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सड़क निर्माण में अपनाई जा रही नई तकनीक, प्लास्टिक वेस्ट के साथ बन रहीं इको फ्रेंडली सड़क

उत्तर प्रदेश में सड़क निर्माण के क्षेत्र में नई तकनीक का इस्तेमाल किए जाने का काम शुरू किया गया है. सड़कों में चली आ रही परंपरागत तकनीक यानि तारकोल के साथ अब ये नई तकनीक शुरू हुई है. इसके तहत अब तारकोल में सिंगल यूज प्लास्टिक मिलाकर सड़क निर्माण किया जा रहा है.

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Published : Jul 2, 2021, 7:52 AM IST

प्लास्टिक वेस्ट के साथ बन रहीं इको फ्रेंडली सड़क
प्लास्टिक वेस्ट के साथ बन रहीं इको फ्रेंडली सड़क

लखनऊः सड़कों के निर्माण में चली आ रही परंपरागत तकनीक यानि तारकोल के साथ अब एक नई तकनीक शुरू हुई है. इसके तहत तारकोल में सिंगल यूज प्लास्टिक मिलाकर यानि तारकोल के साथ अब ये नई तकनीक शुरू हुई है. इसके तहत अब तारकोल में सिंगल यूज प्लास्टिक मिलाकर सड़क निर्माण किया जा रहा है. इससे न सिर्फ सड़कें मजबूत, टिकाऊ और किफायती बन रही हैं, बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी काफी उपयोगी हैं. लोक निर्माण विभाग (PWD) में पायलट प्रोजेक्ट के तहत तारकोल में प्लास्टिक मिलाकर सड़कों का निर्माण शुरू किया गया है. जो एक ओर से इको फ्रेडली साबित हो रही है.

63 टन प्लास्टिक से अबतक 100 किमी सड़क बनीं

लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार अब तक पायलट प्रोजेक्ट के तहत सौ किलोमीटर सड़कों को सिंगल यूज प्लास्टिक के मिश्रण से बनाने का काम किया गया है और इसमें करीब 63 टन प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है. ये सड़क पर्यावरण के लिहाज से काफी उपयोगी साबित हो रही है.

सड़क निर्माण में अपनाई जा रही नई तकनीक

बारिश में खराब नहीं होती है सड़क

जिस तरह से सड़कों की गुणवत्ता में कमी आ रही है और बारिश में सड़क खराब हो जाती है. ऐसी स्थिति में प्लास्टिक के मिश्रण से बनाई जाने वाली सड़क काफी मजबूत और किफायती हुई है. सबसे खास बात ये है कि ये इको फ्रेंडली है और इससे बरसात में सड़क खराब नहीं होती है.

तारकोल में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल
तारकोल में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल

2 हजार टन से 15 सौ किमी बनाई जाएगी सड़क

यूपी इंजीनियर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी आशीष यादव ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि हमारे रिसर्च सेंटर और अभियंताओं ने ये एक बेहतरीन तकनीक बनाई है. जिसके तहत सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल से सड़क बनाई जा रही है और 2 हजार टन प्लास्टिक के इस्तेमाल से 15 सौ किलोमीटर की सड़क का निर्माण किया जाना है.

अब जल्द नहीं टूटेगी सड़क
अब जल्द नहीं टूटेगी सड़क

सड़क निर्माण में 8 फीसदी कम खर्च

इस तकनीक से बनाई जाने वाली सड़कें जल्दी खराब नहीं होती और सबसे खास बात ये है कि तारकोल से जो पहले परंपरागत तरीके से सड़क बनाई जा रही थी, उसकी तुलना में सिंगल यूज प्लास्टिक से बनने वाली सड़क करीब 8 फीसदी कम लागत से बन रही है. इसके साथ ही ये इको फ्रेंडली भी है. बारिश के समय में ये खराब भी नहीं होती है और न ही इनमें किसी तरह से फिसलन आती है.

नई तकनीक से मजबूत होंगी सड़के
नई तकनीक से मजबूत होंगी सड़के

इसे भी पढ़ें- UP POLICE के 13800 पदों पर भर्ती जल्द

प्लास्टिक वेस्ट के मिश्रण से बनती है सड़क

लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रोसेस करके उसे तारकोल में मिलाया जाता है और उसका मिश्रण बनाकर गिट्टी के साथ सड़क बनाई जाती है. इसकी जो तकनीक है वो सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रोसेस करने के बाद 110 डिग्री तापमान में तारकोल में मिलाया जाता है. इससे सड़क काफी मजबूत और टिकाऊ हो जाती है. जिस तरह से तारकोल से गिट्टी के साथ सड़क बनाई जाती है. वो बारिश के समय में खराब हो जाती है और जगह-जगह गड्ढे हो जाते हैं. लेकिन इसमें बारिश के पानी का असर नहीं होता और सड़कें भी खराब नहीं होती.

लोक निर्माण विभाग, उत्तर प्रदेश
लोक निर्माण विभाग, उत्तर प्रदेश

गाड़ियों के प्रदूषण को भी कम कर सकती है सड़क

यूपी इंजीनियर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी आशीष यादव कहते हैं कि इसी तकनीक में अगर टाइटेनियम डाइऑक्साइड को मिला दिया जाए तो पर्यावरण को अधिक बेहतर किया जा सकता है. तारकोल और प्लास्टिक के मिश्रण में तो ये सड़क पर्यावरण के लिए और भी अधिक लाभदायक हो सकती है. इस तकनीक को शामिल किए जाने पर भी विचार हो रहा है. रिसर्च सेंटर के स्तर पर रिसर्च हो रहा है. आशीष यादव कहते हैं कि टाइटेनियम डाइऑक्साइड मिला देने से सड़कों पर से गुजरने वाले जो वाहन हैं उनका धुआं निकलता है. उसे सड़क अपने में खींच लेगी और ये पर्यावरण के लिए काफी लाभदायक होगा.

