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लखनऊ: मां बाप के पास नहीं थे पैसे, अस्पताल ने 7 साल के बच्चे को दिया नया जीवन

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हाल ही में मैक्स अस्पताल में एक सात साल के बच्चे का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया.उसके इलाज का लगभग 70% खर्च अस्पताल ने ही उठाया.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुये
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Published : Jul 21, 2019, 10:53 AM IST

लखनऊ: अमेठी के गोसाईगंज के रहने वाले मोहम्मद रेहान का 7 वर्षीय बेटा अली हमजा का लीवर पूरी तरह से खराब हो चुका था. कई डॉक्टरों के पास जाने के बाद दिल्ली के मैक्स अस्पताल में बच्चे का इलाज किया गया. आर्थिक स्थिति अच्छी न होने से इलाज का लगभग 70% खर्च अस्पताल ने ही उठाया.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुये

सात साल के बच्चें में लीवर ट्रांसप्लांट की मुश्किलें:

  • बच्चे को जेनेटिक लेवल का डिसआडर था.
  • जब बच्चा डॉक्टर के पास आया,तब तक उसका लीवर पूरी तरह खराब हो चुका था.
  • उस हालात में डॉक्टर के पास लीवर ट्रांसप्लांट करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था.
  • आर्गन ट्रांसप्लांट करना बहुत ही मुश्किल ऑपरेशन होता है.
  • बच्चों में और भी ज्यादा कठिनाईयां और मुश्किलें बढ़ जाती है.
  • इस हॉस्पिटल में 50% ट्रांसप्लांट बच्चे 10 किलो से कम और एक साल से कम होते हैं.
  • इस केस में भी बच्चा बार-बार कोमा की स्थिति में जा रहा था.
  • डॉक्टर से प्रयास से ऑपरेशन सफल हुआ,फिलहाल बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है.

बच्चों में लिवर ट्रांसप्लांट करने की नौबत ज्यादातर तब आती है जब उनमें यह बीमारी जेनेटिक हो. इसके अलावा लीवर ट्रांसप्लांट करना भी काफी कठिन कार्य होता है. इस केस में भी बच्चा बार-बार कोमा की स्थिति में जा रहा था, उसका लीवर पूरी तरह से खराब हो चुका था. ऐसे में हमने जल्द निर्णय लेकर बच्चे के लिवर ट्रांसप्लांट करने का निर्णय किया. अस्पताल में हर महीने में 3 से 5 बच्चों के लिए बस ट्रांसप्लांट किए जाते हैं. अली के लिवर ट्रांसप्लांट डोनर उसके पिता को बनाया गया है, फिलहाल अली पूरी तरह स्वस्थ है और अपने नए जीवन को आगे बढ़ा रहा है.

डॉ. शरद वर्मा, मैक्स अस्पताल

लखनऊ: अमेठी के गोसाईगंज के रहने वाले मोहम्मद रेहान का 7 वर्षीय बेटा अली हमजा का लीवर पूरी तरह से खराब हो चुका था. कई डॉक्टरों के पास जाने के बाद दिल्ली के मैक्स अस्पताल में बच्चे का इलाज किया गया. आर्थिक स्थिति अच्छी न होने से इलाज का लगभग 70% खर्च अस्पताल ने ही उठाया.

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुये

सात साल के बच्चें में लीवर ट्रांसप्लांट की मुश्किलें:

  • बच्चे को जेनेटिक लेवल का डिसआडर था.
  • जब बच्चा डॉक्टर के पास आया,तब तक उसका लीवर पूरी तरह खराब हो चुका था.
  • उस हालात में डॉक्टर के पास लीवर ट्रांसप्लांट करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था.
  • आर्गन ट्रांसप्लांट करना बहुत ही मुश्किल ऑपरेशन होता है.
  • बच्चों में और भी ज्यादा कठिनाईयां और मुश्किलें बढ़ जाती है.
  • इस हॉस्पिटल में 50% ट्रांसप्लांट बच्चे 10 किलो से कम और एक साल से कम होते हैं.
  • इस केस में भी बच्चा बार-बार कोमा की स्थिति में जा रहा था.
  • डॉक्टर से प्रयास से ऑपरेशन सफल हुआ,फिलहाल बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है.

