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लखनऊ: एनबीआरआई लैब में बनेगी कोरोना की दवा, एमओयू साइन

एनबीआरआई, केजीएमयू के साथ मिलकर कोरोना की दवा बनाने के लिए आगे आई है. दोनों संस्थानों के बीच सोमवार को एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं. इसके अलावा एनबीआरआई एरा मेडिकल कॉलेज को सैंपल टेस्टिंग के लिए टेक्निकल सपोर्ट भी देगा.

लखनऊ समाचार
एनबीआरआई प्रयोगशाला बनाएगी कोरोना का दवा.
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Published : Apr 14, 2020, 7:57 AM IST

लखनऊ: सीएसआईआर की प्रयोगशाला राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान ने कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए दवा का निर्माण करने का निर्णय लिया है. इस सिलसिले में एनबीआरआई ने केजीएमयू के साथ मिलकर इस काम को पूरा करने की कवायद की है. दोनों संस्थानों के बीच सोमवार को एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए. इसके अलावा एनबीआरआई एरा मेडिकल कॉलेज को सैंपल टेस्टिंग के लिए टेक्निकल सपोर्ट भी देगा.

राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रो. एसके बारीक ने बताया कि कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस सिलसिले मे सीएसआईआर की सभी प्रयोगशाला अपने-अपने स्तर पर इसके रोकथाम के उपाय कर रही हैं. हमारे संस्थान में कोरोना वायरस की दवा बनाने के उपयुक्त संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन इसके लिए क्लिनिकल ट्रायल्स और सैंपलिंग की हमें जरूरत है. इसलिए हमने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर इस पर शोध करने की ओर कदम बढ़ाया है.

शोध में लगेगा वक्त

प्रो. बारीक ने बताया कि यह काफी लंबी प्रक्रिया है. इसमें वक्त भी लगता है, लेकिन इस पर शोध किया जाना बेहद जरूरी है. हमने अभी से इसके लिए शुरुआत कर दी है. प्रो. बारिक ने बताया कि हम वनस्पति विज्ञान से जुड़े हुए हैं और वनस्पति विज्ञान के मॉलिक्यूलर बायोलॉजी में हम काफी अग्रसर हैं. अपने संस्थान में हम पैथोजेनिक वायरस पर शोध नहीं करते हैं, लेकिन हम वनस्पति विज्ञान के साथ मिलाकर इसकी दवा तैयार कर सकते हैं. हमने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर यह एमओयू साइन किया है कि वह वायरस की हैंडलिंग में हमारा साथ दें. हम कोरोना वायरस की दवा बनाने की ओर आगे काम कर सकें.

सीएसआईआर की सभी प्रयोगशाला सैंपलिंग के लिए अप्रूव्ड

केजीएमयू सैंपलिंग की नोडल एजेंसी है. इसलिए केजीएमयू के द्वारा हमें सैंपल प्राप्त होगा और हर्बल प्लांट के एक्सट्रैक्ट के साथ हम दवा बनाने पर शोध करेंगे. प्रो. बारीक के अनुसार उत्तर प्रदेश में कोविड-19 मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और टेस्टिंग सेंटर्स की संख्या काफी कम है. सीएसआईआर की सभी प्रयोगशाला आईसीएमआर और गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की ओर से सैंपलिंग करने के लिए अप्रूव्ड हैं.

इसीलिए हमने टेस्टिंग के काम में अपना योगदान देने की कोशिश की है. एनबीआरआई ने एरा मेडिकल कॉलेज को सैम्पल टेस्टिंग के लिए टेक्निकल सपोर्ट भी देने की बात कही है. एरा मेडिकल कॉलेज को सैंपल टेस्टिंग के लिए तैयार किया जा रहा है. ऐसे में एनबीआरआई की ओर से टेक्निकल सपोर्ट मिलने के बाद यह संस्थान सैंपल टेस्ट करने के लिए तेजी से तैयार हो सकता है.

राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान की ओर से केजीएमयू के साथ किए गए एमओयू में कोरोना वायरस के साथ-साथ कैंसर, अर्थराइटिस, डायबिटीज और मोटापे जैसी बीमारियों के ऊपर भी शोध करने और दवा बनाने की बात शामिल की गई है. इन सभी के क्लिनिकल ट्रायल्स भी केजीएमयू और एनबीआरआई साथ मिलकर करेंगे.

लखनऊ: सीएसआईआर की प्रयोगशाला राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान ने कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए दवा का निर्माण करने का निर्णय लिया है. इस सिलसिले में एनबीआरआई ने केजीएमयू के साथ मिलकर इस काम को पूरा करने की कवायद की है. दोनों संस्थानों के बीच सोमवार को एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए. इसके अलावा एनबीआरआई एरा मेडिकल कॉलेज को सैंपल टेस्टिंग के लिए टेक्निकल सपोर्ट भी देगा.

राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रो. एसके बारीक ने बताया कि कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इस सिलसिले मे सीएसआईआर की सभी प्रयोगशाला अपने-अपने स्तर पर इसके रोकथाम के उपाय कर रही हैं. हमारे संस्थान में कोरोना वायरस की दवा बनाने के उपयुक्त संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन इसके लिए क्लिनिकल ट्रायल्स और सैंपलिंग की हमें जरूरत है. इसलिए हमने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर इस पर शोध करने की ओर कदम बढ़ाया है.

शोध में लगेगा वक्त

प्रो. बारीक ने बताया कि यह काफी लंबी प्रक्रिया है. इसमें वक्त भी लगता है, लेकिन इस पर शोध किया जाना बेहद जरूरी है. हमने अभी से इसके लिए शुरुआत कर दी है. प्रो. बारिक ने बताया कि हम वनस्पति विज्ञान से जुड़े हुए हैं और वनस्पति विज्ञान के मॉलिक्यूलर बायोलॉजी में हम काफी अग्रसर हैं. अपने संस्थान में हम पैथोजेनिक वायरस पर शोध नहीं करते हैं, लेकिन हम वनस्पति विज्ञान के साथ मिलाकर इसकी दवा तैयार कर सकते हैं. हमने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर यह एमओयू साइन किया है कि वह वायरस की हैंडलिंग में हमारा साथ दें. हम कोरोना वायरस की दवा बनाने की ओर आगे काम कर सकें.

सीएसआईआर की सभी प्रयोगशाला सैंपलिंग के लिए अप्रूव्ड

केजीएमयू सैंपलिंग की नोडल एजेंसी है. इसलिए केजीएमयू के द्वारा हमें सैंपल प्राप्त होगा और हर्बल प्लांट के एक्सट्रैक्ट के साथ हम दवा बनाने पर शोध करेंगे. प्रो. बारीक के अनुसार उत्तर प्रदेश में कोविड-19 मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और टेस्टिंग सेंटर्स की संख्या काफी कम है. सीएसआईआर की सभी प्रयोगशाला आईसीएमआर और गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की ओर से सैंपलिंग करने के लिए अप्रूव्ड हैं.

इसीलिए हमने टेस्टिंग के काम में अपना योगदान देने की कोशिश की है. एनबीआरआई ने एरा मेडिकल कॉलेज को सैम्पल टेस्टिंग के लिए टेक्निकल सपोर्ट भी देने की बात कही है. एरा मेडिकल कॉलेज को सैंपल टेस्टिंग के लिए तैयार किया जा रहा है. ऐसे में एनबीआरआई की ओर से टेक्निकल सपोर्ट मिलने के बाद यह संस्थान सैंपल टेस्ट करने के लिए तेजी से तैयार हो सकता है.

राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान की ओर से केजीएमयू के साथ किए गए एमओयू में कोरोना वायरस के साथ-साथ कैंसर, अर्थराइटिस, डायबिटीज और मोटापे जैसी बीमारियों के ऊपर भी शोध करने और दवा बनाने की बात शामिल की गई है. इन सभी के क्लिनिकल ट्रायल्स भी केजीएमयू और एनबीआरआई साथ मिलकर करेंगे.

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