ETV Bharat / state

लखनऊ: मुस्लिम धर्मगुरु का बयान, मथुरा- काशी पर नहीं होनी चाहिए सियासत - प्लेस ऑफ वर्षिप एक्ट

विश्व भद्र पुजारी महासंघ ने प्लेसेस ऑफ वर्षिप एक्ट के सेक्शन 4 को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इसी याचिका पर दारुल उलूम फरंगी महल के सरपरस्त मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि कोर्ट के फैसले का इंतजार करें, लोग मसले पर सियासत न करें.

मथुरा ईदगाह पर सियासत शुरू.
मथुरा ईदगाह पर सियासत शुरू.
author img

By

Published : Jul 24, 2020, 5:18 PM IST

लखनऊ: ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह के मामले पर सियासत शुरू होती नजर आ रही है. इसी बाबत दारुल उलूम फरंगी महल के सरपरस्त मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने सभी लोगों से इस मसले पर सियासत न करने की अपील की है और कहा कि कोर्ट के फैसले का इंतेजार करें.

कोर्ट के फैसले का इंतजार
दारुल उलूम फरंगी महल के सरपरस्त मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बयान देते हुए कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद का मसला काफी अहम और कानूनी मसला है. इस मसले को दो पक्षकारों के रूप में देखा जाना चाहिए. इसे हिन्दू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. यह मामला देश की सबसे बड़ी अदालत में है. हम सबको मुल्क की अदालत पर इत्मीनान रखना चाहिए. अदालत मुल्क के कानून और सबूत की बुनियाद पर फैसला देगी, जिस पर किसी किस्म की सियासत नहीं की जानी चाहिए.

क्या है विवाद
दरअसल मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली का बयान उस समय आया है, जब पीस पार्टी ने ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में मांग की गई है कि विश्व भद्र पुजारी महासंघ की उस याचिका को खारिज किया जाए, जिसमें विश्व भद्र पुजारी महासंघ ने 1991 के प्लेस ऑफ वरशिप एक्ट के सेक्शन 4 को चुनौती देते हुए उसे खत्म किए जाने की मांग की है.

गौरतलब है कि देश में एक लंबे अरसे के बाद अयोध्या विवाद सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद समाप्त हो गया है. अब आरोप है कि 18 सितम्बर 1991 को प्लेसेस ऑफ वर्षिप एक्ट के सेक्शन 4 को विश्व भद्र पुजारी महासंघ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर फिर से एक नया विवाद पैदा कर दिया है.

पीट पार्टी की मांग
इस विवाद पर मुसलमानों की बड़ी संस्थाओं में शुमार जमीयत उलेमा ए हिन्द कोर्ट में याचिका के माध्यम से अपना विरोध जता चुकी है, लेकिन अब सियासी पार्टियों में शुमार होने वाली पीस पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर विश्व भद्र पुजारी महासंघ की याचिका पर ऐतराज जताया है.

पीस पार्टी ने मांंग की है कि पुजारी महासंघ की याचिका को कानून और संविधान की खिलाफवर्जी मानते हुए खारिज किया जाना चाहिए, जिससे यह माना जा रहा है कि एक बार फिर से धर्म के नाम पर सियासत तेज हो सकती है

लखनऊ: ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह के मामले पर सियासत शुरू होती नजर आ रही है. इसी बाबत दारुल उलूम फरंगी महल के सरपरस्त मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने सभी लोगों से इस मसले पर सियासत न करने की अपील की है और कहा कि कोर्ट के फैसले का इंतेजार करें.

कोर्ट के फैसले का इंतजार
दारुल उलूम फरंगी महल के सरपरस्त मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बयान देते हुए कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद का मसला काफी अहम और कानूनी मसला है. इस मसले को दो पक्षकारों के रूप में देखा जाना चाहिए. इसे हिन्दू और मुस्लिम के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. यह मामला देश की सबसे बड़ी अदालत में है. हम सबको मुल्क की अदालत पर इत्मीनान रखना चाहिए. अदालत मुल्क के कानून और सबूत की बुनियाद पर फैसला देगी, जिस पर किसी किस्म की सियासत नहीं की जानी चाहिए.

क्या है विवाद
दरअसल मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली का बयान उस समय आया है, जब पीस पार्टी ने ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में मांग की गई है कि विश्व भद्र पुजारी महासंघ की उस याचिका को खारिज किया जाए, जिसमें विश्व भद्र पुजारी महासंघ ने 1991 के प्लेस ऑफ वरशिप एक्ट के सेक्शन 4 को चुनौती देते हुए उसे खत्म किए जाने की मांग की है.

गौरतलब है कि देश में एक लंबे अरसे के बाद अयोध्या विवाद सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद समाप्त हो गया है. अब आरोप है कि 18 सितम्बर 1991 को प्लेसेस ऑफ वर्षिप एक्ट के सेक्शन 4 को विश्व भद्र पुजारी महासंघ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर फिर से एक नया विवाद पैदा कर दिया है.

पीट पार्टी की मांग
इस विवाद पर मुसलमानों की बड़ी संस्थाओं में शुमार जमीयत उलेमा ए हिन्द कोर्ट में याचिका के माध्यम से अपना विरोध जता चुकी है, लेकिन अब सियासी पार्टियों में शुमार होने वाली पीस पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर विश्व भद्र पुजारी महासंघ की याचिका पर ऐतराज जताया है.

पीस पार्टी ने मांंग की है कि पुजारी महासंघ की याचिका को कानून और संविधान की खिलाफवर्जी मानते हुए खारिज किया जाना चाहिए, जिससे यह माना जा रहा है कि एक बार फिर से धर्म के नाम पर सियासत तेज हो सकती है

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.