बच्चों में लिवर ट्रांसप्लांट करने की नौबत ज्यादातर तब आती है जब उनमें यह बीमारी जेनेटिक हो. इसके अलावा लीवर ट्रांसप्लांट करना भी काफी कठिन कार्य होता है. इस केस में भी बच्चा बार-बार कोमा की स्थिति में जा रहा था, उसका लीवर पूरी तरह से खराब हो चुका था. ऐसे में हमने जल्द निर्णय लेकर बच्चे के लिवर ट्रांसप्लांट करने का निर्णय किया. अस्पताल में हर महीने में 3 से 5 बच्चों के लिए बस ट्रांसप्लांट किए जाते हैं. अली के लिवर ट्रांसप्लांट डोनर उसके पिता को बनाया गया है, फिलहाल अली पूरी तरह स्वस्थ है और अपने नए जीवन को आगे बढ़ा रहा है.

डॉ. शरद वर्मा, मैक्स अस्पताल

Intro:लखनऊ। अक्सर कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं जिनमें छोटे बच्चों के भी ऑर्गन ट्रांसप्लांट करने की नौबत आ जाती है। ऑर्गन ट्रांसप्लांट में यूं तो काफी खर्च उठाना पड़ता है और यदि मां-बाप आर्थिक रूप से तंग हो तो यह खर्च और अधिक भारी लगने लगता है। हाल ही में मैक्स अस्पताल में एक 7 साल के बच्चे का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। खास बात यह रही उसके इलाज का लगभग 70% खर्च अस्पताल ने ही उठाया।


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लखनऊ के गोसाईगंज अमेठी क्षेत्र के रहने वाले मोहम्मद रेहान का 7 वर्षीय बेटा अली हमजा का लीवर पूरी तरह से खराब हो चुका था। कई डॉक्टरों के पास जाने के बाद उसे दिल्ली जाने का सुझाव दिया गया। पैसे जुटाकर रेहान दिल्ली पहुंचे तो अस्पताल वालों ने बताया कि लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा बच्चे को बचाना मुश्किल है। ऐसे में उनके सामने आर्थिक तंगी का मसला सामने आ गया। उन्होंने अस्पताल वालों के सामने अपनी परेशानी रखी। रेहान की परेशानी समझते हुए अस्पताल ने कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर अली का लिवर ट्रांसप्लांट करवाया और उसका लगभग 70% खर्च भी वहन किया।

लिवर ट्रांसफर करने वाले विशेषज्ञ डॉक्टर शरद वर्मा ने etv भारत से बात की इस दौरान उन्होंने बताया कि बच्चों में लिवर ट्रांसप्लांट करने की नौबत ज्यादातर तब आती है जब उनमें यह बीमारी जेनेटिक हो। इसके अलावा लीवर ट्रांसप्लांट करना भी काफी कठिन कार्य होता है। इस केस में भी बच्चा बार बार कोमा की स्थिति में जा रहा था क्योंकि उसका लीवर पूरी तरह से खराब हो चुका था। ऐसे में हमने जल्द निर्णय लेकर बच्चे के लिवर ट्रांसप्लांट करने का निर्णय किया। डॉ शरद कहते हैं कि हमारे अस्पताल में हर महीने में 3 से 5 बच्चों के लिए बस ट्रांसप्लांट किए जाते हैं।


Conclusion:अली के लिवर ट्रांसप्लांट डोनर उसके पिता को बनाया गया है फिलहाल अली पूरी तरह स्वस्थ है और अपने नए जीवन को आगे बढ़ा रहा है।

बाइट- डॉ शरद वर्मा, मैक्स अस्पताल
बाइट- मोहम्मद रेहान, अली के पिता
बाइट- अली हमजा, बच्चा

रामांशी मिश्रा
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