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लखनऊ: गोमती में स्नान करना और उसके किनारे टहलना खतरनाक - lucknow gomti river

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल मॉनिटरिंग कमेटी ने गोमती नदी में स्नान और उसके किनारे टहलने पर रोक लगाई है. गोमती में प्रदूषण रोकने में सरकार के फेल होने पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना अनुपालन गारंटी के रूप में लगाया जाए.

गोमती में डुबकी लगाना तो दूर किनारों पर टहलने से भी बचें.
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Published : Jun 25, 2019, 1:01 PM IST

लखनऊ: नदी में प्रदूषण स्तर की मॉनिटरिंग करने वाली नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल मॉनिटरिंग कमेटी ने गोमती में बढ़ते प्रदूषण की बेहद डरावनी तस्वीर पेश की है. कमेटी ने नदी में प्रदूषण का अध्ययन करने के बाद ट्रिब्यूनल को जो सिफारिश भेजी है उसमें कहा है कि गोमती में प्रदूषण रोकने में सरकार पूरी तरह फेल है. ऐसे में सरकार पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना अनुपालन गारंटी के रूप में लगाया जाए. प्रदेश सरकार दो साल में अगर गोमती को स्वच्छ कर देती है तो यह राशि लौटाई जा सकती है.

एनजीटी ने पेश की गोमती की डरावनी तस्वीर.
  • कमेटी ने नगर निगम, उत्तर प्रदेश जल निगम और गोमती से जुड़े सभी नगर निकायों पर भी जुर्माना लगाया जाए.
  • पीलीभीत से निकलने वाली नदी 900 किमी की यात्रा के दौरान नाला बनकर रह गई है.
  • यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की कमेटी की है.
  • लखनऊ नगर निगम की 34,75,212 जनसंख्या से प्रतिदिन 2,46,375 लाख लीटर सीवेज का उत्पादन हो रहा है, जबकि 144349 लाख लीटर सीवेज ही उपचारित किया जा रहा है.
  • हर रोज 102026 लाख लीटर सीवेज और गंदा पानी गोमती में जा रहा है.

समिति ने दिए निर्देश

  • समिति ने 11 जिलों के कलेक्टर को यह निर्देश दिया है कि वह लोगों को सूचित करें कि गोमती नदी में तब तक स्नान न करें जब तक यह प्रदूषण से मुक्त न हो.
  • इसके किनारों पर सुबह टहलने और डुबकी लगाने से बचें.
  • 11 जिलों के कलेक्टर जल निगम या अन्य माध्यम से नमामि गंगा परियोजना के तहत अपनी टीपीआर भेजें.
  • सचिव नगर विकास, सचिव पर्यावरण और सचिव सिंचाई की एक समिति बनाई जाए जो निर्देशों का निश्चित समय में क्रियान्वयन करें और प्रमुख सचिव नगर विकास इसका पर्यवेक्षण करें.
  • उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नदी का संरक्षण करने में नाकाम रहा है. इसलिए उस पर भी 6 करोड़ 84 लाख 75 हजार रुपये का पर्यावरणीय हर्जाना लगाया जाए.
  • उत्तर प्रदेश जल निगम पर भी तीन करोड़ का पर्यावरण हर्जाना लगाया जाए.
  • 11 जिलों के नगर आयुक्त, जिला मैजिस्ट्रेट और अधिशासी अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि गोमती नदी में कोई ठोस अथवा जैव चिकित्सा अपशिष्ट न गिरने पाए.
  • एसटीपी की स्थापना में अत्यधिक समय लगता है, ऐसे में उत्तर प्रदेश जल निगम और 11 जिलों के जिला कलेक्टर को निर्देशित किया जाए कि वह दो माह के अंदर बायोरेमेडीएशन प्रोजेक्ट उचित तकनीक और टेक्नोलॉजी के साथ लगवाने की व्यवस्था करें.

लखनऊ: नदी में प्रदूषण स्तर की मॉनिटरिंग करने वाली नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल मॉनिटरिंग कमेटी ने गोमती में बढ़ते प्रदूषण की बेहद डरावनी तस्वीर पेश की है. कमेटी ने नदी में प्रदूषण का अध्ययन करने के बाद ट्रिब्यूनल को जो सिफारिश भेजी है उसमें कहा है कि गोमती में प्रदूषण रोकने में सरकार पूरी तरह फेल है. ऐसे में सरकार पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना अनुपालन गारंटी के रूप में लगाया जाए. प्रदेश सरकार दो साल में अगर गोमती को स्वच्छ कर देती है तो यह राशि लौटाई जा सकती है.

