लखनऊ: कहते हैं जहां चाह होती है वहां राह होती है. अगर मन में ठान लिया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं. ये पंक्ति भातखंडे डीम्ड यूनिवर्सिटी के कथक डांसर के टॉपर शिवम शुक्ला पर एकदम सटीक बैठती है. दरअसल भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय का नौवां दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया था, जिसमें छात्र-छात्राओं सहित विश्वविद्यालय के शिक्षकगण उपस्थित हुए थे. इसी मौके पर शिवम शुक्ला को भी मेडल देकर नवाजा गया.
पेशे से इंजीनयर लेकिन इंजीनियरिंग में मन नहीं लगा
पेशे से इंजीनयर शिवम शुक्ला ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि उसका इस फील्ड में मन नहीं लगा. बचपन से ही नृत्य में रुचि थी. घरवालों के कहने पर पहले आईटीआई फिर उसके बाद पॉलीटेक्निक किया, उसके बाद कुछ दिनों तक नौकरी भी की, लेकिन वहां मन नहीं लगा और सबकुछ छोड़कर भातखंडे यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया.
बड़े भाई ने दिखाई राह
एमपीए कथक नृत्य विभाग में टॉप करने वाले शिवम शुक्ल ने बताया कि घरवालों के विरोध के बीच उनके बड़े भाई पंकज प्रसून ने उसकी राह आसान की. उनके कहने पर ही भातखंडे में एडमिशन लिया और प्रयास सार्थक किया.
पैर में फ्रैक्चर होने के बाद भी पाई सफलता
शिवम शुक्ला ने बताया कि 2015 में पैर में फ्रैक्चर हो गया था. पैर में दो रॉड भी डाली गई थी, लेकिन बचपन के सपने को साकार करना था. सो बस आगे बढ़ा और सफल हुआ. शिवम ने बताया की बचपन में जब घुंघुरू बांधकर नाचता था, तो सारे दोस्त हंसते थे, लेकिन अब सबका नज़रिया बदल गया है.
मेडिकल को संगीत से जोड़ने की चाह
शिवम ने बताया कि उसकी इच्छा है कि वह कुछ नया करे. इसलिए मैं चाहता हूं कि मेडिकल को संगीत से जोड़ा जाए.
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