलाइन ही किया जाएगा. इसकी रिपोर्ट भी ऑनलाइन भेजी जाएगी.'

इंस्टीट्यूशनल मेम्बरशिप दी गई : लखनऊ विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी एवं तकनीकी संकाय को इंस्टीट्यूशन आफ इंजीनियर्स इंडिया की इंस्टीट्यूशनल मेम्बरशिप दी गयी. इंस्टिट्यूशन आफ इंजीनियर्स की सदस्यता मिलने से अभियांत्रिकी व तकनीकी संकाय के सदस्य, छात्र, शिक्षक, तकनीकी संवर्ग के सदस्यों को इंजीनियरिंग के विश्व स्तरीय शोध जर्नल को नि:शुल्क पढ़ सकेंगे. साथ ही इसके जर्नल्स में अपने शोध प्रकाशित कर सकते हैं. इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर के सदस्य देशभर में बने गेस्ट हाउस, शैक्षिक गतिविधियों के दौरान प्रयोग कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें : यूपी में 11 IPS ट्रांसफर : अयोध्या, बलिया समेत चार जिलों के कप्तान बदले, DIG रैंक के अफसर भी इधर-उधर

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय ने पीएचडी से जुड़ी सभी प्रक्रियाओं को ऑनलाइन करने की तैयारी शुरू कर दी है. विश्वविद्यालय प्रशासन पीएचडी थीसिस से संबंधित सभी कार्यों को ऑनलाइन रिसर्च पोर्टल के जरिए करने की तैयारी कर रहा है. इस पोर्टल पर छात्रों के पीएचडी थीसिस सबमिट करने से लेकर मूल्यांकन व मौखिक परीक्षा तक का काम आसानी से और बहुत तेजी से किया जा सकेगा. विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि 'संशोधित पीएचडी अध्यादेश के तहत रिसर्च पोर्टल बनाया जाएगा. इस पर पीएचडी से जुडे़ सभी काम ऑनलाइन ही होंगे.

संशोधित अध्यादेश के मुताबिक, विश्वविद्यालय प्रशासन ने शोधार्थियों को राहत प्रदान की है. इसके तहत पीएचडी कर रहे शोधार्थी अपना रिसर्च वर्क पूरा होने के बाद पोर्टल पर अपनी थीसिस अपलोड कर सकेंगे. नए अध्यादेश के मुताबिक, थीसिस के अपलोड होने के बाद एक विदेशी परीक्षक एक अन्य परीक्षक (जो किसी कॉलेज या विश्वविद्यालय से हो सकता है) इस चीज का मूल्यांकन किया जाएगा. इसके बाद शोधार्थी थीसिस में हुए अपडेट को ऑनलाइन ही पोर्टल पर देख सकेंगे.


अधिष्ठाता अकादमिक प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि 'विश्वविद्यालय प्रशासन पीएचडी की पूरी प्रक्रिया को अब पेपर लेस और टाइम बाउंड पीएचडी कराने की तैयारी कर रहा है. इस नियम के लागू होने से पीएचडी कर रहे शोधार्थियों को काफी लाभ मिलेगा. पूरी प्रक्रिया के पेपर लेस हो जाने से पीएचडी होने से थीसिस जमा करने में खर्च होने वाले रुपये बचेंगे. प्रो. टंडन ने बताया कि शोधार्थी को पीएचडी की शॉफ्ट कॉपी रिसर्च पोर्टल पर अपलोड करनी होगी. इसी पोर्टल से गाइड व अन्य संबंधित लोगों को थीसिस की कॉपी भेज दी जाएगी. जिससे शोधार्थियों को बार-बार विश्वविद्यालय में भटकना नहीं पड़ेगा.'

6 महीने की अवधि में पूरे होंगे सभी कार्य : उन्होंने बताया कि 'इसके अलावा ऑनलाइन रिसर्च पोर्टल पर थीसिस जमा करने से लेकर मूल्यांकन और मौखिक परीक्षा तक की पूरी प्रक्रिया को अधिकतम 6 महीने के अंदर पूरा करा लिया जाएगा. प्रो. पूनम टंडन का कहना है कि संशोधित पीएचडी अध्यादेश में थीसिस का मूल्यांकन करने के लिए भारत के एक परीक्षक और एक विदेशी परीक्षक को भी रखना होगा. मूल्यांकन भी ऑनलाइन ही किया जाएगा. इसकी रिपोर्ट भी ऑनलाइन भेजी जाएगी.'

इंस्टीट्यूशनल मेम्बरशिप दी गई : लखनऊ विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी एवं तकनीकी संकाय को इंस्टीट्यूशन आफ इंजीनियर्स इंडिया की इंस्टीट्यूशनल मेम्बरशिप दी गयी. इंस्टिट्यूशन आफ इंजीनियर्स की सदस्यता मिलने से अभियांत्रिकी व तकनीकी संकाय के सदस्य, छात्र, शिक्षक, तकनीकी संवर्ग के सदस्यों को इंजीनियरिंग के विश्व स्तरीय शोध जर्नल को नि:शुल्क पढ़ सकेंगे. साथ ही इसके जर्नल्स में अपने शोध प्रकाशित कर सकते हैं. इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर के सदस्य देशभर में बने गेस्ट हाउस, शैक्षिक गतिविधियों के दौरान प्रयोग कर सकते हैं.

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