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LDA अफसरों की लापरवाही से खंडहर में बदल गई नंदाखेड़ा बिल्डिंग

यूपी की राजधानी लखनऊ में एलडीए अफसरों की लापरवाही के चलते नंदखेड़ा बिल्डिंग खंडहर में बदल गई है. इतना ही नहीं लापरवाही के चलते जर्जर हो चुकी इस बिल्डिंग में रह रहे अवैध कब्जेदारों की जान को भी खतरा है. अब इस बिल्डिंग की सुध एलडीए के अधिकारियों ने ली है. जिसके बाद इसके दिन बहुरने की संभावना प्रबल हो रही है.

खंडहर में बदल गई नंदाखेड़ा बिल्डिंग
खंडहर में बदल गई नंदाखेड़ा बिल्डिंग
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Published : Jan 15, 2021, 6:59 PM IST

लखनऊ: एलडीए के अफसरों की लापरवाही के चलते ऐशबाग स्थित नंदा खेड़ा बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. इस बिल्डिंग में अवैध रूप से जो लोग रह रहे हैं उनकी जान से भी खिलवाड़ हो रहा है. इस बिल्डिंग को बने हुए करीब 4 दशक हो चुके हैं, लेकिन लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की लापरवाही के चलते इसमें किसी भी एक फ्लैट या दुकान का एलॉटमेंट नहीं किया जा सका है. जितने भी यहां पर लोग रह रहे हैं वह पूरी तरह से अवैध कब्जेदार के रूप में हैं. अब एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने इसके सदुपयोग को लेकर प्रस्ताव मांगा है.

खंडहर में बदल गई नंदाखेड़ा बिल्डिंग.
ऐशबाग की नंदखेड़ा योजना बदहाल
एलडीए ने ऐशबाग में नंदाखेड़ा योजना के नाम से 1980 के आसपास इसका निर्माण कराया था, लेकिन अफसरों की लापरवाही की वजह से तब से लेकर अब तक इस बिल्डिंग का तो ना रखरखाव किया गया और ना ही इस की दुकानें और फ्लैट का आवंटन किया गया. ऐसे में यह बिल्डिंग लगातार जर्जर होती चली गई, इसमें 20 से अधिक लोग अवैध रूप से भी रह रहे हैं.


करोडों रूपये की है ये जमीन, सदुपयोग के लिए तैयार होगा प्रस्ताव
करोड़ों रुपये की कीमत की इस जमीन पर अब कोई नई योजना लाने की तैयारी की जा रही है. लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश का कहना है कि उन्होंने अधिकारियों से इस जमीन को सदुपयोग में लाने और कोई नई योजना का प्रस्ताव तैयार करने को कहा है. ऐसे में अगर लखनऊ विकास प्राधिकरण करीब 70 हजार वर्ग फीट जमीन पर कोई नई योजना लाता है, तो इस बिल्डिंग को धराशाई करके नया निर्माण कराया जाएगा. जो लोग अवैध रूप से इसमें रह रहे हैं उन्हें यहां से हटा दिया जाएगा.
अधिकारियों ने किया है निरीक्षण, बनेगा प्रस्ताव
यही नहीं लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश के निर्देश के बाद एलडीए के अधिकारियों की एक टीम ने इस जर्जर बिल्डिंग का मौका मुआयना भी किया है. यह अधिकारी जल्द ही एक रिपोर्ट बनाकर वीसी को देंगे. वहीं सूत्रों का कहना है कि इस बिल्डिंग में जो लोग अवैध रूप से रह रहे हैं उन्हें एलडीए का ही एक कर्मचारी संरक्षण देता है और अवैध कब्जेदार के रूप में उनसे किराया भी वसूल करता है.

लखनऊ: एलडीए के अफसरों की लापरवाही के चलते ऐशबाग स्थित नंदा खेड़ा बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. इस बिल्डिंग में अवैध रूप से जो लोग रह रहे हैं उनकी जान से भी खिलवाड़ हो रहा है. इस बिल्डिंग को बने हुए करीब 4 दशक हो चुके हैं, लेकिन लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की लापरवाही के चलते इसमें किसी भी एक फ्लैट या दुकान का एलॉटमेंट नहीं किया जा सका है. जितने भी यहां पर लोग रह रहे हैं वह पूरी तरह से अवैध कब्जेदार के रूप में हैं. अब एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने इसके सदुपयोग को लेकर प्रस्ताव मांगा है.

खंडहर में बदल गई नंदाखेड़ा बिल्डिंग.
ऐशबाग की नंदखेड़ा योजना बदहाल
एलडीए ने ऐशबाग में नंदाखेड़ा योजना के नाम से 1980 के आसपास इसका निर्माण कराया था, लेकिन अफसरों की लापरवाही की वजह से तब से लेकर अब तक इस बिल्डिंग का तो ना रखरखाव किया गया और ना ही इस की दुकानें और फ्लैट का आवंटन किया गया. ऐसे में यह बिल्डिंग लगातार जर्जर होती चली गई, इसमें 20 से अधिक लोग अवैध रूप से भी रह रहे हैं.


करोडों रूपये की है ये जमीन, सदुपयोग के लिए तैयार होगा प्रस्ताव
करोड़ों रुपये की कीमत की इस जमीन पर अब कोई नई योजना लाने की तैयारी की जा रही है. लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश का कहना है कि उन्होंने अधिकारियों से इस जमीन को सदुपयोग में लाने और कोई नई योजना का प्रस्ताव तैयार करने को कहा है. ऐसे में अगर लखनऊ विकास प्राधिकरण करीब 70 हजार वर्ग फीट जमीन पर कोई नई योजना लाता है, तो इस बिल्डिंग को धराशाई करके नया निर्माण कराया जाएगा. जो लोग अवैध रूप से इसमें रह रहे हैं उन्हें यहां से हटा दिया जाएगा.
अधिकारियों ने किया है निरीक्षण, बनेगा प्रस्ताव
यही नहीं लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश के निर्देश के बाद एलडीए के अधिकारियों की एक टीम ने इस जर्जर बिल्डिंग का मौका मुआयना भी किया है. यह अधिकारी जल्द ही एक रिपोर्ट बनाकर वीसी को देंगे. वहीं सूत्रों का कहना है कि इस बिल्डिंग में जो लोग अवैध रूप से रह रहे हैं उन्हें एलडीए का ही एक कर्मचारी संरक्षण देता है और अवैध कब्जेदार के रूप में उनसे किराया भी वसूल करता है.

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