लखनऊः उत्तर प्रदेश में सड़कों के निर्माण में पारदर्शिता लागू करने को लेकर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देश पर नई योजना बनाई गई है. इसके अंतर्गत अब प्रदेश में नवनिर्मित सड़कों के पांच साल तक मरम्मत और रखरखाव की जिम्मेदारी संबंधित ठेकेदार की ही होगी. प्रदेश सरकार नियमों में बदलाव को लेकर जल्द ही कैबिनेट प्रस्ताव भी लाने जा रही है.
ठीक होगी सड़कों की गुणवत्ता
प्रदेश में सड़कों के निर्माण में जहां एक तरफ कमीशनबाजी की बात होती है वहीं सड़कों की गुणवत्ता भी खराब होती है. साथ ही सड़क बनाए जाने के बाद उसकी मरम्मत विभाग द्वारा कराई जाती है. अब जब कैबिनेट से मंजूरी मिल जाएगी तो जिन ठेकेदारों द्वारा सड़क बनाई जाएगी, उन ठेकेदारों की ही संबंधित सड़कों के रखरखाव और मरम्मत की जिम्मेदारी होगी.
अभी तक यह है व्यवस्था
वर्तमान समय में अलग-अलग श्रेणी की सड़कों के लिए यह अवधि डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड एक से दो साल तक ही है. इस बदलाव से सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता बनाए रखने में काफी सफलता मिलेगी. लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत चार तरह की सड़कें आती हैं. इन्हें ग्रामीण, अन्य जिला मार्ग (ओडीआर), प्रमुख जिला मार्ग( एमडीआर) और राज्य मार्ग (स्टेट हाईवे) श्रेणी में बांटा गया है. इन सड़कों की कुल लंबाई करीब ढाई लाख किलोमीटर है.
सरकार बदलने जा रही है व्यवस्था
वर्तमान व्यवस्था के अनुसार ग्रामीण सड़क के निर्माण के दो साल तक अगर कोई खराबी होती है तो उसकी मरम्मत ठेकेदार को करानी होती है. इसी तरह ओडीआर, एमडीआर व राज्य मार्ग के लिए डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड रखरखाव के उत्तरदायित्व की अवधि अनुबंध शर्तों के अनुसार एक से दो साल रखी गई है, लेकिन अब सरकार इसमें बदलाव करते हुए इसे पांच साल करने की तैयारी कर रही है.
सड़कों की हालत रहेगी ठीक
लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक यह बदलाव इसलिए किया जा रहा है कि नवनिर्मित सड़कें दो साल के बाद तेजी से खराब होने लगती हैं, जबकि नियम के अनुसार ग्रामीण सड़कों का नए सिरे से निर्माण आठ साल बाद, ओडीआर का पांच साल, एमडीआर और स्टेट हाईवे का नवीनीकरण चार साल बाद ही कराया जा सकता है. ऐसे में नवीनीकरण होने से पहले काफी समय तक सड़कें राहगीरों के लिए मुसीबत बन जाती हैं. अब इस समस्या से निजात दिलाने के लिए पांच साल तक रखरखाव की जिम्मेदारी ठेकेदार के ऊपर दिए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है.
ठेकेदारों को दिया जाएगा अतिरिक्त पैसा
ठेकेदारों पर पांच साल तक सड़कों के रखरखाव की जिम्मेदारी देने के साथ ही यह भी तय किया गया है कि पांच साल तक के रखरखाव के लिए संबंधित ठेकेदार को इस मद में कुछ अतिरिक्त राशि भी दी जाएगी. जिससे उनका भी नुकसान नहीं होगा. यह सड़क की कुल लागत के 10% से अधिक नहीं होगी. वहीं अधिकारियों का यह भी कहना है कि इससे सड़कें सही हालत में रहेंगी और नवीनीकरण पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी. लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव नितिन रमेश गोकर्ण का कहना है कि सड़कों के डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड को बढ़ाकर पांच साल करने पर विचार किया जा रहा है. उच्च स्तर पर सहमति मिलने के बाद इस पर कैबिनेट प्रस्ताव लाने की तैयारी है.
सड़कों की गुणवत्ता में आएगा सुधार
उत्तर प्रदेश इंजीनियर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी आशीष यादव ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सरकार इस प्रकार का विचार कर रही है तो यह सराहनीय फैसला होगा. इससे सड़कों की गुणवत्ता में सुधार होगा. जब किसी भी सड़क के रखरखाव की जिम्मेदारी संबंधित ठेकेदार को पांच वर्ष तक होगी तो स्वाभाविक रूप से सड़कों का निर्माण भी बेहतर ढंग से किया जाएगा. हम इसकी सराहना करते हैं. इसके साथ ही सड़कों पर ओवरलोड वाहनों को रोकने को लेकर भी जिला प्रशासन को गंभीरता से विचार करना चाहिए, जिससे सड़कें जल्दी खराब न हो.
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