ETV Bharat / state

मोहर्रम सर्कुलर पर विवाद: राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने मुख्य सचिव से किया जवाब-तलब - muharram circular

मोहर्रम पर उत्तर प्रदेश के DGP मुकुल गोयल द्वारा जारी सर्कुलर की भाषा पर शिया समुदाय के धर्मगुरु कल्बे जव्वाद ने आपत्ति जताते हुए नाराजगी व्यक्त की थी. उन्होंने इसे समूचे शिया और सुन्नी समुदाय का अपमान बताया था. इसको लेकर अब राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव आरके तिवारी से जवाब-तलब करते हुए स्पष्टीकरण मांगा है.

मोहर्रम सर्कुलर पर विवाद
मोहर्रम सर्कुलर पर विवाद
author img

By

Published : Aug 4, 2021, 1:18 PM IST

Updated : Aug 4, 2021, 2:39 PM IST

लखनऊ: मोहर्रम पर DGP मुकुल गोयल द्वारा जारी सर्कुलर के मामले में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने नाराजगी जाहिर करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव आरके तिवारी से जवाब-तलब करते हुए स्पष्टीकरण मांगा है. बता दें कि, मोहर्रम पर उत्तर प्रदेश के DGP मुकुल गोयल द्वारा जारी सर्कुलर की भाषा पर शिया समुदाय के धर्मगुरु कल्बे जव्वाद ने आपत्ति जताते हुए नाराजगी व्यक्त की थी. उन्होंने इसे समूचे शिया और सुन्नी समुदाय का अपमान बताया था. हालांकि, लखनऊ कमिश्नर डीके ठाकुर के मुलाकात पर उनके तेवर ढीले पड़ गए और मामला शांत हो गया. मगर, बुधवार को एक बार फिर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की नोटिस ने यूपी पुलिस के लिए सिरदर्द खड़ा कर दिया है.

DGP को देनी पड़ी थी सफाई

मोहर्रम पर जारी सर्कुलर को लेकर शिया समुदाय के धर्मगुरु कल्बे जव्वाद की नाराजगी पर मामले ने तूल पकड़ा तो DGP मुकुल गोयल को सफाई तक देनी पड़ी थी. उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि, 'कोविड प्रोटोकॉल के तहत सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुहर्रम के जुलूस पर रोक है. पिछले काफी समय से मुहर्रम पर यही सर्कुलर जारी हो रहा है, ये कोई नया नहीं है.' DGP के मुताबिक, ये सर्कुलर फोर्स के लिए है, जो पिछले कुछ मामलों को देखते हुए तैयार किया गया है. त्योहार के दौरान बेहतर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सर्कुलर जारी किया गया है. हमारी मंशा किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का बिल्कुल नहीं है.

ये है पूरा मामलाबता दें कि, मोहर्रम पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए DGP मुकुल गोयल द्वारा जारी गाइड लाइन में मातम को त्योहार लिखने पर शिया समुदाय के धर्मगुरु कल्बे जव्वाद और मौलाना सैफ अब्बास ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि गाइडलाइन में लिखी भाषा से शिया समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है. उन्होंने गाइडलाइन के ड्राफ्ट को तुरंत बदलने की मांग की है. DGP ने सभी पुलिस कमिश्नर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए थे कि चन्द्र दर्शन के अनुसार, इस साल मोहर्रम 10 अगस्त से शुरू होकर 19 अगस्त को समाप्त होगा. मातम के अलम जुलूस और ताजिया उठाने पर प्रतिबंध लगते हुए DGP ने कड़े निर्देश दिए थे.

दरअसल, मुस्लिमों के दोनों समुदायों (शिया-सुन्नी) द्वारा मोहर्रम पर मातम मनाया जाता है, जिसकी वजह से आपसी विवाद की संभावना बनी रहती है. 7वीं, 8वीं, 9वीं और 10वीं मोहर्रम को इमाम चौक पर ताजिये रखे जाते हैं और अलम के जुलूस निकालकर मातम किया जाता है. ऐसे में कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की जाए.

शिया समुदाय के धर्मगुरु कल्बे जव्वाद ने इसमें तमाम शब्दों के पर आपत्तिजनक बताते हुए आपत्ति जताई थी. मौलाना सैफ अब्बास ने तो दोनों समुदायों के लोगों से अपील करते हुए कहा था कि, जब तक ये गाइडलाइन के ड्राफ्ट को बदला नहीं जाता तबतक सभी को एकजुट होकर पूरे प्रदेश में मोहर्रम को लेकर थानों में बुलाई जा रही ऐसी किसी मीटिंग 'पीस कमेटी' में शामिल नहीं होना चाहिए.

