लखनऊ : नगर निगम मंगलवार से शहर में मच्छरों से निपटने के लिए कोल्ड फॉगिंग कराएगा. इससे लोगों को मच्छरों के डंक से छुटकारा मिलेगा ही सेहत को भी कम नुकसान होगा. इसके लिए नगर निगम के अधिकारियों ने पूरी तैयारी कर ली है, वहीं कोल्ड फॉगिंग का डेमो भी दिया जा चुका है. अधिकारियों का दावा है कि कोल्ड फॉगिंग से एक ओर जहां मच्छर मरेंगे, वहीं नगर निगम को लाखों रुपये की बचत भी होगी. कोल्ड फॉगिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनों की खरीदारी की प्रक्रिया चल रही है.
खर्च होता है 60 लीटर डीजल : नगर स्वास्थ्य अधिकारी सुनील रावत ने बताया कि 'नगर निगम में 45 बड़ी और 110 छोटी फॉगिंग मशीनें हैं. बड़ी मशीन में दवा के साथ 60 लीटर डीजल खर्च होता है, वहीं छोटी मशीन में आठ लीटर डीजल खर्च होता है. मशीन को चलाने के लिए पेट्रोल लगता है. थर्मल फॉगिंग मशीन वाहन पर लगी होती है. यानी फॉगिंग के डीजल के साथ ही वाहन के डीजल, मशीन चलाने के लिए पेट्रोल, वाहन चालक और मशीन चलाने वाले के वेतन पर खर्च करना होता है. इसके बाद भी मच्छरों का प्रकोप कम नहीं हो रहा है, वहीं धुएं के कारण प्रदूषण भी काफी होता है, लेकिन कोल्ड फॉगिंग से ऐसा कुछ भी नहीं होगा. वहीं पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा. नगर निगम सीमा में 110 वार्ड हैं, इसमें गाड़ियों के हिसाब से रोस्टर तैयार किया गया है, लेकिन गाड़ियां उपलब्ध न होने से पुरानी गाड़ियों में तकनीकी बदलाव कर इस्तेमाल किया जाएगा. नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुनील कुमार रावत ने बताया 'मंगलवार को इसका शुभारंभ कराने की तैयारी है. नई मशीन खरीदने के लिए नगर आयुक्त को प्रस्ताव दिया गया है.'
पानी में केमिकल मिलाकर होगी फॉगिंग : नगर स्वास्थ्य अधिकारी सुनील रावत ने बताया कि 'वर्तमान में फॉगिंग के लिए डीजल में केमिकल मिलाकर फॉगिंग कराई जाती है, लेकिन कोल्ड फॉगिंग मशीन में डीजल की जरूरत नहीं पड़ेगी, वहीं पानी में केमिकल मिलाकर फॉगिंग कराई जाएगी. इससे हमारे आसपास रखे पानी को भी नुकसान नहीं होगा, वहीं तालाबों के किनारे और नालियों में भी इसका छिड़काव होगा. ऐसे में मच्छरों के पनपने की भी संभावना पूरी तरह से खत्म हो जाएगी.'
लंबे समय तक रहता है स्प्रे का असर : नगर स्वास्थ्य अधिकारी सुनील रावत ने बताया कि 'कोल्ड फॉगिंग मशीन की खासियत यह होगी कि शहर की बंद नालियों के अंदर भी इस मशीन से फॉगिंग की जा सकेगी. इसका फायदा यह होगा कि कवर्ड नालियां भी फॉगिंग से नहीं बच पाएंगी, वहीं ऊंचाई वाली जगहों पर भी मच्छरों को कंट्रोल करने में इससे काफी मदद मिलेगी. चूंकि पानी और केमिकल से स्प्रे करने पर असर भी लंबे समय तक रहेगा, जबकि फॉगिंग के धुएं का असर कुछ देर में खत्म हो जाता है. नगर स्वास्थ्य अधिकारी सुनील रावत ने बताया 'अभी तक डीजल में मैलाथियान टेक्निकल नामक कीटनाशक मिलाकर फॉगिंग की जाती रही है, वहीं कोल्ड फॉगिंग में डेल्टामैथ्रिन नामक कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाएगा. बड़ी मशीन में एक बार में 800 रुपये के डेल्टामैथ्रिन से ही काम चल जाएगा, जबकि अभी 1500 रुपये तक खर्च हो जाता है.