एनजीटी ने पेश की गोमती की डरावनी तस्वीर.
  • कमेटी ने नगर निगम, उत्तर प्रदेश जल निगम और गोमती से जुड़े सभी नगर निकायों पर भी जुर्माना लगाया जाए.
  • पीलीभीत से निकलने वाली नदी 900 किमी की यात्रा के दौरान नाला बनकर रह गई है.
  • यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की कमेटी की है.
  • लखनऊ नगर निगम की 34,75,212 जनसंख्या से प्रतिदिन 2,46,375 लाख लीटर सीवेज का उत्पादन हो रहा है, जबकि 144349 लाख लीटर सीवेज ही उपचारित किया जा रहा है.
  • हर रोज 102026 लाख लीटर सीवेज और गंदा पानी गोमती में जा रहा है.

समिति ने दिए निर्देश

  • समिति ने 11 जिलों के कलेक्टर को यह निर्देश दिया है कि वह लोगों को सूचित करें कि गोमती नदी में तब तक स्नान न करें जब तक यह प्रदूषण से मुक्त न हो.
  • इसके किनारों पर सुबह टहलने और डुबकी लगाने से बचें.
  • 11 जिलों के कलेक्टर जल निगम या अन्य माध्यम से नमामि गंगा परियोजना के तहत अपनी टीपीआर भेजें.
  • सचिव नगर विकास, सचिव पर्यावरण और सचिव सिंचाई की एक समिति बनाई जाए जो निर्देशों का निश्चित समय में क्रियान्वयन करें और प्रमुख सचिव नगर विकास इसका पर्यवेक्षण करें.
  • उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नदी का संरक्षण करने में नाकाम रहा है. इसलिए उस पर भी 6 करोड़ 84 लाख 75 हजार रुपये का पर्यावरणीय हर्जाना लगाया जाए.
  • उत्तर प्रदेश जल निगम पर भी तीन करोड़ का पर्यावरण हर्जाना लगाया जाए.
  • 11 जिलों के नगर आयुक्त, जिला मैजिस्ट्रेट और अधिशासी अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि गोमती नदी में कोई ठोस अथवा जैव चिकित्सा अपशिष्ट न गिरने पाए.
  • एसटीपी की स्थापना में अत्यधिक समय लगता है, ऐसे में उत्तर प्रदेश जल निगम और 11 जिलों के जिला कलेक्टर को निर्देशित किया जाए कि वह दो माह के अंदर बायोरेमेडीएशन प्रोजेक्ट उचित तकनीक और टेक्नोलॉजी के साथ लगवाने की व्यवस्था करें.
Intro:लखनऊ में गोमती का प्रदूषण भयावह इसमें नहाना और नदी के किनारे सुबह टहलना भी खतरनाक

लखनऊ. नदी में प्रदूषण स्तर की मानीटरिंग करने वाली नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल मॉनिटरिंग कमिटी ने गोमती नदी में बढ़ते प्रदूषण की बेहद डरावनी तस्वीर पेश की है कमेटी ने नदी में प्रदूषण का अध्ययन करने के बाद ट्रिब्यूनल को जो सिफारिश भेजी है उसने कहा है की गोमती में प्रदूषण रोकने में सरकार पूरी तरह फेल है ऐसे में सरकार पर 100 करोड़ रुपए का जुर्माना अनुपालन गारंटी के रूप में लगाया जाए प्रदेश सरकार 2 साल में अगर गोमती को स्वच्छ कर देती है तो यह राशि लौटाई जा सकती है. कमेटी ने लखनऊ नगर निगम उत्तर प्रदेश जल निगम और गोमती से जुड़े सभी नगर निकायों पर भी जुर्माना लगाया है.


Body:पौराणिक नदी गोमती को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना गया है लेकिन पीलीभीत जिले से निकलने वाली है नदी अपनी 900 किलोमीटर की यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाले 11 जिलों का अपशिष्ट ढोने वाला नाला बनकर रह गई है. यह रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की उस कमेटी का है जो उत्तर प्रदेश नदियों एवं जलाशयों के प्रबंधन एवं अनुश्रवण के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश डीपी सिंह की अध्यक्षता में बनाई गई है अनुश्रवण समिति के सचिव और पूर्व जिला जज राजेंद्र सिंह ने सीपीसीबी यूपीपीसीबी के साथ गोमती के किनारे विभिन्न क्षेत्रों का निरीक्षण किया और अपनी रिपोर्ट तैयार की है.

