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लखनऊ: पेशे से इंजीनयर कथक टॉपर ने कहा, 'मेडिकल को नृत्य से जोड़ने की चाह' - भातखण्डे संगीत संस्थान विश्वविद्यालय का नवां दीक्षान्त समारोह

यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित भातखण्डे संगीत संस्थान विश्वविद्यालय का नवां दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया. वहीं इस मौके पर छात्र-छात्राओं को मेडल भी दिए गए. इसी मौके पर नृत्यक टॉपर शिवम शुक्ला से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.

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नवम दीक्षान्त समारोह.
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Published : Nov 27, 2019, 4:39 PM IST

लखनऊ: कहते हैं जहां चाह होती है वहां राह होती है. अगर मन में ठान लिया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं. ये पंक्ति भातखंडे डीम्ड यूनिवर्सिटी के कथक डांसर के टॉपर शिवम शुक्ला पर एकदम सटीक बैठती है. दरअसल भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय का नौवां दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया था, जिसमें छात्र-छात्राओं सहित विश्वविद्यालय के शिक्षकगण उपस्थित हुए थे. इसी मौके पर शिवम शुक्ला को भी मेडल देकर नवाजा गया.

नवां दीक्षांत समारोह का हुआ आयोजन.

पेशे से इंजीनयर लेकिन इंजीनियरिंग में मन नहीं लगा
पेशे से इंजीनयर शिवम शुक्ला ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि उसका इस फील्ड में मन नहीं लगा. बचपन से ही नृत्य में रुचि थी. घरवालों के कहने पर पहले आईटीआई फिर उसके बाद पॉलीटेक्निक किया, उसके बाद कुछ दिनों तक नौकरी भी की, लेकिन वहां मन नहीं लगा और सबकुछ छोड़कर भातखंडे यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया.

बड़े भाई ने दिखाई राह
एमपीए कथक नृत्य विभाग में टॉप करने वाले शिवम शुक्ल ने बताया कि घरवालों के विरोध के बीच उनके बड़े भाई पंकज प्रसून ने उसकी राह आसान की. उनके कहने पर ही भातखंडे में एडमिशन लिया और प्रयास सार्थक किया.

पैर में फ्रैक्चर होने के बाद भी पाई सफलता
शिवम शुक्ला ने बताया कि 2015 में पैर में फ्रैक्चर हो गया था. पैर में दो रॉड भी डाली गई थी, लेकिन बचपन के सपने को साकार करना था. सो बस आगे बढ़ा और सफल हुआ. शिवम ने बताया की बचपन में जब घुंघुरू बांधकर नाचता था, तो सारे दोस्त हंसते थे, लेकिन अब सबका नज़रिया बदल गया है.

मेडिकल को संगीत से जोड़ने की चाह
शिवम ने बताया कि उसकी इच्छा है कि वह कुछ नया करे. इसलिए मैं चाहता हूं कि मेडिकल को संगीत से जोड़ा जाए.

पढ़ें: RTO कार्यालय में लाइसेंस का वितरण शुरू, 30 आवेदकों को मिले लाइसेंस

लखनऊ: कहते हैं जहां चाह होती है वहां राह होती है. अगर मन में ठान लिया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं. ये पंक्ति भातखंडे डीम्ड यूनिवर्सिटी के कथक डांसर के टॉपर शिवम शुक्ला पर एकदम सटीक बैठती है. दरअसल भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय का नौवां दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया था, जिसमें छात्र-छात्राओं सहित विश्वविद्यालय के शिक्षकगण उपस्थित हुए थे. इसी मौके पर शिवम शुक्ला को भी मेडल देकर नवाजा गया.

नवां दीक्षांत समारोह का हुआ आयोजन.

