लखनऊ : प्रदेश में बिजली बिल संशोधन (Electricity Bill Revision) के नाम पर होने वाले भ्रष्टाचार (Corruption) को रोकने के लिए पाॅवर काॅरपोरेशन की ओर से ठोस कदम उठाया गया है. कॉरपोरेशन ने बिजली बिल संशोधन के नाम पर राजस्व का नुकसान करने वाले खेल को पूरी तरह से बंद करने की योजना तैयार की है. उप्र पाॅवर काॅरपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज (UP Power Corporation Chairman M. Devraj) ने एक करोड़ से अधिक धनराशि वाले बिजली बिल संशोधन के सभी मामलों की जांच करने के आदेश दिए हैं. इसके लिए विभाग की ओर से जाट समितियों का भी गठन कर दिया गया है.
आदेश में कहा गया है कि 10 लाख तक के बिल संशोधन के मामलों में एक फीसदी, 10 लाख से एक करोड़ के बीच के बिल संशोधन के मामले में 10 फीसदी तथा एक करोड़ रुपये से अधिक धनराशि वाले बिल संसोधन के 100 फीसदी प्रकरणों की जांच की जाए. बिल संशोधन की कार्रवाई उप खंड अधिकारी के स्तर से की गई है तो ऐसे मामलों की जांच खंडीय लेखाकार और अधिशासी अभियंता (वितरण) करेंगे.
यदि बिल संशोधन की कार्रवाई अधिशासी अभियंता (executive engineer) के स्तर से की गई है तो ऐसे मामलों की जांच सहायक लेखाधिकारी और अधीक्षण अभियंता (वितरण) (Superintending Engineer Distribution) की जांच समिति करेगी. बिलों में संशोधन गलत पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी. जांच समिति को बिलिंग प्रणाली पर हर माह किए गए बिल संशोधन से संबंधित प्रकरण पूरे विवरण के साथ मिलेंगे. जिससे समिति रैंडम आधार पर तय न्यूनतम जांच को पूरा करेंगे. समिति अपनी रिपोर्ट में संशोधन सही पाए जाने पर ‘हां और गलत पाए जाने पर ‘ना लिखेंगे. संशोधन गलत पाए जाने पर समिति द्वारा कमेंट कालम में गलत होने का विवरण भरना होगा.
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