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 26 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सामने यह दावा किया था कि ठोस अपशिष्ट और जैव चिकित्सा का प्रबंधन सरकार करने के लिए तैयार है लेकिन अफसोस है कि बीते साल और महीने में कोई कदम नहीं उठाया गया लखनऊ नगर निगम कि 3475212 जनसंख्या से प्रतिदिन 246375 लाख लीटर सीवेज का उत्पादन हो रहा है जबकि 144 349 लाख लीटर सीवेज ही उपचारित किया जा रहा है. हर रोज 1020 26 लाख लीटर सीवेज और धंधा पानी गोमती में भरा जा रहा है.

समिति की सिफारिशें


अपनी 81 पेज की अंतरिम रिपोर्ट में समिति ने कहा है की गोमती नदी के किनारे बस से 11 जिलों पीलीभीत शाहजहांपुर लखीमपुर खीरी हरदोई सीतापुर लखनऊ बाराबंकी फैजाबाद सुल्तानपुर प्रतापगढ़ और जौनपुर के कलेक्टर को यह निर्देश दिया जाए कि वह लोगों को सूचित करें कि गोमती नदी में तब तक स्नान न करें जब तक यह प्रदूषण से मुक्त ना हो तथा इसके किनारों पर सुबह टहलने और डुबकी लगाने से बचें.

सभी 11 जिलों के कलेक्टर जल निगम या अन्य माध्यम से नमामि गंगा परियोजना के तहत अपनी टीपीआर भेजें जो गोमती नदी में गिरने वाले नालों के सीवेज उपचार से संबंधित हो और भारत सरकार इस पर विचार अगले 9 माह के अंदर कर कार्रवाई सुनिश्चित करें.

सचिव नगर विकास सचिव पर्यावरण और सचिव सिंचाई की एक समिति बनाई जाए जो यशी के निर्देशों का निश्चित समय में क्रियान्वयन करें और प्रमुख सचिव नगर विकास इसका पर्यवेक्षण करें.

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्योंकि नदी का संरक्षण करने में नाकाम रहा है इसलिए उस पर भी 6 करोड़ 84 लाख ₹75000 का पर्यावरणीय हर्जाना लगाया जाए.

सीवेज पंपिंग स्टेशन और ट्रीटमेंट प्लांट को संचालित करने में विफल रहने वाले उत्तर प्रदेश जल निगम पर भी तीन करोड़ का पर्यावरण हर्जाना लगाया जाए.

लखनऊ नगर निगम पर पहले ही ₹50000000 का पर्यावरण योजना लगाए जाने की सिफारिश ठोस अपशिष्ट मामले में की जा चुकी है ऐसे में लखनऊ नगर निगम पर ₹20000000 का पर्यावरण हर्जाना लगाया जाना उचित होगा.

लखनऊ के अलावा अन्य 10 जिलों के नगर निगम नगर नगर पालिका और अन्य स्थानीय निकाय पर भी एक 10000000 रुपए का पर्यावरण हर्जाना लगाया जाए.

उत्तर प्रदेश सरकार 100 करोड़ रुपए अथवा जैसा एनजीटी चाहे अनुपालन गारंटी के तौर पर जमा करेगी और यह स्वस्थ करेगी कि 2 साल के अंदर गोमती नदी में गिरने वाले समस्त नालों को बिना उपचारित नदी में गिरने से रोकेगी अन्यथा उसकी धनराज सेट कर ली जाएगी जो गोमती के पर्यावरण मानक को स्थापित करने कार्य में लगाई जाएगी.

11 जिलों के नगर आयुक्त जिला मजिस्ट्रेट और अधिशासी अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि गोमती नदी में कोई ठोस अथवा जैव चिकित्सा अपशिष्ट ना गिरने पाए.


एसटीपी की स्थापना में अत्यधिक समय लगता है ऐसे में उत्तर प्रदेश जल निगम और 11 जिलों के जिला कलेक्टर को निर्देशित किया जाए कि वह 2 माह के अंदर बायोरेमेडीएशन प्रोजेक्ट उचित तकनीक और टेक्नोलॉजी के साथ लगवाने की व्यवस्था करें.

पीटीसी अखिलेश तिवारी


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