लखनऊ: माफिया सरगना मुख्तार अंसारी के लखनऊ के गुर्गे बिल्डरों पर बड़ा शिकंजा कसा गया है. बिल्डर का बड़ा फ्रॉड (Mukhtar Ansari's henchmen builders did forgery with LDA) सामने आया है. बर्लिंग्टन चौराहे पर बने एफआई काॅमर्शियल काॅम्पलेक्स व उसमें बनी दुकानों का लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा कभी कोई मानचित्र स्वीकृत नहीं किया गया था, लेकिन बिल्डर ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कूटरचना करते हुए काॅम्पलेक्स का फर्जी स्वीकृत मानचित्र तैयार कराया. इसके बाद एलडीए (Lucknow Development Authority) से नक्शा पास बताकर अलग-अलग लोगों को दुकानें बेचकर लाखों की ठगी की. नोटिस के जवाब में जब दुकान मालिकों ने दस्तावेज प्रस्तुत किये तो पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया. LDA उपाध्यक्ष डाॅ इन्द्रमणि त्रिपाठी के आदेश पर एफआई बिल्डर व उसके सहयोगियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई.
सचिव पवन कुमार गंगवार ने बताया कि एलडीए के विहित प्राधिकारी न्यायालय द्वारा हाल ही में एफआई काॅमर्शियल काॅम्पलेक्स 37, कैन्ट रोड के अध्यासियों को नोटिस जारी करके निर्माण कार्य से सम्बंधित दस्तावेज दिखाने को कहा गया था. इस पर दुकान मालिक मनीषा सिंह, भूमिका सिंह, सलमा खातून, सैयद मुन्तजर जाफरी व जीनत एजाज ने 25 दिसंबर को सक्षम न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया. जिसके अगले दिन दुकान मालिकों ने स्वीकृत मानचित्र व रजिस्ट्री की काॅपी के साथ शपथ पत्र दाखिल किया कि दुकानें माईकल पाउल व एसडब्लू प्रसाद द्वारा मुख्तार ए आम शुऐब इकबाल पुत्र इकबाल अहमद, सिराज इकबाल पुत्र इकबाल अहमद, फरजाना सिराज पत्नी सिराज इकबाल एवं अन्य द्वारा बेची गयी हैं.
लोगों ने अवगत कराया कि दुकान की खरीद-फरोख्त के समय बिल्डर व उनके सहयोगियों ने बताया था कि काॅम्पलेक्स का नक्शा लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत है तथा स्वीकृत मानचित्र की एक फोटोकाॅपी भी दी गयी थी. जिस पर परमिट संख्या-1812, दिनांक-15.10.2001 अंकित था. उपलब्ध कराये गये परमिट संख्या-1812 के सम्बंध में जब जांच करायी गयी तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ. पता चला कि प्राधिकरण में मानचित्र स्वीकृत किये जाने के लिए अगस्त वर्ष 1999 में एलडीए पोर्टल संचालित किया गया था, जिसमें कम्प्यूटराइज्ड मानचित्रों के स्वीकृत होने पर परमिट संख्या-10000 से प्रारम्भ की गयी थी.
जांच में साफ हो गया कि दुकान मालिकों द्वारा प्रस्तुत किये गये मानचित्र में उल्लेखित परमिट संख्या-1812 एलडीए पोर्टल से नहीं है. इससे स्पष्ट है कि एफआई बिल्डर व उनके सहयोगियों ने कूटरचित तरीके से जाली मानचित्र/दस्तावेज तैयार करके अपने अवैध निर्माण को नियमित साबित करने का षडयंत्र रचा. साथ ही इन्हीं जाली दस्तावेजों की मदद से अनाधिकृत रूप से निर्मित दुकानों को बेचकर लोगों से रुपये हड़पे. वहीं, प्राधिकरण को मानचित्र से होने वाली आय में भी क्षति पहुंचाई.
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