लखनऊ : प्रदेश में उच्च गुणवत्तायुक्त व कटौती मुक्त विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए पारेषण क्षमता को बढ़ाने का युद्ध स्तर पर प्रयास किया जा रहा है. पिछले चार सालों में पारेषण क्षमता को बढ़ाकर 25000 मेगावाट तक किया जा चुका है. 2022 तक यह क्षमता 28000 मेगावाट तक पहुंच जाएगी.
ऊर्जा एवं अतिरिक्त ऊर्जाश्रोत मंत्री श्रीकांत शर्मा ने उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन की समीक्षा करते हुए बताया कि विगत 2017 से अब तक 12 हजार 182 करोड़ से 121 पारेषण उपकेंद्रों का निर्माण हुआ है.
![121 पारेषण उपकेंद्रों के निर्माण पर 12 हजार करोड़ से ज्यादा किया गया निवेश: ऊर्जा मंत्री](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-luc-06-powercorporation-7203805_09082021203211_0908f_1628521331_190.jpg)
प्रदेश में स्थापित की जा रही तापीय परियोजनाओं से ऊर्जा निकासी के लिए आवश्यक पारेषण तंत्र का निर्माण पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के माध्यम से कराया जा रहा है. इसके अंतर्गत 400 केवी उपकेंद्र फिरोजाबाद व बदायूं ऊर्जीकृत किए गए हैं.
इसी पद्धति से 765 केवी उपकेंद्र मेरठ, रामपुर एवं 400 केवी उपकेंद्र सिंभवली एवं संभल भी निर्माणाधीन हैं. इन परियोजनाओं में 2433.70 करोड़ निवेशित किए गए हैं. इन परियोजनाओं को इसी वित्तीय वर्ष में ऊर्जीकृत कर दिया जाएगा.
ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि सरकार प्रदेश की जनता को 24 घण्टे कटौती मुक्त विद्युत आपूर्ति करना चाहती है लेकिन यह तभी संभव हो सकता है, जब हमारा पारेषण तंत्र सभी क्षेत्रों को विद्युत ले जाने में सक्षम हो.
![121 पारेषण उपकेंद्रों के निर्माण पर 12 हजार करोड़ से ज्यादा किया गया निवेश: ऊर्जा मंत्री](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-luc-06-powercorporation-7203805_09082021203211_0908f_1628521331_137.jpg)
सरकार बनने के बाद इस पर गंभीरता पूर्वक काम किया गया है जिसके अंतर्गत हापुड़ जनपद में पीपीपी माध्यम से 765 केवी उपकेंद्र का निर्माण कराया गया. इस पर एक हजार करोड़ की लागत आई. इसी तरह 12 नग 400 केवी उपकेंद्रों का निर्माण मथुरा (माठ), बांदा, बिजनौर (नेहटौर-पीपीपी), आगरा (साउथ आगरा), गाजियाबाद (अटौर-पीपीपी), गाजियाबाद (इन्द्रापुरम-पीपीपी), गाजियाबाद (डासना-पीपीपी), प्रयागराज (मसौली), गौतमबुद्ध नगर (नोएडा सेक्टर-148), गौतमबुद्ध नगर (नोएडा सेक्टर-123), फिरोजाबाद (पीपीपी) एवं बदांयू (पीपीपी) में निर्मित कराये गए. इन पर 4484.41 हजार करोड़ की लागत आई.
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विद्युत पारेषण में 220 केवी उपकेन्द्रों का अत्यधिक महत्व है. इसके लिए 34 उपकेन्द्रों के निर्माण पर लगभग 4015 करोड़ रुपये खर्च किया गया जिसमें चंदौसी (संभल), छाता (मथुरा), अमरोहा, अमरोहा, हापुड़, पीलीभीत, आजमगढ़-द्वितीय, सिदार्थनगर, लखनऊ (सीजी सिटी), फर्रुखाबाद (नीबकरोरी), सरसावां (सहारनपुर) लखनऊ (कानपुर रोड), बाराबंकी, कानपुर नगर (साढ़), राय बरेली (बछरावां), सिकन्दरा (कानपुर देहात), गालियाबाद (मण्डोला विहार), गालियाबाद (प्रताप बिहार), कानपुर (फूलबाग), गालियाबाद (मधुबन बापूधाम), मथुरा (वृन्दावन), कासगंज, मुजफ्फरनगर (बधाईकला), बागपत (निरपुरा), कुशीनन्द (हाटा), चित्रकूट (पहाड़ी), गोरखपुर (गोला), अमेठी, उन्नाव (दही चौकी), नोएडा (बॉटनिकल गार्डेन ), वाराणसी (राजा का तालाब), मेरठ (परतापुर) एवं फतेह (मलवां) जनपदों में उपकेंद्र बनाए गए. इससे इन क्षेत्रों के लाखों उपभोक्ताओं को विद्युत आपूर्ति में सुधार हुआ और उन्हें पहले की तुलना में अब कटौती मुक्त निर्बाध विद्युत आपूर्ति प्राप्त होती है.
यहां भी हुआ उपकेंद्रों का निर्माण
उन्होंने बताया कि इसी तरह इन वर्षों में महमूदाबाद, हमीरपुर, गढ़मुक्तेश्वर, सलोन, मवाना रोड हस्तिनापुर, दनकौर, बंडा, गभाना, नवाबगंज, ग्वालियर रोड, बिचपुरी, प्रयागपुर, बिन्दवल जय राजपुर, जारी, लालपुर, जलालाबाद, भोपा, नवाबगंज (बरेली), भूड़-द्वितीय, बन्नत, अम्बाला रोड-द्वितीय, बरहन, भटहर, तालग्राम, मोरना, मुसाफिर खाना, पूर्णाछापर, सहसवान, रानीगंज, इटवा, पसही तथा कैसरगंज सहित 74 नग 132 केवी विद्युत उपकेन्द्रों का निर्माण किया गया. इस पर 2682.88 करोड़ का निवेश किया गया.