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विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों के पचास फीसद से ज्यादा पद रिक्त: विवि. संघ अध्यक्ष - lucknow today news

यूपी के विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों के पचास फीसद से ज्यादा पद रिक्त पड़े हैं, जिसके चलते छात्रों को शिक्षा में गुणवत्ता नहीं मिल पा रही है. वहीं योगी सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई नियुक्ति प्रक्रिया फ्लॉप साबित हुई है और इसका कोई असर सही साबित होता नहीं दिख रहा है.

नीरज जैन, अध्यक्ष, लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ
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Published : Aug 29, 2019, 12:45 PM IST

लखनऊ: यूपी में उच्च शिक्षा क्षेत्र में 50 फीसद से अधिक शिक्षकों और अन्य स्टाफ की कमी है, ऐसे में छात्रों को उच्च और गुणवत्ता परक शिक्षा देने में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है. वहीं योगी सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई नियुक्त प्रक्रिया फ्लॉप साबित हुई है और नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को लेकर विज्ञापन आदि की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो सकी है.

जानकारी देते विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष.

विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों की बड़ी मात्रा में कमी
उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और उनसे संबंध डिग्री कॉलेजों में स्टाफ की और प्रोफेसरों की भारी कमी है, जानकार बताते हैं कि पिछले काफी समय से शिक्षा के क्षेत्र में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू ना होने से यह संकट बना हुआ है. ऐसे में गुणवत्ता परक शिक्षा दिए जाने में स्टाफ ना होना बड़ी बात बताई जा रही है. वहीं विषय विशेषज्ञों की काफी कमी है, संविदा पर शिक्षक रखकर किसी तरह से क्लासेस चलाई जा रही है. जिससे शिक्षा का स्तर भी बेकार हो रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है.

पढ़ें: ...अगस्त 2020 तक शुरू हो जाएगा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे

योगी सरकार के ढाई साल बीत जाने के बाद भी भर्ती प्रक्रिया नहीं हो पाई शुरू
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार बने हुए भी ढाई वर्ष बीत चुके हैं लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी, उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की 50 फीसद के आसपास की कमी बताई जा रही है. लेकिन इसे दूर करने में सरकार के स्तर पर गंभीरता से प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, जबकि सरकार की तरफ से लगातार यह दावा किया जा रहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता परक शिक्षा देने की सरकार की कोशिश जारी है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है शैक्षिक संस्थानों में 50 फीसद स्टाफ की कमी है तो किस प्रकार से बेहतर शिक्षा छात्रों को मिल रही होगी.


विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में करीब 50 फीसद से ज्यादा रिक्त है पद
वहीं ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष नीरज जैन ने बताया कि प्रदेश में सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में करीब 21,000 पद सृजित हैं, लेकिन इनमें करीब 50 फीसद से अधिक पद रिक्त बताए हैं, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षक प्रोफेसर नहीं है, संविदा पर कुछ शिक्षकों को रखकर खानापूर्ति के लिए क्लासेस चलाई जा रही हैं तो शिक्षा पर इसका बुरा असर तो दिखेगा ही.

अब देखने वाली बात यह होगी कि उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों की नियुक्त प्रक्रिया कब तक शुरू होती है और इसके लिए विज्ञापन आदि कब जारी होते हैं. जिससे तमाम शैक्षिक संस्थानों में प्रोफेसर और अन्य स्टाफ की नियुक्त हो और शिक्षा का स्तर सुधारा जा सके.

लखनऊ: यूपी में उच्च शिक्षा क्षेत्र में 50 फीसद से अधिक शिक्षकों और अन्य स्टाफ की कमी है, ऐसे में छात्रों को उच्च और गुणवत्ता परक शिक्षा देने में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है. वहीं योगी सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई नियुक्त प्रक्रिया फ्लॉप साबित हुई है और नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को लेकर विज्ञापन आदि की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो सकी है.

जानकारी देते विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष.

विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों की बड़ी मात्रा में कमी
उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और उनसे संबंध डिग्री कॉलेजों में स्टाफ की और प्रोफेसरों की भारी कमी है, जानकार बताते हैं कि पिछले काफी समय से शिक्षा के क्षेत्र में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू ना होने से यह संकट बना हुआ है. ऐसे में गुणवत्ता परक शिक्षा दिए जाने में स्टाफ ना होना बड़ी बात बताई जा रही है. वहीं विषय विशेषज्ञों की काफी कमी है, संविदा पर शिक्षक रखकर किसी तरह से क्लासेस चलाई जा रही है. जिससे शिक्षा का स्तर भी बेकार हो रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है.

