ETV Bharat / state

पुलिस में दाढ़ी रखने की याचिका खारिज होने पर मुस्लिम धर्मगुरु ने कोर्ट से की पुनर्विचार की अपील

author img

By

Published : Aug 24, 2021, 3:39 PM IST

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने यूपी पुलिस में दाढ़ी रखने पर रोक के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस फोर्स की छवि पंथ निरपेक्ष होनी चाहिए. न्यायालय ने कहा कि अपने एसएचओ की चेतावनी के बावजूद दाढ़ी न कटवा कर याची ने कदाचरण किया है. जिसके बाद मौलाना सूफियान निजामी ने कोर्ट से फैसले पर पुनर्विचार की अपील की है.

कोर्ट से की पुनर्विचार की अपील
कोर्ट से की पुनर्विचार की अपील

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को पुलिस फोर्स में दाढ़ी रखने को संविधानिक अधिकार नहीं माना है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याची सिपाही द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है. वहीं अब कोर्ट के इस फैसले के बाद मुस्लिम धर्मगुरू और दारूल उलूम फिरंगी महल मौलाना सूफियान निजामी ने कोर्ट से पुनर्विचार करने की मांग की है.

मुस्लिम धर्मगुरु और दारूल उलूम फिरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सूफियान निजामी ने कहा कि मजहब के नाम पर किसी भी तरह का भेदभाव को सही नहीं ठहराया जा सकता है. बड़ा सवाल खड़ा करते हुए मौलाना सूफियान निजामी ने कहा कि जब थानों में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा सकता है, थानों में मंदिरों का निर्माण हो सकता है और कोई पुलिसवाला तिलक लगाकर ड्यूटी निभा सकता है, तो फिर किसी शख्स को उसके दाढ़ी रखने पर किस बिनाह पर एतराज किया जा सकता है.

मुस्लिम धर्मगुरु ने कोर्ट से की पुनर्विचार की अपील
कोर्ट से पुनर्विचार करने की अपील
मौलाना सूफियान निजामी ने कहा कि कोर्ट ने जिस याचिका को खारिज किया है, उस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. एक व्यक्ति जिसको कानून ने यह अधिकार दिया है कि वह अपनी मर्ज़ी से अपने मजहब पर अमल कर सकता है और अपनी मजहबी शिनाख्त को बना सकता है. ऐसी सूरत में किसी को भी हक नहीं होना चाहिए कि वह उसके मजहबी काम को करने में रोड़ा अटकाए. मौलाना ने कहा कि मेरा यह मानना है कि जिस मुल्क का संविधान धर्मनिरपेक्ष हो और मुल्क में हर शख्स को यह आज़ादी हो कि वह अपने मजहब के मुताबिक अमल कर सकता है, ऐसे में किसी भी पुलिसवाले को उसके मजहब की बातों को अमल करने से रोकना जायज़ बात नहीं होगी.
मौलाना सूफियान निजामी

इसे भी पढ़ें- पुलिस फोर्स में दाढ़ी रखने पर रोक के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज

बता दें कि सोमवार को सुनवाई के दौरान याची की ओर से दलील दी गई कि संविधान में प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत उसने मुस्लिम सिद्धांतों के कारण दाढ़ी रखी हुई है. याची का कहना था कि उसने दाढ़ी रखने की अनुमति के लिए एक प्रत्यावेदन भी दिया, जिसे अस्वीकार कर दिया गया. याची ने इसे अनुच्छेद 25 के तहत मिले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के विपरीत बताया. याचिका का राज्य सरकार के अधिवक्ता ने विरोध किया. उन्होंने दोनों ही याचिकाओं के पोषणीयता पर सवाल उठाए. न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात पारित अपने निर्णय में कहा कि 26 अक्टूबर 2020 का सर्कुलर एक कार्यकारी आदेश है, जो पुलिस फोर्स में अनुशासन को बनाए रखने के लिए जारी किया गया है. पुलिस फोर्स की छवि पंथ निरपेक्ष होनी चाहिए. न्यायालय ने कहा कि अपने एसएचओ की चेतावनी के बावजूद दाढ़ी न कटवा कर याची ने कदाचरण किया है.

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को पुलिस फोर्स में दाढ़ी रखने को संविधानिक अधिकार नहीं माना है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याची सिपाही द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है. वहीं अब कोर्ट के इस फैसले के बाद मुस्लिम धर्मगुरू और दारूल उलूम फिरंगी महल मौलाना सूफियान निजामी ने कोर्ट से पुनर्विचार करने की मांग की है.

मुस्लिम धर्मगुरु और दारूल उलूम फिरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सूफियान निजामी ने कहा कि मजहब के नाम पर किसी भी तरह का भेदभाव को सही नहीं ठहराया जा सकता है. बड़ा सवाल खड़ा करते हुए मौलाना सूफियान निजामी ने कहा कि जब थानों में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा सकता है, थानों में मंदिरों का निर्माण हो सकता है और कोई पुलिसवाला तिलक लगाकर ड्यूटी निभा सकता है, तो फिर किसी शख्स को उसके दाढ़ी रखने पर किस बिनाह पर एतराज किया जा सकता है.

मुस्लिम धर्मगुरु ने कोर्ट से की पुनर्विचार की अपील
कोर्ट से पुनर्विचार करने की अपील
मौलाना सूफियान निजामी ने कहा कि कोर्ट ने जिस याचिका को खारिज किया है, उस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए. एक व्यक्ति जिसको कानून ने यह अधिकार दिया है कि वह अपनी मर्ज़ी से अपने मजहब पर अमल कर सकता है और अपनी मजहबी शिनाख्त को बना सकता है. ऐसी सूरत में किसी को भी हक नहीं होना चाहिए कि वह उसके मजहबी काम को करने में रोड़ा अटकाए. मौलाना ने कहा कि मेरा यह मानना है कि जिस मुल्क का संविधान धर्मनिरपेक्ष हो और मुल्क में हर शख्स को यह आज़ादी हो कि वह अपने मजहब के मुताबिक अमल कर सकता है, ऐसे में किसी भी पुलिसवाले को उसके मजहब की बातों को अमल करने से रोकना जायज़ बात नहीं होगी.
मौलाना सूफियान निजामी

इसे भी पढ़ें- पुलिस फोर्स में दाढ़ी रखने पर रोक के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज

बता दें कि सोमवार को सुनवाई के दौरान याची की ओर से दलील दी गई कि संविधान में प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत उसने मुस्लिम सिद्धांतों के कारण दाढ़ी रखी हुई है. याची का कहना था कि उसने दाढ़ी रखने की अनुमति के लिए एक प्रत्यावेदन भी दिया, जिसे अस्वीकार कर दिया गया. याची ने इसे अनुच्छेद 25 के तहत मिले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के विपरीत बताया. याचिका का राज्य सरकार के अधिवक्ता ने विरोध किया. उन्होंने दोनों ही याचिकाओं के पोषणीयता पर सवाल उठाए. न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के पश्चात पारित अपने निर्णय में कहा कि 26 अक्टूबर 2020 का सर्कुलर एक कार्यकारी आदेश है, जो पुलिस फोर्स में अनुशासन को बनाए रखने के लिए जारी किया गया है. पुलिस फोर्स की छवि पंथ निरपेक्ष होनी चाहिए. न्यायालय ने कहा कि अपने एसएचओ की चेतावनी के बावजूद दाढ़ी न कटवा कर याची ने कदाचरण किया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.