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पिता के चाय का ठेला संभाल रहा राष्ट्रीय बैंडमिंटन खिलाड़ी, कहा- कोई काम छोटा नहीं होता

वैश्विक महामारी कोरोना के चलते लागू लॉकडाउन से लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. खिलाड़ी भी इससे अछूते नहीं हैं. राजधानी लखनऊ में एक राष्ट्रीय बैंडमिंटन खिलाड़ी इन दिनों अपने पिता के चाय का ठेला संभाल रहे हैं. उनसे ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट.

badminton player mukul tiwari sells tea in lucknow
पिता के चाय का ठेला संभाल रहा राष्ट्रीय बैंडमिंटन खिलाड़ी मुकुल तिवारी.
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Published : Jul 12, 2020, 10:47 PM IST

लखनऊ: राष्ट्रीय बैंडमिंटन खिलाड़ी मुकुल तिवारी इस समय पिता के चाय का ठेला संभाल रहे हैं. मुकुल किसी परिचय के मोहताज नहीं है. 18 साल का यह राष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी कई प्रतियोगिताओं में अपना जलवा बिखेर चुका है.

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फाइल फोटो.

मुकुल की कहानी
बहराइच निवासी मुकुल के पिता रामविलास तिवारी गोमतीनगर के बाबू बनारसी दास बैडमिंटन अकादमी के सामने कई सालों से चाय का ठेला लगाते हैं. मुकुल के पिता बताते हैं कि यह बात साल 2010 की है, जब उनका लड़का मुकुल करीब 8 साल का था और दूसरे बच्चों को देखकर बैडमिंटन खेलने की जिद करता था. उस समय अकादमी के कोच पीके भंडारी, उनकी दुकान पर चाय पीने आते थे. रामविलास ने अपने बेटे की जिद को देखते हुए भंडारी जी से कोचिंग की बात की. कोच भंडारी जी भी बच्चे की जिद को मानते हुए बिना शुल्क के कोचिंग देने को तैयार हो गए. मुकुल बाबू बनारसी दास बैडमिंटन अकादमी में कोचिंग लेने लगा और यहीं से उसका सफर शुरू हो गया.

स्पेशल रिपोर्ट...

ईटीवी भारत को बताई उपलब्धि
ईटीवी भारत से बात करते हुए बैडमिंटन के राष्ट्रीय खिलाड़ी मुकुल तिवारी ने बताया कि 16 साल की उम्र में साल 2018 में उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग लिया था. घर की हालत को देखते हुए उन्होंने ने जयपुर की अकादमी में कोचिंग देना भी शुरू कर दिया.

झांसी में दे रहा था कोचिंग
मुकुल ने बताया कि झांसी की एक निजी अकादमी में लॉकडाउन से पहले वे कोचिंग दे रहे थे, लेकिन कोरोना के चलते वे अभी घर पर ही हैं. उन्होंने बताया कि 2019 में उन्होंने यूपी स्टेट चैंपियनशिप के सिंगल्स में भी भाग लिया था. इसके साथ-साथ वे मिक्स्ड डबल चैंपियनशिप के सेमीफाइनल का सफर भी तय कर चुके हैं.

पिता पर नहीं डाल सकता बोझ
मुकुल ने बताया कि बैडमिंटन एक महंगा खेल है. वे किसी पर बोझ नहीं बनना चाहते. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि चाय का ठेला लगाना मजबूरी नहीं बल्कि मुझे प्रेरणा देती है. हर कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता. मुझे चाय समोसे बनाने में कोई शर्म नहीं लगती बल्कि मैं सम्मानजनक महसूस करता हूं.

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फाइल फोटो.
तय किया बड़ा लक्ष्यआत्मविश्वास से लबरेज मुकुल ने 2020 के लिए एक बड़ा लक्ष्य तय किया है. मुकुल ने कहा, 'कोरोना के चलते अभी लॉकडाउन चल रहा है. जब तक नौकरी नहीं मिल जाती, तब तक अपने पिता के चाय का ठेला संभालूंगा. इसके साथ ही अपने लक्ष्य पर भी फोकस करुंगा. मुझे सबसे पहले अपनी फिटनेस हासिल करनी है.' बैडमिंटन के राष्ट्रीय खिलाड़ी मुकुल ने कहा कि मंजिल तक पहुंचने के लिए अभी लंबा सफर तय करना है.खेल निदेशक ने दिया बयानइस मामले पर जब ईटीवी भारत ने खेल निदेशक आरपी सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 16 ओलंपिक गेम्स के लिए आर्थिक रूप से अक्षम खिलाड़ियों को बिना शुल्क प्रशिक्षण देती है. उन्होंने कहा कि इस समय 19 जनपदों में 3 स्पोर्ट्स कॉलेज और 44 हॉस्टल हैं.

ये भी पढ़ें: एक किडनी भी नहीं डिगा पाई आत्मविश्वास

खेल निदेशक आरपी सिंह ने बताया कि खेल में कोई भी बच्चा लड़का हो या लड़की, अगर खेल मे इंटरेस्टेड हैं तो वे अपना प्रैक्टिस करें. हर साल ट्रायल होते हैं. स्टेडियम में फ्री ऑफ कास्ट रजिस्ट्रेशन कराकर कोचिंग लेने की सुविधा है. वे वहां रजिट्रेशन कराकर कोचिंग ले सकते हैं. उन्होंने बताया कि हमारा हॉस्टल का ट्रायल होता है, इसके लिए पांचवीं पास और 15 साल से कम होना चाहिए. स्पोर्ट्स कॉलेज के लिए उम्र 12 साल से कम होनी चाहिए. इसके बाद जिला, मंडल और राज्य स्तर पर खिलाड़ी का चयन होता है.

