लखनऊः कोरोना महामारी का असर सभी तीज त्योहारों के साथ गम के महीने मोहर्रम पर भी दिख रहा है. कोविड की तीसरी लहर को देखते हुए यूपी सरकार ने मोहर्रम के तमाम आयोजनों में कई तरह की पाबंदियां लगा दी है. वहीं, सूफी धर्मगुरु ने सरकार से बातचीत के बाद मोहर्रम मनाने वालों से घर में ही ताजिया रखने की अपील की है. बता दें कि गम और अजादारी का महीना मोहर्रम का बुधवार से आगाज हो गया है. पैगम्बर ए इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शहादत में मनाए जाने वाले मोहर्रम में राजधानी लखनऊ में कई आयोजन और ऐतिहासिक जुलूस निकाले जाते हैं. हालांकि इस वर्ष धर्मगुरुओं की तमाम कोशिशों के बाद भी सरकार ने किसी जुलूस और चौक चौरहों पर ताजिया रखने या कहीं भी भीड़ इकट्ठा करने की सख्त रोक लगा दी है.
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सूफी धर्मगुरु और दरगाह सफीपुर के सज्जादानशीन मौलाना हसनैन बकई ने बुधवार को बयान जारी कर यूपी में मोहर्रम मनाने को लेकर सरकार की गाइड लाइन का पालन करने की गुजारिश की है. मौलाना ने कहा कि मजलिसों में एक वक्त में 50 लोग ही शामिल हों और मोहर्रम के जुलूस इस वर्ष भी नहीं निकालें. इसके साथ ही अलम और ताजिए घरों व इमामबाड़ों में ही रखें. मौलाना ने कहा कि एक घर से केवल एक ही व्यक्ति ताजिया दफन कर सकता है. ताजिया किसी भी सूरत में भीड़ या कोविड प्रोटोकॉल तोड़कर नहीं निकालें. उन्होंने कहा कि सरकार के निर्देशानुसार किसी भी सार्वजनिक स्थल या इमामबाड़े के बाहर ताजिया नहीं रखा जा सकता है. सूफी धर्मगुरु ने इस दौरान शिया समुदाय के साथ सूफी समुदाय से सख्ती से कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने की भी अपील की. उन्होंने कहा कि कोई भी शख्स ऐसा काम न करें जिससे अजादरी या मोहर्रम पर सवाल खड़ा हो.