लखनऊ: पवित्र महीना रमजान बेहद नेकियों वाला महीना है. इस्लाम धर्म में इसको सबसे पाक महीना माना गया है. मुस्लिम समुदाय के अनुसार इस महीने एक नेकी (किसी की मदद) करने पर 70 गुना सवाब मिलता है. इस महीने के अंत में हर मुसलमान सदका-ए- फितर अदा करता है जो गरीबों और जरूरतमंदों को आर्थिक मदद के तौर पर दिया जाता है. शहर काजी अबुल इरफान फिरंगी महली ने इस वर्ष सदका-ए-फितर के तौर पर 50 रुपये प्रत्येक मुसलमान को देने की बात कही है.
गेहूं की दर पर निर्धारित होता है सदका-ए-फितर
इदारा ए शरइया, दारुल इफ्ता वल कजा फिरंगीमहल के अध्यक्ष मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली ने बताया कि सदका-ए-फितर की राशि गेहूं के वर्तमान दर को ध्यान में रखकर निर्धारित की जाती है. इस साल औसत किस्म के दो किलो 45 ग्राम गेंहू की कीमत 50 रुपये है. इसलिए मुसलमान सदका-ए-फितर के तौर पर रकम 50 रुपये अदा करेंगे. फितरा रमजान के रोजे की कमी को पूरा करने के लिए या जान के सदके के तौर पर ईद उल फितर के दिन या पहले या बाद में दिया जा सकता है.
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परिवार के हर सदस्य का अदा करना होता है फितरा
घर का मुखिया सभी सदस्यों का सदका-ए-फितर अदा करें. परिवार के मुखिया को 2.045 किग्रा गेहूं या उसकी कीमत प्रति सदस्य के हिसाब से निकालकर उस धनराशि को गरीब मोहताज, अनाथ बच्चों, फकीर और जरूरतमंद को देना चाहिए. मुफ्ती साहब ने कहा सदका ईद उल फितर इस्लाम के इतिहास में जकात से पहले वाजिब हुआ.