लखनऊ: राष्ट्रीय बैंडमिंटन खिलाड़ी मुकुल तिवारी इस समय पिता के चाय का ठेला संभाल रहे हैं. मुकुल किसी परिचय के मोहताज नहीं है. 18 साल का यह राष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी कई प्रतियोगिताओं में अपना जलवा बिखेर चुका है.

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फाइल फोटो.

मुकुल की कहानी
बहराइच निवासी मुकुल के पिता रामविलास तिवारी गोमतीनगर के बाबू बनारसी दास बैडमिंटन अकादमी के सामने कई सालों से चाय का ठेला लगाते हैं. मुकुल के पिता बताते हैं कि यह बात साल 2010 की है, जब उनका लड़का मुकुल करीब 8 साल का था और दूसरे बच्चों को देखकर बैडमिंटन खेलने की जिद करता था. उस समय अकादमी के कोच पीके भंडारी, उनकी दुकान पर चाय पीने आते थे. रामविलास ने अपने बेटे की जिद को देखते हुए भंडारी जी से कोचिंग की बात की. कोच भंडारी जी भी बच्चे की जिद को मानते हुए बिना शुल्क के कोचिंग देने को तैयार हो गए. मुकुल बाबू बनारसी दास बैडमिंटन अकादमी में कोचिंग लेने लगा और यहीं से उसका सफर शुरू हो गया.

स्पेशल रिपोर्ट...

ईटीवी भारत को बताई उपलब्धि
ईटीवी भारत से बात करते हुए बैडमिंटन के राष्ट्रीय खिलाड़ी मुकुल तिवारी ने बताया कि 16 साल की उम्र में साल 2018 में उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग लिया था. घर की हालत को देखते हुए उन्होंने ने जयपुर की अकादमी में कोचिंग देना भी शुरू कर दिया.

झांसी में दे रहा था कोचिंग
मुकुल ने बताया कि झांसी की एक निजी अकादमी में लॉकडाउन से पहले वे कोचिंग दे रहे थे, लेकिन कोरोना के चलते वे अभी घर पर ही हैं. उन्होंने बताया कि 2019 में उन्होंने यूपी स्टेट चैंपियनशिप के सिंगल्स में भी भाग लिया था. इसके साथ-साथ वे मिक्स्ड डबल चैंपियनशिप के सेमीफाइनल का सफर भी तय कर चुके हैं.

पिता पर नहीं डाल सकता बोझ
मुकुल ने बताया कि बैडमिंटन एक महंगा खेल है. वे किसी पर बोझ नहीं बनना चाहते. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि चाय का ठेला लगाना मजबूरी नहीं बल्कि मुझे प्रेरणा देती है. हर कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता. मुझे चाय समोसे बनाने में कोई शर्म नहीं लगती बल्कि मैं सम्मानजनक महसूस करता हूं.

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फाइल फोटो.
तय किया बड़ा लक्ष्यआत्मविश्वास से लबरेज मुकुल ने 2020 के लिए एक बड़ा लक्ष्य तय किया है. मुकुल ने कहा, 'कोरोना के चलते अभी लॉकडाउन चल रहा है. जब तक नौकरी नहीं मिल जाती, तब तक अपने पिता के चाय का ठेला संभालूंगा. इसके साथ ही अपने लक्ष्य पर भी फोकस करुंगा. मुझे सबसे पहले अपनी फिटनेस हासिल करनी है.' बैडमिंटन के राष्ट्रीय खिलाड़ी मुकुल ने कहा कि मंजिल तक पहुंचने के लिए अभी लंबा सफर तय करना है.खेल निदेशक ने दिया बयानइस मामले पर जब ईटीवी भारत ने खेल निदेशक आरपी सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 16 ओलंपिक गेम्स के लिए आर्थिक रूप से अक्षम खिलाड़ियों को बिना शुल्क प्रशिक्षण देती है. उन्होंने कहा कि इस समय 19 जनपदों में 3 स्पोर्ट्स कॉलेज और 44 हॉस्टल हैं.

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खेल निदेशक आरपी सिंह ने बताया कि खेल में कोई भी बच्चा लड़का हो या लड़की, अगर खेल मे इंटरेस्टेड हैं तो वे अपना प्रैक्टिस करें. हर साल ट्रायल होते हैं. स्टेडियम में फ्री ऑफ कास्ट रजिस्ट्रेशन कराकर कोचिंग लेने की सुविधा है. वे वहां रजिट्रेशन कराकर कोचिंग ले सकते हैं. उन्होंने बताया कि हमारा हॉस्टल का ट्रायल होता है, इसके लिए पांचवीं पास और 15 साल से कम होना चाहिए. स्पोर्ट्स कॉलेज के लिए उम्र 12 साल से कम होनी चाहिए. इसके बाद जिला, मंडल और राज्य स्तर पर खिलाड़ी का चयन होता है.

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