पेशे से इंजीनयर लेकिन इंजीनियरिंग में मन नहीं लगा
पेशे से इंजीनयर शिवम शुक्ला ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि उसका इस फील्ड में मन नहीं लगा. बचपन से ही नृत्य में रुचि थी. घरवालों के कहने पर पहले आईटीआई फिर उसके बाद पॉलीटेक्निक किया, उसके बाद कुछ दिनों तक नौकरी भी की, लेकिन वहां मन नहीं लगा और सबकुछ छोड़कर भातखंडे यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया.

बड़े भाई ने दिखाई राह
एमपीए कथक नृत्य विभाग में टॉप करने वाले शिवम शुक्ल ने बताया कि घरवालों के विरोध के बीच उनके बड़े भाई पंकज प्रसून ने उसकी राह आसान की. उनके कहने पर ही भातखंडे में एडमिशन लिया और प्रयास सार्थक किया.

पैर में फ्रैक्चर होने के बाद भी पाई सफलता
शिवम शुक्ला ने बताया कि 2015 में पैर में फ्रैक्चर हो गया था. पैर में दो रॉड भी डाली गई थी, लेकिन बचपन के सपने को साकार करना था. सो बस आगे बढ़ा और सफल हुआ. शिवम ने बताया की बचपन में जब घुंघुरू बांधकर नाचता था, तो सारे दोस्त हंसते थे, लेकिन अब सबका नज़रिया बदल गया है.

मेडिकल को संगीत से जोड़ने की चाह
शिवम ने बताया कि उसकी इच्छा है कि वह कुछ नया करे. इसलिए मैं चाहता हूं कि मेडिकल को संगीत से जोड़ा जाए.

पढ़ें: RTO कार्यालय में लाइसेंस का वितरण शुरू, 30 आवेदकों को मिले लाइसेंस

Intro:लखनऊ। कहते हैं जहां चाह होती है वहां राह होती है। अगर मन में ठान लिया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं। ये लाईन भातखंडे डीम्ड यूनिवर्सिटी के टॉपर शिवम शुक्ला पर एकदम सटीक बैठती है।




Body:पेशे से इंजीनयर लेकिन मन नहीं लगा

पेशे से इंजीनयर शिवम शुक्ला ने बताया कि उसका इस फील्ड में मन नहीं लगा। बचपन से ही नृत्य में रुचि थी। घरवालों के कहने पर पहले आईटीआई फिर उसके बाद पॉलीटेक्निक किया। उसके बाद कुछ दिनों तक नौकरी भी की लेकिन वहां मन नहीं लगा। सबकुछ छोड़कर भातखंडे यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया।

बड़े भाई ने दिखाई राह

एमपीए कथक नृत्य विभाग में टॉप करने वाले शिवम शुक्ल ने बताया कि घरवालों के विरोध के बीच उनके बड़े भाई पंकज प्रसून ने उसकी राह आसान की। उनके कहने पर ही भातखंडे में एडमिशन लिया और प्रयास सार्थक किया।

पैर में फ्रैक्चर होने के बाद भी पाई सफलता

शिवम शुक्ला ने बताया कि 2015 में पैर में फ्रैक्चर हो गया था। पैर में दो रॉड भी डाली गई थी लेकिन बचपन के सपने को साकार करना था। सो बस आगे बढ़ा और सफल हुआ। शिवम ने बताया की बचपन में जब घुंघुरू बांधकर नाचता था तो सारे दोस्त हंसते थे। अब सबका नज़रिया बदल गया है।

मेडिकल को संगीत से जोड़ने की चाह

शिवम ने बताया कि उसकी इच्छा है कि वह कुछ नया करे। इसलिए वह चाहता है कि मेडिकल को संगीत से जोड़े। इसके लिए वह प्रयासरत है। आगे जरूर सफलता मिलेगी।


Conclusion:भातखंडे के नौवें कॉन्वोकेशन में 19 छात्र-छात्राओं को मेडल मिले। लेकिन इन सबमें शिवम की कहानी सबसे अलग है। जिसने कुछ हटकर काम किया और सफलता के झंडे गांड दिए।

अनुराग मिश्र

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