लखनऊः सड़कों के निर्माण में चली आ रही परंपरागत तकनीक यानि तारकोल के साथ अब एक नई तकनीक शुरू हुई है. इसके तहत तारकोल में सिंगल यूज प्लास्टिक मिलाकर यानि तारकोल के साथ अब ये नई तकनीक शुरू हुई है. इसके तहत अब तारकोल में सिंगल यूज प्लास्टिक मिलाकर सड़क निर्माण किया जा रहा है. इससे न सिर्फ सड़कें मजबूत, टिकाऊ और किफायती बन रही हैं, बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी काफी उपयोगी हैं. लोक निर्माण विभाग (PWD) में पायलट प्रोजेक्ट के तहत तारकोल में प्लास्टिक मिलाकर सड़कों का निर्माण शुरू किया गया है. जो एक ओर से इको फ्रेडली साबित हो रही है.

63 टन प्लास्टिक से अबतक 100 किमी सड़क बनीं

लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार अब तक पायलट प्रोजेक्ट के तहत सौ किलोमीटर सड़कों को सिंगल यूज प्लास्टिक के मिश्रण से बनाने का काम किया गया है और इसमें करीब 63 टन प्लास्टिक का इस्तेमाल किया गया है. ये सड़क पर्यावरण के लिहाज से काफी उपयोगी साबित हो रही है.

सड़क निर्माण में अपनाई जा रही नई तकनीक

बारिश में खराब नहीं होती है सड़क

जिस तरह से सड़कों की गुणवत्ता में कमी आ रही है और बारिश में सड़क खराब हो जाती है. ऐसी स्थिति में प्लास्टिक के मिश्रण से बनाई जाने वाली सड़क काफी मजबूत और किफायती हुई है. सबसे खास बात ये है कि ये इको फ्रेंडली है और इससे बरसात में सड़क खराब नहीं होती है.

तारकोल में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल
तारकोल में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल

2 हजार टन से 15 सौ किमी बनाई जाएगी सड़क

यूपी इंजीनियर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी आशीष यादव ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि हमारे रिसर्च सेंटर और अभियंताओं ने ये एक बेहतरीन तकनीक बनाई है. जिसके तहत सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल से सड़क बनाई जा रही है और 2 हजार टन प्लास्टिक के इस्तेमाल से 15 सौ किलोमीटर की सड़क का निर्माण किया जाना है.

अब जल्द नहीं टूटेगी सड़क
अब जल्द नहीं टूटेगी सड़क

सड़क निर्माण में 8 फीसदी कम खर्च

इस तकनीक से बनाई जाने वाली सड़कें जल्दी खराब नहीं होती और सबसे खास बात ये है कि तारकोल से जो पहले परंपरागत तरीके से सड़क बनाई जा रही थी, उसकी तुलना में सिंगल यूज प्लास्टिक से बनने वाली सड़क करीब 8 फीसदी कम लागत से बन रही है. इसके साथ ही ये इको फ्रेंडली भी है. बारिश के समय में ये खराब भी नहीं होती है और न ही इनमें किसी तरह से फिसलन आती है.

नई तकनीक से मजबूत होंगी सड़के
नई तकनीक से मजबूत होंगी सड़के

इसे भी पढ़ें- UP POLICE के 13800 पदों पर भर्ती जल्द

प्लास्टिक वेस्ट के मिश्रण से बनती है सड़क

लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रोसेस करके उसे तारकोल में मिलाया जाता है और उसका मिश्रण बनाकर गिट्टी के साथ सड़क बनाई जाती है. इसकी जो तकनीक है वो सिंगल यूज प्लास्टिक को प्रोसेस करने के बाद 110 डिग्री तापमान में तारकोल में मिलाया जाता है. इससे सड़क काफी मजबूत और टिकाऊ हो जाती है. जिस तरह से तारकोल से गिट्टी के साथ सड़क बनाई जाती है. वो बारिश के समय में खराब हो जाती है और जगह-जगह गड्ढे हो जाते हैं. लेकिन इसमें बारिश के पानी का असर नहीं होता और सड़कें भी खराब नहीं होती.

लोक निर्माण विभाग, उत्तर प्रदेश
लोक निर्माण विभाग, उत्तर प्रदेश

गाड़ियों के प्रदूषण को भी कम कर सकती है सड़क

यूपी इंजीनियर्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी आशीष यादव कहते हैं कि इसी तकनीक में अगर टाइटेनियम डाइऑक्साइड को मिला दिया जाए तो पर्यावरण को अधिक बेहतर किया जा सकता है. तारकोल और प्लास्टिक के मिश्रण में तो ये सड़क पर्यावरण के लिए और भी अधिक लाभदायक हो सकती है. इस तकनीक को शामिल किए जाने पर भी विचार हो रहा है. रिसर्च सेंटर के स्तर पर रिसर्च हो रहा है. आशीष यादव कहते हैं कि टाइटेनियम डाइऑक्साइड मिला देने से सड़कों पर से गुजरने वाले जो वाहन हैं उनका धुआं निकलता है. उसे सड़क अपने में खींच लेगी और ये पर्यावरण के लिए काफी लाभदायक होगा.

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