पढ़ें: ...अगस्त 2020 तक शुरू हो जाएगा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे

योगी सरकार के ढाई साल बीत जाने के बाद भी भर्ती प्रक्रिया नहीं हो पाई शुरू
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार बने हुए भी ढाई वर्ष बीत चुके हैं लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी, उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की 50 फीसद के आसपास की कमी बताई जा रही है. लेकिन इसे दूर करने में सरकार के स्तर पर गंभीरता से प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, जबकि सरकार की तरफ से लगातार यह दावा किया जा रहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता परक शिक्षा देने की सरकार की कोशिश जारी है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है शैक्षिक संस्थानों में 50 फीसद स्टाफ की कमी है तो किस प्रकार से बेहतर शिक्षा छात्रों को मिल रही होगी.


विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में करीब 50 फीसद से ज्यादा रिक्त है पद
वहीं ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष नीरज जैन ने बताया कि प्रदेश में सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में करीब 21,000 पद सृजित हैं, लेकिन इनमें करीब 50 फीसद से अधिक पद रिक्त बताए हैं, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षक प्रोफेसर नहीं है, संविदा पर कुछ शिक्षकों को रखकर खानापूर्ति के लिए क्लासेस चलाई जा रही हैं तो शिक्षा पर इसका बुरा असर तो दिखेगा ही.

अब देखने वाली बात यह होगी कि उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों की नियुक्त प्रक्रिया कब तक शुरू होती है और इसके लिए विज्ञापन आदि कब जारी होते हैं. जिससे तमाम शैक्षिक संस्थानों में प्रोफेसर और अन्य स्टाफ की नियुक्त हो और शिक्षा का स्तर सुधारा जा सके.

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लखनऊ। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 50 फीसद से अधिक शिक्षकों और अन्य स्टाफ की कमी है ऐसे में छात्रों को उच्च शिक्षा गुणवत्ता परक देने में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने साल के कार्यकाल में नियुक्त प्रक्रिया शुरू करने को लेकर फ्लॉप साबित हुई है, नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को लेकर विज्ञापन आदि की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो सकी है।


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उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और उनसे संबंध डिग्री कॉलेजों में स्टाफ की और प्रोफेसरों की भारी कमी है जानकार बताते हैं कि पिछले काफी समय से शिक्षा के क्षेत्र में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू ना होने से यह संकट बना हुआ है ऐसे में गुणवत्ता परक शिक्षा दिए जाने में स्टाफ ना होना बड़ी बात बताई जा रही है विषय विशेषज्ञों की काफी कमी है संविदा पर शिक्षक रखकर किसी तरह से क्लासेस चलाई जा रही है जिससे शिक्षा का स्तर भी बेकार हो रहा है लेकिन उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे पा रही।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार बने हुए भी ढाई वर्ष बीत चुके हैं लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी, उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की 50 फीसद के आसपास की कमी बताई जा रही है लेकिन इसे दूर करने में सरकार के स्तर पर गंभीरता से प्रयास नहीं किए जा रहे हैं जबकि सरकार की तरफ से लगातार यह दावा किया जा रहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता परक शिक्षा देने की सरकार की कोशिश जारी है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है शैक्षिक संस्थानों में 50 फीसद स्टाफ की कमी है तो किस प्रकार से बेहतर शिक्षा छात्रों को दी जा रही होगी।

बाईट
नीरज जैन, अध्यक्ष लुआक्ट्टा, लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ
उत्तर प्रदेश में हर जगह पर शिक्षकों की काफी कमी है सरकार इस दिशा पर गंभीरता से प्रयास नहीं कर रही है लेकिन इधर हाल में यह प्रक्रिया शुरू करने की बात हुई है जब तक स्टाफ की कमी दूर नहीं की जाएगी तो उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता परक शिक्षा देने की बात करना बेमानी होगा।




Conclusion:जानकारी के अनुसार प्रदेश में सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में करीब 21000 पद सृजित है लेकिन इनमें करीब 50 फीसद से अधिक पद रिक्त बताए हैं, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब विश्वविद्यालयों में महाविद्यालयों में शिक्षक प्रोफेसर नहीं है और संविदा पर कुछ शिक्षकों को रख कर खानापूर्ति के लिए क्लासेस चलाई जा रही हैं तो ऐसे में किस प्रकार से गुणवत्ता परक शिक्षा छात्रों को मिलेगी और उनका भविष्य कैसे संवारा जाएगा। सरकार को इस तरफ ध्यान देना होगा।


अब देखने वाली बात यह होगी कि उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों की नियुक्त प्रक्रिया कब तक शुरू होती है और इसके लिए विज्ञापन आदि कब जारी होते हैं जिससे तमाम शैक्षिक संस्थानों में प्रोफेसर और अन्य स्टाफ की नियुक्त हो और शिक्षा का स्तर सुधारा जा सके।
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