लखनऊ: लॉकडाउन के दौरान बंद हुई एमएसएमई की इकाइयों को संचालित कराकर पुनः पुरानी स्थिति में लाने के लिए सरकार पूरी तत्परता से काम कर रही है. सरकार ने उनकी समस्याओं के समाधान के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल और एमएसएमई साथी एप लॉन्च किया है. इस एप के माध्यम से एमएसएमई की जो समस्याएं हैं, उन्हें दूर करने के लिए सहयोग किया जा रहा है. बैंक से जुड़ी समस्या हो, जीएसटी का रिफंड, सरकारी विभागों से देनदारी समेत विभिन्न समस्याओं को उसके माध्यम से सुलझाया जा रहा है. इस एप पर अब तक करीब चार हजार शिकायतें आ चुकी हैं.
चार से अधिक लोगों ने एप पर की शिकायत
लॉन्चिंग के कुछ दिनों बाद ही साथी एप की उपयोगिता साबित होने लगी है. चार हजार से अधिक लोग शिकायत कर चुके हैं. इसमें दो हजार से ऊपर बैंक की समस्या है. ऋण मिलने में दिक्कत आ रही है. छोटे उद्यमी ऋण के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन बैंक अपने मानक के अनुरूप नहीं पाने का हवाला देकर मना कर देते हैं, या फिर ज्यादातर लोगों को बार-बार दौड़ाते हैं.
18 जिलों से सबसे अधिक शिकायत
करीब 18 जिलों से सबसे अधिक शिकायतें आई हैं. इनमें देखा जाए तो लखनऊ से सबसे अधिक शिकायत हैं. गौतम बुद्ध नगर, कानपुर नगर, वाराणसी, बरेली, गोरखपुर, अलीगढ़, प्रतापगढ़, झांसी, सीतापुर, बुलंदशहर, फिरोजाबाद, सुल्तानपुर, आजमगढ़, सहारनपुर, संतकबीर नगर और रामपुर जैसे जिलों से शिकायतें ज्यादा आई हैं.
इस तरह सरकार उद्यमियों की कर रही मदद
प्रमुख सचिव एमएसएमई नवनीत सहगल ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान एमएसएमई की इकाइयां बंद हुई थीं. अब उन्हें सरकार फिर से शुरू करके पुरानी स्थिति में लाना चाह रही है. सरकार चाहती है कि वे सभी इकाइयां पूरी क्षमता के साथ फिर से काम शुरू करें. इसके लिए सरकार ने ऑनलाइन पोर्टल और एमएसएमई साथी एप लॉन्च किया है. इसमें आने वाली समस्याओं के लिए विभागवार नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं. उनके नंबर और मेल एड्रेस एप से जुड़े हैं.
एप पर शिकायतें आने के साथ ही समस्याएं जिम्मेदारों को भेज दी जाती हैं. शासन स्तर पर उसकी निगरानी की जा रही है. मसलन अगर किसी उद्यमी को समस्या है तो हम बैंक से बात करते हैं. किसी उद्यमी की सरकार पर देनदारी हो या जीएसटी का रिफंड या अन्य समस्या सबके लिए साथी एप से मदद मिल रही है.
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प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि बैंकों के साथ मीटिंग करके सारी समस्याओं पर चर्चा की गई है. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एमएसएमई सेक्टर के लिए घोषित तीन लाख करोड़ में से ज्यादा से ज्यादा उपयोग उत्तर प्रदेश के लिए कैसे किया जा सकता है, इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं.