लखनऊ: नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के अनुसार बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश देश के सबसे गरीब राज्यों के रूप में सामने आए हैं. सूचकांक के अनुसार, बिहार की 51.91 फीसद जनसंख्या गरीब है. वहीं, झारखंड में 42.16 फीसद और उत्तर प्रदेश में 37.79 फीसद आबादी गरीबी में गुजर बसर करने को मजबूर है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (ओपीएचआई) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की ओर से विकसित विश्व स्तर पर स्वीकृत और मजबूत पद्धति का उपयोग कर तैयार किया जाता है. बहुआयामी गरीबी सूचकांक में मुख्य रूप से परिवार की आर्थिक हालात और अभाव की स्थिति को आंका जाता है.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के एमपीआई में तीन समान आयामों- स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर का मूल्यांकन किया जाता है. इसका आकलन पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, प्रसवपूर्व देखभाल, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता, पीने के पानी, बिजली, आवास, संपत्ति तथा बैंक खाते जैसे 12 संकेतकों के जरिए किया जाता है.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा- "भारत के राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक का विकास एक सार्वजनिक नीति उपकरण स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है. यह बहुआयामी गरीबी की निगरानी करता है, साक्ष्य-आधारित और केंद्रित हस्तक्षेप के बारे में बताता है. ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी पीछे न छूटे."
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