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पंचायत चुनाव: प्रदेश भर में लाखों ग्राम पंचायत सदस्य पदों पर नहीं हुए नामांकन - ग्राम पंचायत सदस्य पदों पर नहीं हुए नामांकन

यूपी में इन दिनों पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है. प्रत्याशी वोटरों को नए नए तरीकों से लुभा रहे हैं. वहीं ऐसे में चौकानें वाली बात सामने आई है कि उत्तर प्रदेश में पहले चरण की चुनाव प्रक्रिया में करीब 70,000 ग्राम पंचायत सदस्य पद पर उम्मीदवार तक नहीं मिले. वहीं दूसरे चरण की चुनाव प्रक्रिया में सवा लाख ग्राम पंचायत सदस्य पदों पर उम्मीदवारों ने नामांकन नहीं किया.

पंचायत चुनाव
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Published : Apr 10, 2021, 2:34 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होना है. इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. ऐसे में सामने आया है कि इस चुनाव के द्वारा गांव की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ग्राम पंचायत सदस्य पदों पर लाखों उम्मीदवारों ने नामांकन ही नहीं किया. गांव की सरकार बनाने में और गांव के विकास कार्य में ग्राम पंचायत सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन जागरूकता के अभाव में ग्राम पंचायत सदस्य के लाखों पदों पर नामांकन ही नहीं किए गए. उत्तर प्रदेश में पहले चरण की चुनाव प्रक्रिया में करीब 70,000 ग्राम पंचायत सदस्य पद पर उम्मीदवार तक नहीं मिले. वहीं दूसरे चरण की चुनाव प्रक्रिया में सवा लाख ग्राम पंचायत सदस्य पदों पर उम्मीदवारों ने नामांकन नहीं किया.

जानकारी देते संवाददाता.
समय से नहीं हो पायेगा ग्राम पंचायतों का गठन
अब जिन पंचायतों में सदस्य पद पर उम्मीदवार नहीं मिले हैं तो ऐसे में समय से इन संबंधित ग्राम पंचायतों का गठन नहीं हो पाएगा. एक बार पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जिन ग्राम पंचायतों सदस्य के पदों पर नामांकन नहीं हुए हैंं उन पर राज्य निर्वाचन आयोग के स्तर से ग्राम पंचायतों का गठन नहीं हो पाएगा. वहां पर दोबारा से निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी. जिसमें और भी समय लगेगा.

निर्वाचन आयोग और पंचायती राज विभाग लोगों को नहीं कर पाया जागरूक
राज्य निर्वाचन आयोग हो या उत्तर प्रदेश के पंचायती राज विभाग के स्तर पर पंचायतों में अधिकार और विकास कार्य कराने को लेकर जिन व्यक्तियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, उन्हें जागरूक ही नहीं किया गया. यह बड़ी चौंकाने वाली बात है कि अभी पहले और दूसरे चरण की नामांकन प्रक्रिया पूरी हुई है और लाखों लोगों ने ग्राम पंचायत सदस्य के पदों पर अपने नामांकन ही नहीं किए.


पंचायतों में अधिकार को लेकर लोगों में है जानकारी का अभाव
ऐसे में समझा जा सकता है कि लोग अभी भी पंचायतों में अधिकारों को लेकर जागरूक नहीं हो पाए हैं. यहां सिर्फ कहने के लिए निचले स्तर के चुनाव हो रहे हैं. आयोग और पंचायती राज विभाग गांव की सरकार बनाने को लेकर लोगों को जागरूक करने में विफल साबित हुआ है. इतना ही नहीं ग्राम पंचायत सदस्यों के अधिकार भी इतने सीमित हैं कि उन्हें जानकारी नहीं है कि अगर वह चुनाव जीत भी जाएंगे, तो उनके क्या अधिकार होंगे या जब गांव की सरकार बनेगी और गांव के विकास की बात होगी तो उनके क्या अधिकार होंगे.


उत्तर प्रदेश पंचायत अधिकार मंच के संयोजक कृष्ण पाल सिंह और पंचायत चुनाव से जुड़े जानकार बताते हैं कि ग्राम पंचायत सदस्यों की भूमिका बहुत कम रहती है. गांव के विकास कार्यों को लेकर जब बैठक होती है तो इन ग्राम पंचायत सदस्यों को बुलाया ही नहीं जाता है. जो अपने आप में इस पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है.

इसे भी पढ़ें- पंचायत चुनावः दूसरे चरण के लिए दो लाख 33 हजार अधिक नामांकन

चुनाव के बाद खत्म हो जाती है भूमिका
ग्राम पंचायत सदस्य हो या फिर क्षेत्र पंचायत सदस्य, इन्हें गांव की सरकार बनाने और क्षेत्रीय स्तर पर विकास कार्यों को लेकर नजरअंदाज किया जाता है. जब बैठक होती है उन्हें बुलाया तक नहीं जाता.कई बार यह बात भी सामने आई है कि ग्राम पंचायत सदस्यों को नजरअंदाज कर लोग अपना काम अपने हिसाब से करते रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र पंचायत सदस्यों या जिला पंचायत सदस्यों की बात की जाए तो क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष यानी ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव तक इनकी भूमिका रहती है. ये चुनाव हो जाने के बाद इन्हें कोई पूछता नहीं है.

