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Museum in Roadways workshop : कानपुर कार्यशाला में संजोए जाएंगे अंग्रेजों के जमाने के औजार

रोडवेज की केंद्रीय कार्यशाला कानपुर को म्यूजियम (Museum in Roadways workshop) बनाने की तैयारी है. यूपी के परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने निरीक्षण के बाद उनके सुझाव पर अधिकारियों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. वर्ष 1939-1945 (द्वितीय विश्वयुद्ध) के दौरान अंग्रेजों ने कानपुर में कार्यशाला स्थापित की थी.

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Published : Jan 12, 2023, 9:37 PM IST

Updated : Jan 12, 2023, 9:56 PM IST

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम कानपुर स्थित केंद्रीय कार्यशाला में एक म्यूजियम बनाने की तैयारी कर रहा है. इस म्यूजियम में अंग्रेजों के जमाने के औजार उपलब्ध होंगे. दर्शक इस म्यूजियम में अंग्रेजों के जमाने के इन औजारों का दीदार कर सकेंगे. हाल ही में उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह केंद्रीय कार्यशाला का निरीक्षण करने गए थे. उन्हें यहां पर जब अंग्रेजों के जमाने के पुराने औजार दिखे तो उन्होंने अधिकारियों को म्यूजियम बनाने का सुझाव दिया. अब परिवहन मंत्री के सुझाव पर रोडवेज के अधिकारी म्यूजियम बनाने की तैयारी में जुट गए हैं.

कानपुर कार्यशाला में संजोए जाएंगे अंग्रेजों के जमाने के औजार
कानपुर कार्यशाला में संजोए जाएंगे अंग्रेजों के जमाने के औजार

अंग्रेजों के जमाने में द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-1945) के दौरान कानपुर में अंग्रेजों की बड़ी जमीन हुआ करती थी. यहां पर अंग्रेजों ने कार्यशाला स्थापित की थी. जिसमें प्रमुख रूप से युद्ध की जरूरत के अनुसार जहाज के कल पुर्जे, युद्ध के लिए ट्रांसपोर्ट ट्रक और अन्य तरह के वाहनों का निर्माण किया जाता था. 15 अक्टूबर 1947 को कार्यशाला की पूरी प्रॉपर्टी तत्कालीन उत्तर प्रदेश राजकीय रोडवेज को हस्तांतरित हो गई. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कार्यशाला में बसों का निर्माण होने लगा. इस केंद्रीय कार्यशाला में वर्ष 1948 में 22 सीटर पहली बस निर्मित की गई. एक जून 1972 को परिवहन निगम के गठन के बाद ये इमारत यूपीएसआरटीसी के कंट्रोल में आई. इस कार्यशाला में बस निर्माण का सारा काम होता है. अब नट बोल्ट से लेकर इंजन और बस की चेसिस बनाने का काम इसी कार्यशाला में होता है. अब इस कार्यशाला में पहली बार यूरो6 की दो बसों का भी निर्माण किया है. अब यहां पर यूरो6 बसों का भी निर्माण होगा.

कानपुर कार्यशाला में संजोए जाएंगे अंग्रेजों के जमाने के औजार
कानपुर कार्यशाला में संजोए जाएंगे अंग्रेजों के जमाने के औजार

औजारों को देख आकर्षित हुए परिवहन मंत्री : हाल ही में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह इसी कार्यशाला का निरीक्षण करने गए थे और तब उन्हें अंग्रेजों के जमाने के औजार यहां पर रखे दिखे. इन औजारों ने परिवहन मंत्री को इस कदर आकर्षित किया कि उन्होंने अधिकारियों को म्यूजियम बनाने की सलाह दे डाली. अधिकारियों को भी परिवहन मंत्री का यह सुझाव काफी पसंद आया और अब अंग्रेजों के समय के इस कार्यशाला में रखे औजारों को एकत्रित किया जा रहा है. अंग्रेजों के जमाने का हथौड़ा यहां पर आकर्षण का केंद्र बनेगा.

कानपुर स्थित केंद्रीय कार्यशाला
कानपुर स्थित केंद्रीय कार्यशाला

लखनऊ कार्यशाला में भी मिली प्रिंटिंग प्रेस : लखनऊ की क्षेत्रीय कार्यशाला में भी अंग्रेजों के जमाने की एक प्रिंटिंग प्रेस मिली है. अब इसकी साफ-सफाई कराकर केंद्रीय कार्यशाला को भेजा जाएगा. यह प्रिंटिंग प्रेस भी कानपुर सेंट्रल वर्कशॉप में बनने वाले म्यूजियम में रखी जाएगी. अधिकारी बताते हैं कि काफी समय से यह प्रिंटिंग प्रेस कार्यशाला में रखी हुई थी, लेकिन किसी का ध्यान ही नहीं गया. अब जब खोजबीन शुरू हुई तो इसकी साफ-सफाई कर इसे सही किया जा रहा है. इसके बाद इसे कानपुर केंद्रीय कार्यशाला को भेजा जाएगा.