इसे पढ़ें- मोहर्रम पर जारी सर्कुलर पर मचा बवाल, डीजीपी ने दिया ये दिया जवाब..

लखनऊ: मोहर्रम पर DGP मुकुल गोयल द्वारा जारी सर्कुलर के मामले में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने नाराजगी जाहिर करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव आरके तिवारी से जवाब-तलब करते हुए स्पष्टीकरण मांगा है. बता दें कि, मोहर्रम पर उत्तर प्रदेश के DGP मुकुल गोयल द्वारा जारी सर्कुलर की भाषा पर शिया समुदाय के धर्मगुरु कल्बे जव्वाद ने आपत्ति जताते हुए नाराजगी व्यक्त की थी. उन्होंने इसे समूचे शिया और सुन्नी समुदाय का अपमान बताया था. हालांकि, लखनऊ कमिश्नर डीके ठाकुर के मुलाकात पर उनके तेवर ढीले पड़ गए और मामला शांत हो गया. मगर, बुधवार को एक बार फिर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की नोटिस ने यूपी पुलिस के लिए सिरदर्द खड़ा कर दिया है.

DGP को देनी पड़ी थी सफाई

मोहर्रम पर जारी सर्कुलर को लेकर शिया समुदाय के धर्मगुरु कल्बे जव्वाद की नाराजगी पर मामले ने तूल पकड़ा तो DGP मुकुल गोयल को सफाई तक देनी पड़ी थी. उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि, 'कोविड प्रोटोकॉल के तहत सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुहर्रम के जुलूस पर रोक है. पिछले काफी समय से मुहर्रम पर यही सर्कुलर जारी हो रहा है, ये कोई नया नहीं है.' DGP के मुताबिक, ये सर्कुलर फोर्स के लिए है, जो पिछले कुछ मामलों को देखते हुए तैयार किया गया है. त्योहार के दौरान बेहतर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सर्कुलर जारी किया गया है. हमारी मंशा किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का बिल्कुल नहीं है.

ये है पूरा मामलाबता दें कि, मोहर्रम पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए DGP मुकुल गोयल द्वारा जारी गाइड लाइन में मातम को त्योहार लिखने पर शिया समुदाय के धर्मगुरु कल्बे जव्वाद और मौलाना सैफ अब्बास ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि गाइडलाइन में लिखी भाषा से शिया समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है. उन्होंने गाइडलाइन के ड्राफ्ट को तुरंत बदलने की मांग की है. DGP ने सभी पुलिस कमिश्नर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए थे कि चन्द्र दर्शन के अनुसार, इस साल मोहर्रम 10 अगस्त से शुरू होकर 19 अगस्त को समाप्त होगा. मातम के अलम जुलूस और ताजिया उठाने पर प्रतिबंध लगते हुए DGP ने कड़े निर्देश दिए थे.

दरअसल, मुस्लिमों के दोनों समुदायों (शिया-सुन्नी) द्वारा मोहर्रम पर मातम मनाया जाता है, जिसकी वजह से आपसी विवाद की संभावना बनी रहती है. 7वीं, 8वीं, 9वीं और 10वीं मोहर्रम को इमाम चौक पर ताजिये रखे जाते हैं और अलम के जुलूस निकालकर मातम किया जाता है. ऐसे में कड़ी सुरक्षा की व्यवस्था की जाए.

शिया समुदाय के धर्मगुरु कल्बे जव्वाद ने इसमें तमाम शब्दों के पर आपत्तिजनक बताते हुए आपत्ति जताई थी. मौलाना सैफ अब्बास ने तो दोनों समुदायों के लोगों से अपील करते हुए कहा था कि, जब तक ये गाइडलाइन के ड्राफ्ट को बदला नहीं जाता तबतक सभी को एकजुट होकर पूरे प्रदेश में मोहर्रम को लेकर थानों में बुलाई जा रही ऐसी किसी मीटिंग 'पीस कमेटी' में शामिल नहीं होना चाहिए.

इसे पढ़ें- मोहर्रम पर जारी सर्कुलर पर मचा बवाल, डीजीपी ने दिया ये दिया जवाब..

Last Updated : Aug 4, 2021, 2:39 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.