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नए अस्पताल-मेडिकल कॉलेज खुले, इंसेफेलाइटिस पर किया प्रहार - health facilities in yogi govt

कोरोना ने भले ही देशवासियों का ध्यान हेल्थ सेक्टर की ओर खींचा हो मगर, यूपी में जानलेवा इंसेफ्लाइटिस वर्षों से कमजोर चिकित्सकीय सेवाओं पर प्रहार करता रहा. पिछले चार साल में कई मेडिकल कॉलेज-अस्पताल खुले. राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार देखा जा रहा है.

लखनऊ:
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Published : Mar 17, 2021, 5:45 PM IST

Updated : Mar 19, 2021, 2:07 PM IST

लखनऊ: कोरोना ने भले ही देशवासियों का ध्यान हेल्थ सेक्टर की ओर खींचा हो. मगर, यूपी में जानलेवा इंसेफ्लाइटिस वर्षों से कमजोर चिकित्सकीय सेवाओं पर प्रहार करता रहा. पूर्वांचल में हजारों बच्चों की मौतों की चीखें हर साल दिल्ली के सदन में गूंजती रहीं, मगर समस्या से निजात दिलाने के नाम पर सभी मौन रहे. वहीं यूपी में योगी सरकार आते ही इंसेफ्लाइटिस के कारकों पर वार शुरू कर दिए गए. साथ ही कोरोना मैनेजमेंट की सधी रणनीति ने भी लोहा मनवाया. पिछले चार साल में कई मेडिकल कॉलेज-अस्पताल खुले.

स्पेशल रिपोर्ट.

57 सीएचसी-54 पीएचसी बनीं, टेली रेडियोलोजी सेवा शुरू
प्रदेश में वर्तमान में 937 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) संचालित हैं. 57 नई सीएचसी बन चुकी हैं. वहीं सरकार 29 नए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण करा रही है. ऐसे ही राज्य में 3691 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) का संचालन हो रहा है. इसमें 52 नई पीएचसी बनीं. साथ ही 114 नए केंद्रों का निर्माण हो रहा है. नए केंद्र बनने से गांवों में इलाज की व्यवस्था में सुधार होगा. इसके अलावा 174 जिला, संयुक्त अस्पताल हैं. कुल 354 केंद्रों पर टेली रेडियोलॉजी सुविधा शुरू की गई.

जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन, डायलिसिस सुविधा
राज्य के 75 जनपदों में से 46 जनपदों में केंद्र सरकार की मदद से डायलिसिस सुविधा पीपीपी मॉडल पर शुरू की गई. इसमें अभी तक 63, 89 ,98 लोगों ने डायलिसिस कराई. वहीं 56 जनपदों में पीपीपी मॉडल पर सीटी स्कैन यूनिट स्थापित की गई. इसमें अब तक 4,58,967 लोगों ने जांचें करवाई हैं. वहीं 28 जनपद में टेलीमेडिसिन सेवा के जरिए 4,61,249 और संजीवनी कंसल्टेशन से नौ लाख से अधिक ने घर बैठे कोरोना कॉल में इलाज कराया.