लाखों ग्राम पंचायत सदस्य पद पर नामांकन न होने से खड़े हुए सवाल
उत्तर प्रदेश में पहले चरण की चुनाव प्रक्रिया में करीब 70,000 ग्राम पंचायत सदस्य पद पर उम्मीदवार तक नहीं मिले. वहीं दूसरे चरण की चुनाव प्रक्रिया में सवा लाख ग्राम पंचायत सदस्य पदों पर उम्मीदवारों ने नामांकन नहीं किया. यह पूरी स्थिति आयोग की चुनाव प्रक्रिया को लेकर बड़े सवाल खड़े करती है. ऐसे में समझा जा सकता है कि गांव की सरकार बनाने में भागीदार होने वाले लोगों को जानकारी नहीं है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होना है. इसके लिए प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. ऐसे में सामने आया है कि इस चुनाव के द्वारा गांव की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ग्राम पंचायत सदस्य पदों पर लाखों उम्मीदवारों ने नामांकन ही नहीं किया. गांव की सरकार बनाने में और गांव के विकास कार्य में ग्राम पंचायत सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन जागरूकता के अभाव में ग्राम पंचायत सदस्य के लाखों पदों पर नामांकन ही नहीं किए गए. उत्तर प्रदेश में पहले चरण की चुनाव प्रक्रिया में करीब 70,000 ग्राम पंचायत सदस्य पद पर उम्मीदवार तक नहीं मिले. वहीं दूसरे चरण की चुनाव प्रक्रिया में सवा लाख ग्राम पंचायत सदस्य पदों पर उम्मीदवारों ने नामांकन नहीं किया.

जानकारी देते संवाददाता.
समय से नहीं हो पायेगा ग्राम पंचायतों का गठन
अब जिन पंचायतों में सदस्य पद पर उम्मीदवार नहीं मिले हैं तो ऐसे में समय से इन संबंधित ग्राम पंचायतों का गठन नहीं हो पाएगा. एक बार पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद जिन ग्राम पंचायतों सदस्य के पदों पर नामांकन नहीं हुए हैंं उन पर राज्य निर्वाचन आयोग के स्तर से ग्राम पंचायतों का गठन नहीं हो पाएगा. वहां पर दोबारा से निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी. जिसमें और भी समय लगेगा.

निर्वाचन आयोग और पंचायती राज विभाग लोगों को नहीं कर पाया जागरूक
राज्य निर्वाचन आयोग हो या उत्तर प्रदेश के पंचायती राज विभाग के स्तर पर पंचायतों में अधिकार और विकास कार्य कराने को लेकर जिन व्यक्तियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, उन्हें जागरूक ही नहीं किया गया. यह बड़ी चौंकाने वाली बात है कि अभी पहले और दूसरे चरण की नामांकन प्रक्रिया पूरी हुई है और लाखों लोगों ने ग्राम पंचायत सदस्य के पदों पर अपने नामांकन ही नहीं किए.


पंचायतों में अधिकार को लेकर लोगों में है जानकारी का अभाव
ऐसे में समझा जा सकता है कि लोग अभी भी पंचायतों में अधिकारों को लेकर जागरूक नहीं हो पाए हैं. यहां सिर्फ कहने के लिए निचले स्तर के चुनाव हो रहे हैं. आयोग और पंचायती राज विभाग गांव की सरकार बनाने को लेकर लोगों को जागरूक करने में विफल साबित हुआ है. इतना ही नहीं ग्राम पंचायत सदस्यों के अधिकार भी इतने सीमित हैं कि उन्हें जानकारी नहीं है कि अगर वह चुनाव जीत भी जाएंगे, तो उनके क्या अधिकार होंगे या जब गांव की सरकार बनेगी और गांव के विकास की बात होगी तो उनके क्या अधिकार होंगे.


उत्तर प्रदेश पंचायत अधिकार मंच के संयोजक कृष्ण पाल सिंह और पंचायत चुनाव से जुड़े जानकार बताते हैं कि ग्राम पंचायत सदस्यों की भूमिका बहुत कम रहती है. गांव के विकास कार्यों को लेकर जब बैठक होती है तो इन ग्राम पंचायत सदस्यों को बुलाया ही नहीं जाता है. जो अपने आप में इस पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है.

इसे भी पढ़ें- पंचायत चुनावः दूसरे चरण के लिए दो लाख 33 हजार अधिक नामांकन

चुनाव के बाद खत्म हो जाती है भूमिका
ग्राम पंचायत सदस्य हो या फिर क्षेत्र पंचायत सदस्य, इन्हें गांव की सरकार बनाने और क्षेत्रीय स्तर पर विकास कार्यों को लेकर नजरअंदाज किया जाता है. जब बैठक होती है उन्हें बुलाया तक नहीं जाता.कई बार यह बात भी सामने आई है कि ग्राम पंचायत सदस्यों को नजरअंदाज कर लोग अपना काम अपने हिसाब से करते रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र पंचायत सदस्यों या जिला पंचायत सदस्यों की बात की जाए तो क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष यानी ब्लाक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव तक इनकी भूमिका रहती है. ये चुनाव हो जाने के बाद इन्हें कोई पूछता नहीं है.

लाखों ग्राम पंचायत सदस्य पद पर नामांकन न होने से खड़े हुए सवाल
उत्तर प्रदेश में पहले चरण की चुनाव प्रक्रिया में करीब 70,000 ग्राम पंचायत सदस्य पद पर उम्मीदवार तक नहीं मिले. वहीं दूसरे चरण की चुनाव प्रक्रिया में सवा लाख ग्राम पंचायत सदस्य पदों पर उम्मीदवारों ने नामांकन नहीं किया. यह पूरी स्थिति आयोग की चुनाव प्रक्रिया को लेकर बड़े सवाल खड़े करती है. ऐसे में समझा जा सकता है कि गांव की सरकार बनाने में भागीदार होने वाले लोगों को जानकारी नहीं है.

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