यह भी पढ़ें : ENCROACHMENT ON RAILWAY LAND : रेलवे की बेशकीमती जमीनों पर बन गए कच्चे-पक्के घर

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम कानपुर स्थित केंद्रीय कार्यशाला में एक म्यूजियम बनाने की तैयारी कर रहा है. इस म्यूजियम में अंग्रेजों के जमाने के औजार उपलब्ध होंगे. दर्शक इस म्यूजियम में अंग्रेजों के जमाने के इन औजारों का दीदार कर सकेंगे. हाल ही में उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह केंद्रीय कार्यशाला का निरीक्षण करने गए थे. उन्हें यहां पर जब अंग्रेजों के जमाने के पुराने औजार दिखे तो उन्होंने अधिकारियों को म्यूजियम बनाने का सुझाव दिया. अब परिवहन मंत्री के सुझाव पर रोडवेज के अधिकारी म्यूजियम बनाने की तैयारी में जुट गए हैं.

कानपुर कार्यशाला में संजोए जाएंगे अंग्रेजों के जमाने के औजार
कानपुर कार्यशाला में संजोए जाएंगे अंग्रेजों के जमाने के औजार

अंग्रेजों के जमाने में द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-1945) के दौरान कानपुर में अंग्रेजों की बड़ी जमीन हुआ करती थी. यहां पर अंग्रेजों ने कार्यशाला स्थापित की थी. जिसमें प्रमुख रूप से युद्ध की जरूरत के अनुसार जहाज के कल पुर्जे, युद्ध के लिए ट्रांसपोर्ट ट्रक और अन्य तरह के वाहनों का निर्माण किया जाता था. 15 अक्टूबर 1947 को कार्यशाला की पूरी प्रॉपर्टी तत्कालीन उत्तर प्रदेश राजकीय रोडवेज को हस्तांतरित हो गई. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कार्यशाला में बसों का निर्माण होने लगा. इस केंद्रीय कार्यशाला में वर्ष 1948 में 22 सीटर पहली बस निर्मित की गई. एक जून 1972 को परिवहन निगम के गठन के बाद ये इमारत यूपीएसआरटीसी के कंट्रोल में आई. इस कार्यशाला में बस निर्माण का सारा काम होता है. अब नट बोल्ट से लेकर इंजन और बस की चेसिस बनाने का काम इसी कार्यशाला में होता है. अब इस कार्यशाला में पहली बार यूरो6 की दो बसों का भी निर्माण किया है. अब यहां पर यूरो6 बसों का भी निर्माण होगा.

कानपुर कार्यशाला में संजोए जाएंगे अंग्रेजों के जमाने के औजार
कानपुर कार्यशाला में संजोए जाएंगे अंग्रेजों के जमाने के औजार

औजारों को देख आकर्षित हुए परिवहन मंत्री : हाल ही में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह इसी कार्यशाला का निरीक्षण करने गए थे और तब उन्हें अंग्रेजों के जमाने के औजार यहां पर रखे दिखे. इन औजारों ने परिवहन मंत्री को इस कदर आकर्षित किया कि उन्होंने अधिकारियों को म्यूजियम बनाने की सलाह दे डाली. अधिकारियों को भी परिवहन मंत्री का यह सुझाव काफी पसंद आया और अब अंग्रेजों के समय के इस कार्यशाला में रखे औजारों को एकत्रित किया जा रहा है. अंग्रेजों के जमाने का हथौड़ा यहां पर आकर्षण का केंद्र बनेगा.

कानपुर स्थित केंद्रीय कार्यशाला
कानपुर स्थित केंद्रीय कार्यशाला

लखनऊ कार्यशाला में भी मिली प्रिंटिंग प्रेस : लखनऊ की क्षेत्रीय कार्यशाला में भी अंग्रेजों के जमाने की एक प्रिंटिंग प्रेस मिली है. अब इसकी साफ-सफाई कराकर केंद्रीय कार्यशाला को भेजा जाएगा. यह प्रिंटिंग प्रेस भी कानपुर सेंट्रल वर्कशॉप में बनने वाले म्यूजियम में रखी जाएगी. अधिकारी बताते हैं कि काफी समय से यह प्रिंटिंग प्रेस कार्यशाला में रखी हुई थी, लेकिन किसी का ध्यान ही नहीं गया. अब जब खोजबीन शुरू हुई तो इसकी साफ-सफाई कर इसे सही किया जा रहा है. इसके बाद इसे कानपुर केंद्रीय कार्यशाला को भेजा जाएगा.

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Last Updated : Jan 12, 2023, 9:56 PM IST
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