नए अस्पताल-मेडिकल कॉलेज खुले
नए अस्पताल-मेडिकल कॉलेज खुले
इंसेफ्लाइटिस पर बड़ा प्रहार
योगी सरकार ने पिछले चार साल में जापानी इंसेफ्लाइटिस पर बड़ा प्रहार किया. इसके लिए प्रभावित इलाकों में सीएचसी स्तर पर पीआईसीयू व मिनी पीआईसीयू की स्थापना की. ऐसे में गंभीर बच्चों को समय पर इलाज मिलने लगा. कुल 16 पीआईसीयू, 15 मिनी पीआईसीयू, 104 ईटीएस, 19 सेंटीनल लैब बनाई. साथ ही टीकाकरण भी शुरू किया. ऐसे में 2016 में जहां जेई बीमारी 11.30 फीसद थी. वहीं 2020 में घटकर 6.56 पर आ गई. ऐसे ही रोग की मृत्यु दर जहां 2016 में 56. 74 फीसद थी, यह 2020 में 8.91 रह गई है.
अटल-आयुष यूनिवर्सिटी, 30 नए मेडिकल कॉलेज
राज्य में आजादी से अब तक 12 मेडिकल कॉलेज संचालित थे. पिछले चार साल में 30 नए मेडिकल कॉलेजों का गठन किया गया. इसमें 16 ऐसे जनपद हैं, जहां कोई भी राजकीय और निजी मेडिकल कॉलेज नहीं थे. इसके अलावा लखनऊ में अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी व गोरखपुर में आयुष मेडिकल यूनिवर्सिटी का निर्माण चल रहा है.
कोरोना मैनेजमेंट से वैक्सीनेशन तक
पहले केजीएमयू में कोरोना जांच की एक लैब थी, इसमें 24 घंटे में सिर्फ 72 जांचें ही हो पाती थीं, अब 125 सरकारी और 104 निजी लैब में रोज दो लाख से अधिक जांच की क्षमता है. - पहले जिला अस्पतालों में वेंटिलेटर नहीं थे, अब हर जनपद में 10 वेंटिलेटर दे दिए गए-लेवल वन, लेवल टू, लेबल थ्री के कोविड अस्पताल बनाए गए, कोरोना के इलाज के लिए डेढ़ लाख बेड हैं.- प्रदेश में कोरोना पेशेंट रिकवरी रेट 98 फीसद रहा. यह देश में सर्वाधिक है.- प्रदेश में 31 लाख लोगों को वैक्सीन लगी. दो बार, एक दिन में तीन लाख वैक्सीन लगाने का रिकॉर्ड बनाया.- पुणे की तर्ज पर लखनऊ में वायरोलॉजी सेंटर खोलने का एलान

ये भी पढ़ेंः कोरोना वैक्सीनेशन के बाद हुई व्यक्ति की मौत, मचा हड़कंप

यह भी जानें
- ग्रामीण व शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हर रविवार मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेला शुरू हुआ, 26 लाख से अधिक लोगों को इलाज मिला.
- 75 जनपदों में वेंटीलेटर युक्त 250 एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस का संचालन किया गया.
- 53 जनपदों में 170 मोबाइल मेडिकल यूनिट का संचालन किया गया.
- पीजीआई में रोबोटिक सर्जरी शुरू, केजीएमयू में लिवर ट्रांसप्लांट शुरू हुआ
- पांच हजार से ज्यादा हेल्थ वेलनेस सेंटरों का हो रहा निर्माण.

लखनऊ: कोरोना ने भले ही देशवासियों का ध्यान हेल्थ सेक्टर की ओर खींचा हो. मगर, यूपी में जानलेवा इंसेफ्लाइटिस वर्षों से कमजोर चिकित्सकीय सेवाओं पर प्रहार करता रहा. पूर्वांचल में हजारों बच्चों की मौतों की चीखें हर साल दिल्ली के सदन में गूंजती रहीं, मगर समस्या से निजात दिलाने के नाम पर सभी मौन रहे. वहीं यूपी में योगी सरकार आते ही इंसेफ्लाइटिस के कारकों पर वार शुरू कर दिए गए. साथ ही कोरोना मैनेजमेंट की सधी रणनीति ने भी लोहा मनवाया. पिछले चार साल में कई मेडिकल कॉलेज-अस्पताल खुले.

स्पेशल रिपोर्ट.

57 सीएचसी-54 पीएचसी बनीं, टेली रेडियोलोजी सेवा शुरू
प्रदेश में वर्तमान में 937 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) संचालित हैं. 57 नई सीएचसी बन चुकी हैं. वहीं सरकार 29 नए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण करा रही है. ऐसे ही राज्य में 3691 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) का संचालन हो रहा है. इसमें 52 नई पीएचसी बनीं. साथ ही 114 नए केंद्रों का निर्माण हो रहा है. नए केंद्र बनने से गांवों में इलाज की व्यवस्था में सुधार होगा. इसके अलावा 174 जिला, संयुक्त अस्पताल हैं. कुल 354 केंद्रों पर टेली रेडियोलॉजी सुविधा शुरू की गई.

जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन, डायलिसिस सुविधा
राज्य के 75 जनपदों में से 46 जनपदों में केंद्र सरकार की मदद से डायलिसिस सुविधा पीपीपी मॉडल पर शुरू की गई. इसमें अभी तक 63, 89 ,98 लोगों ने डायलिसिस कराई. वहीं 56 जनपदों में पीपीपी मॉडल पर सीटी स्कैन यूनिट स्थापित की गई. इसमें अब तक 4,58,967 लोगों ने जांचें करवाई हैं. वहीं 28 जनपद में टेलीमेडिसिन सेवा के जरिए 4,61,249 और संजीवनी कंसल्टेशन से नौ लाख से अधिक ने घर बैठे कोरोना कॉल में इलाज कराया.

नए अस्पताल-मेडिकल कॉलेज खुले
नए अस्पताल-मेडिकल कॉलेज खुले
इंसेफ्लाइटिस पर बड़ा प्रहार
योगी सरकार ने पिछले चार साल में जापानी इंसेफ्लाइटिस पर बड़ा प्रहार किया. इसके लिए प्रभावित इलाकों में सीएचसी स्तर पर पीआईसीयू व मिनी पीआईसीयू की स्थापना की. ऐसे में गंभीर बच्चों को समय पर इलाज मिलने लगा. कुल 16 पीआईसीयू, 15 मिनी पीआईसीयू, 104 ईटीएस, 19 सेंटीनल लैब बनाई. साथ ही टीकाकरण भी शुरू किया. ऐसे में 2016 में जहां जेई बीमारी 11.30 फीसद थी. वहीं 2020 में घटकर 6.56 पर आ गई. ऐसे ही रोग की मृत्यु दर जहां 2016 में 56. 74 फीसद थी, यह 2020 में 8.91 रह गई है.
अटल-आयुष यूनिवर्सिटी, 30 नए मेडिकल कॉलेज
राज्य में आजादी से अब तक 12 मेडिकल कॉलेज संचालित थे. पिछले चार साल में 30 नए मेडिकल कॉलेजों का गठन किया गया. इसमें 16 ऐसे जनपद हैं, जहां कोई भी राजकीय और निजी मेडिकल कॉलेज नहीं थे. इसके अलावा लखनऊ में अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी व गोरखपुर में आयुष मेडिकल यूनिवर्सिटी का निर्माण चल रहा है.
कोरोना मैनेजमेंट से वैक्सीनेशन तक
पहले केजीएमयू में कोरोना जांच की एक लैब थी, इसमें 24 घंटे में सिर्फ 72 जांचें ही हो पाती थीं, अब 125 सरकारी और 104 निजी लैब में रोज दो लाख से अधिक जांच की क्षमता है. - पहले जिला अस्पतालों में वेंटिलेटर नहीं थे, अब हर जनपद में 10 वेंटिलेटर दे दिए गए-लेवल वन, लेवल टू, लेबल थ्री के कोविड अस्पताल बनाए गए, कोरोना के इलाज के लिए डेढ़ लाख बेड हैं.- प्रदेश में कोरोना पेशेंट रिकवरी रेट 98 फीसद रहा. यह देश में सर्वाधिक है.- प्रदेश में 31 लाख लोगों को वैक्सीन लगी. दो बार, एक दिन में तीन लाख वैक्सीन लगाने का रिकॉर्ड बनाया.- पुणे की तर्ज पर लखनऊ में वायरोलॉजी सेंटर खोलने का एलान

ये भी पढ़ेंः कोरोना वैक्सीनेशन के बाद हुई व्यक्ति की मौत, मचा हड़कंप

यह भी जानें
- ग्रामीण व शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हर रविवार मुख्यमंत्री आरोग्य स्वास्थ्य मेला शुरू हुआ, 26 लाख से अधिक लोगों को इलाज मिला.
- 75 जनपदों में वेंटीलेटर युक्त 250 एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस का संचालन किया गया.
- 53 जनपदों में 170 मोबाइल मेडिकल यूनिट का संचालन किया गया.
- पीजीआई में रोबोटिक सर्जरी शुरू, केजीएमयू में लिवर ट्रांसप्लांट शुरू हुआ
- पांच हजार से ज्यादा हेल्थ वेलनेस सेंटरों का हो रहा निर्माण.

Last Updated : Mar 19, 2021, 2:07 PM IST
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