लखनऊ: प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार प्रदेश सरकार कार्य कर रही है. यही कारण है कि इन दिनों स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक काफी एक्टिव हैं और चिकित्सा क्षेत्र में लापरवाही बरत रहे कर्मचारियों व डॉक्टरों पर नकेल कसने का काम कर रहे हैं. वहीं प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार सुधार जारी है. मरीजों को निशुल्क इलाज मुहैया कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है.
लखनऊ में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक (Deputy CM Brajesh Pathak) ने यह निर्देश दिया है कि सरकारी अस्पतालों के सामने निजी एम्बुलेंस खड़ी (Private ambulance outside government hospital) न हो. उन्हें हटवाने की जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन, जिलाधिकारी और निगम निगम की होगी. इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं है. यह निर्देश सोमवार को डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने प्रदेश भर के जिलाधिकारी, सरकारी अस्पताल व मेडिकल संस्थानों के अधिकारियों को दिए.
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की ओर से जारी विज्ञप्ति के जरिए बताया गया कि करीब 167 जिला महिला व पुरुष चिकित्सालय हैं. मेडिकल कॉलेज व संस्थानों में मरीजों को इलाज मिल रहा है. सरकारी अस्पतालों में मरीजों के मुफ्त इलाज की सुविधा है. सरकारी मेडिकल कॉलेज व संस्थान में बेहद कम दर पर रोगियों को इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने निर्देश दिए कि संजय गांधी पीजीआई, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, केजीएमयू, कानपुर स्थित कॉर्डियोलॉजी सेंटर, कानपुर का कैंसर संस्थान, लखनऊ का कल्याण सिंह कैंसर संस्थान समेत दूसरे संस्थानों के बाहर निजी एम्बुलेंस न खड़ी रहें. मरीजों को अस्पताल में छोड़ने के बाद एंबुलेंस को तुरंत वहां से उनके हटने का प्रबंध किया जाए.
मुफ्त है एम्बुलेंस सेवा: मरीजों को मुफ्त अस्पताल में छोड़ने के लिए 102 व 108 एम्बुलेंस सेवा का संचालन हो रहा है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि प्रदेश में 102 सेवा की 2270 एम्बुलेंस हैं, जबकि 108 सेवा की 2200 एम्बुलेंस हैं. मरीजों को एम्बुलेंस सेवा मुफ्त उपलब्ध कराई जा रही है. एक से दूसरे अस्पताल में मरीज को शिफ्ट करने की जरूरत पड़ती है, तो सरकारी सेवाएं हाजिर रहती हैं. अस्पतालों के बाहर निजी एम्बुलेंस को खड़ा रखना उचित नहीं होगा. ऐसे एम्बुलेंस का चालान किया जाए.
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