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मुख्तार अंसारी एम्बुलेंस मामलाः डॉ. शेषनाथ राय और डॉ. अलका राय की जमानत हाईकोर्ट ने की मंजूर

मुख्तार अंसारी एम्बुलेंस मामले में डॉ. शेषनाथ राय और डॉ. अलका राय की जमानत हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली है. न्यायालय ने पाया कि दोनों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई मात्र एक आपराधिक मुकदमे के आधार पर की गई है

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Published : May 23, 2022, 10:02 PM IST

लखनऊः मुख्तार अंसारी एम्बुलेंस मामले में डॉ. शेषनाथ राय और डॉ. अलका राय की जमानत हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली है. न्यायालय ने पाया कि दोनों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई मात्र एक आपराधिक मुकदमे के आधार पर की गई है, जिसमें दोनों की जमानत पहले ही हो चुकी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने दोनों की ओर से दाखिल अलग-अलग जमानत याचिकाओं को मंजूर करते हुए पारित किया. याचियों के अधिवक्ता अनुभव अवस्थी का तर्क था कि दोनों याचियों के खिलाफ एक केस के आधार पर पुलिस ने मात्र शत्रुता व दुर्भावनावश गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई कर दी है. जबकि दोनों के खिलाफ अन्य कोई आपराधिक इतिहास नहीं हैं. यह भी दलील दी गई कि दोनों याचीगण किसी गैंग के सदस्य नहीं है, बावजूद इसके 29 मार्च 2022 से इस मामले में जेल में हैं.

पढ़ेंः केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी के खिलाफ अपील पर सुनवाई कल

सरकारी अधिवक्ता ने जमानत याचिकाओं का विरोध किया. लेकिन वह यह नहीं दिखा सके कि गैंगचार्ट में एक केस के अतिरिक्त दोनों याचियों पर कोई अन्य मुकदमा भी है. सरकारी वकील ने यह भी स्वीकार किया कि उक्त केस में भी दोनों को जमानत मिल चुकी है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने याचियों की सशर्त जमानत मंजूर कर ली.

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लखनऊः मुख्तार अंसारी एम्बुलेंस मामले में डॉ. शेषनाथ राय और डॉ. अलका राय की जमानत हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली है. न्यायालय ने पाया कि दोनों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई मात्र एक आपराधिक मुकदमे के आधार पर की गई है, जिसमें दोनों की जमानत पहले ही हो चुकी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने दोनों की ओर से दाखिल अलग-अलग जमानत याचिकाओं को मंजूर करते हुए पारित किया. याचियों के अधिवक्ता अनुभव अवस्थी का तर्क था कि दोनों याचियों के खिलाफ एक केस के आधार पर पुलिस ने मात्र शत्रुता व दुर्भावनावश गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई कर दी है. जबकि दोनों के खिलाफ अन्य कोई आपराधिक इतिहास नहीं हैं. यह भी दलील दी गई कि दोनों याचीगण किसी गैंग के सदस्य नहीं है, बावजूद इसके 29 मार्च 2022 से इस मामले में जेल में हैं.

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सरकारी अधिवक्ता ने जमानत याचिकाओं का विरोध किया. लेकिन वह यह नहीं दिखा सके कि गैंगचार्ट में एक केस के अतिरिक्त दोनों याचियों पर कोई अन्य मुकदमा भी है. सरकारी वकील ने यह भी स्वीकार किया कि उक्त केस में भी दोनों को जमानत मिल चुकी है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने याचियों की सशर्त जमानत मंजूर कर ली.

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