लखनऊ: अमेठी के गोसाईगंज के रहने वाले मोहम्मद रेहान का 7 वर्षीय बेटा अली हमजा का लीवर पूरी तरह से खराब हो चुका था. कई डॉक्टरों के पास जाने के बाद दिल्ली के मैक्स अस्पताल में बच्चे का इलाज किया गया. आर्थिक स्थिति अच्छी न होने से इलाज का लगभग 70% खर्च अस्पताल ने ही उठाया.
सात साल के बच्चें में लीवर ट्रांसप्लांट की मुश्किलें:
- बच्चे को जेनेटिक लेवल का डिसआडर था.
- जब बच्चा डॉक्टर के पास आया,तब तक उसका लीवर पूरी तरह खराब हो चुका था.
- उस हालात में डॉक्टर के पास लीवर ट्रांसप्लांट करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं था.
- आर्गन ट्रांसप्लांट करना बहुत ही मुश्किल ऑपरेशन होता है.
- बच्चों में और भी ज्यादा कठिनाईयां और मुश्किलें बढ़ जाती है.
- इस हॉस्पिटल में 50% ट्रांसप्लांट बच्चे 10 किलो से कम और एक साल से कम होते हैं.
- इस केस में भी बच्चा बार-बार कोमा की स्थिति में जा रहा था.
- डॉक्टर से प्रयास से ऑपरेशन सफल हुआ,फिलहाल बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है.
बच्चों में लिवर ट्रांसप्लांट करने की नौबत ज्यादातर तब आती है जब उनमें यह बीमारी जेनेटिक हो. इसके अलावा लीवर ट्रांसप्लांट करना भी काफी कठिन कार्य होता है. इस केस में भी बच्चा बार-बार कोमा की स्थिति में जा रहा था, उसका लीवर पूरी तरह से खराब हो चुका था. ऐसे में हमने जल्द निर्णय लेकर बच्चे के लिवर ट्रांसप्लांट करने का निर्णय किया. अस्पताल में हर महीने में 3 से 5 बच्चों के लिए बस ट्रांसप्लांट किए जाते हैं. अली के लिवर ट्रांसप्लांट डोनर उसके पिता को बनाया गया है, फिलहाल अली पूरी तरह स्वस्थ है और अपने नए जीवन को आगे बढ़ा रहा है.
डॉ. शरद वर्मा, मैक्स अस्पताल