लखनऊ : विधान परिषद में दिए गए सरकार के जवाब को अगर सही माना जाए उत्तर प्रदेश में करीब 15 दिन में 15 लाख बेरोजगार बढ़ गए हैं. सरकार के अधिकारी के आंकड़ों को लेकर सवाल उठ रहे हैं. समाजवादी पार्टी की इस पर लगातार सवाल उठा रही है. सरकार ने दिए गए आंकड़ों की जांच कराने का निर्णय लिया है. विधान परिषद में इस आशय का प्रस्ताव पास हो गया है. बहुत जल्द ही दूध का दूध और पानी का पानी होगा. सरकार का दावा है कि उत्तर प्रदेश में लगातार बेरोजगारी कम हो रही है. जबकि रोजगार निदेशालय की वेबसाइट कुछ और ही तथ्य प्रस्तुत कर रही है. जिस से लगातार बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा बनता जा रही है.
समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में रोजगार कार्यालय में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या मांगी थी. विधान परिषद में सरकार ने उसका जवाब देते हुए 13 मार्च तक या संख्या 27 लाख बताई, मगर इस पर जब चर्चा हुई तो पता चला कि वेबसाइट पर हजारों की संख्या करीब 42 लाख दर्ज है. ऐसे में मात्र 15 दिन में 15 लाख की संख्या कैसे बढ़ गई. इसको लेकर सभापति के निर्देश पर जांच का आदेश हुआ है. माना जा रहा है कि अधिकारियों ने गलत जानकारी से सदन को अवगत कराया.
समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य आशुतोष सिंघानिया सवाल विधानसभा सदन में उठाया था. इसके बाद सरकार ने जो आंकड़ा रखा वह 13 फरवरी तक का था. सरकार की ओर से श्रम मंत्री अनिल राजभर ने जानकारी दी कि 13 फरवरी तक उत्तर प्रदेश में कुल पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या करीब 27 लाख थी. इनमें से बहुत लोगों को रोजगार भी देने का दावा मंत्री ने किया. जिस पर समाजवादी पार्टी की ओर से जानकारी दी गई है कि शुक्रवार तक जो अपडेट वेबसाइट पर हुआ है. उसमें करीब 42 लाख से भी अधिक बेरोजगार हैं. ऐसे में मात्र 15 दिन के समय में कैसे 15 लाख बेरोजगार बढ़ गए यह बड़ा सवाल है. समाजवादी पार्टी की ओर से आरोप लगाया केंद्र सरकार के उच्च सदन में गलत आंकड़े पेश किए हैं. इसके बाद सभापति कुंवर मानवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर जांच कराएं कि क्या सदन में अधिकारियों ने गलत आंकड़े पेश किए हैं. अगर गलत आंकड़े पेश किए हैं तो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. वहीं समाजवादी पार्टी का आरोप है कि सरकार रोजगार के गलत आंकड़े पेश कर रही है. उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी लगातार तेजी से बढ़ रही है. जिस की गवाही एंप्लॉयमेंट एक्सचेंज की वेबसाइट भी दे रही है.