लखनऊ: संसद ने रविवार को कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दे दी. राज्यसभा में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों के भारी हंगामे के बीच कृषि संबंधी इन दो विधेयकों को आज मंजूरी दी गई. लोकसभा में ये विधेयक पहले ही पारित हो चुके हैं.
'कांग्रेस पढ़े अपना घोषणा पत्र'
बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर ने कृषि विधेयक पर अपनी बात सदन के सामने रखी. राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर ने कहा कि इस बिल पर फायदा और नफा की बात जो कांग्रेस के मित्र कर रहे हैं, वह पहले अपना घोषणा पत्र पढ़ लें. कांग्रेस यह याद करे कि उसने घोषणा पत्र में क्या वादा किया था. देश की आजादी के बाद लंबे समय तक किसान राजनीति का महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है और किसान को लेकर लंबे समय तक राजनीति होती रही है. जब भी चुनाव आए, चुनाव के वक्त लंबे समय तक जो दल सत्ता में रहे उन्होंने चुनावी वादे किए. किसानों के लिए वादे किए, लेकिन लंबे समय तक सत्ता में रहने के बाद भी उन वादों को कभी पूरा करने का काम नहीं किया.
'कांग्रेस का क्यों बदल गया मन'
राज्यसभा सांसद ने कहा कि यह एक ऐसा बिल है कि जिसके लिए कांग्रेस पार्टी ने अपना घोषणा पत्र जारी किया. उसमें यह दोनों बिल शामिल थे कि अगर हम सत्ता में आएंगे तो इस बिल को लागू करेंगे. आज जब किसानों के हित में इस बिल को केंद्र की मोदी सरकार लेकर आई है तो पता नहीं क्यों उनका मन बदल गया. आज वह इस बिल का विरोध कर रहे हैं.
'किसानों को भ्रमित कर रहा विपक्ष'
राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर ने कहा कि विपक्ष आज देश के किसानों को भ्रमित कर रहा है. कांग्रेस पार्टी कह रही है कि जो मंडी एक्ट है, उसको खत्म कर दिया जाएगा. मैं पूछना चाहता हूं कि कांग्रेस के जो नेता केरल से जीत कर आते हैं, क्या वहां एपीएमसी एक्ट है. राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह ने कहा कि केरल में यह एक्ट नहीं है. अगर कांग्रेस को किसानों की इतनी चिंता है तो जहां से आपके सांसद जीतकर आते हैं वहां आपको एपीएमसी एक्ट लागू कराना चाहिए. इस एक्ट में कौन सा ऐसा प्रावधान है जो एपीएमसी एक्ट को खत्म कर रहा है.
'इसलिए पड़ी बिल की जरूरत'
राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर ने कहा कि इस बिल की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि मैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आता हूं, हमारे यहां कश्यप समाज के लोग कोल्हू चलाते हैं, जो गुड़ बनाने का काम करते हैं. अगर उन्हें हरियाणा में जाकर अच्छा पैसा मिलता है तो क्या वह हरियाणा में जाकर गुड़ नहीं बेच सकते हैं. 200 रुपये क्विंटल अगर वहां ज्यादा मिल रहा है तो किसान वहां जाकर गुड़ नहीं बेच सकते, क्योंकि उनको उस मंडी में मंडी टैक्स देना पड़ेगा, हरियाणा का टैक्स देना पड़ेगा. किसान को यह आजादी नहीं है कि वह हरियाणा में जाकर गुड़ बेच सके.
राज्यसभा सांसद ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में 3400 रुपये क्विंटल गुड़ का रेट है, वहीं बिहार में 4100 रुपये गुड़ का रेट है. अगर उत्तर प्रदेश का किसान वहां जाकर गुड़ बेच रहा तो आप सब को क्या परेशानी है. इस एक्ट से किसान को लाभ मिलेगा. उत्तर भारत व दक्षिण भारत में अगर गेहूं के प्राइज में 200 रुपये का फर्क है, लेकिन उत्तर भारत का किसान दक्षिण भारत में जाकर गेहूं नहीं बेच सकता है. इस बिल से आपसब को क्या समस्या है.
राज्यसभा सांसद ने कहा कि मंडियो में पहली तीन बोलियां सही दाम पर बिकती हैं. उसके बाद हमें माल की जरूरत नहीं है और फिर किसान का कम दामों पर माल ले लिया जाता है, क्योंकि उसे बाहर बेंचने का अधिकार नहीं है. इस बिल से वह जहां चाहेगा, वहां अपना माल बेच सकेगा.