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कांग्रेस ने मुसलमानों को मुख्यमंत्री की कुर्सी दी, सपा ने ई-रिक्शा दिया: शाहनवाज़ आलम

'स्पीक अप माइनॉरिटी' अभियान के छठे संस्करण का आयोजन कर कांग्रेस पार्टी ने मनमोहन सरकार की योजनाओं से लोगों को अवगत कराया. इस दौरान कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने कहा कि कांग्रेस ने पांच राज्यों में मुसलमानों को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन सपा ने ई-रिक्शा थमा दिया.

अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम
अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम
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Published : Jul 11, 2021, 9:28 PM IST

लखनऊ: अल्पसंख्यक कांग्रेस ने 'स्पीक अप माइनॉरिटी' अभियान के छठे संस्करण के तहत रविवार को मनमोहन सिंह सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए किए गए कार्यों के बारे में लोगों को अवगत कराया. प्रत्येक रविवार को फेसबुक लाइव के जरिए होने वाले इस अभियान में इस बार करीब दो हजार लोग शामिल हुए.

अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने बताया कि फेसबुक लाइव के जरिए बताया गया कि कांग्रेस ने मुसलमानों को सम्मान देते हुए उन्हें कश्मीर के बाहर पांच राज्यों में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया. महाराष्ट्र में अब्दुर्रहमान अंतुले, बिहार में अब्दुल गफूर, राजस्थान में बरकतुल्ला खान, असम में सैयद अनवरा तैमूर और पुदुचेरी में हसन फारूक को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन समाजवादी पार्टी ने 20 प्रतिशत आबादी वाले मुस्लिम समाज से सिर्फ वोट लिया. कभी उपमुख्यमंत्री बनाने तक का नहीं सोचा. यहां तक कि रामगोपाल यादव को बचाने के लिए आजम खान को 'बलि का बकरा' बना दिया. मुलायम सिंह यादव ने सिर्फ अपनी ही पांच प्रतिशत आबादी वाली जाति को हर बड़ी कुर्सी पर बिठाया और 20 प्रतिशत वाले मुसलमानों को ई-रिक्शा थमा दिया.

इसे भी पढ़ें-भाजपा विकास नहीं नफरत और झगड़ा फैलाने में लगी है- अखिलेश यादव

शाहनवाज आलम का आरोप है कि सपा ने रंगनाथ मिश्रा कमीशन की रिपोर्ट (Rangnath Mishra Commission Report) का विरोध किया. क्योंकि उसमें पिछड़ों को मिलने वाले 27 प्रतिशत आरक्षण में मुस्लिमों को 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करने की सिफारिश थी. शाहनवाज आलम ने आरोप लगाया कि मुलायम सिंह यादव नहीं चाहते थे कि 27 प्रतिशत आरक्षण पर उनकी पांच प्रतिशत वाली आबादी के एकाधिकार में कोई कटौती हो. शाहनवाज आलम ने कहा कि सच्चर कमेटी (Sachar Committee) के कारण मुसलमानों में कांग्रेस की बढ़ती लोकप्रियता को रोकने के लिए सपा जैसी मुस्लिम विरोधी पार्टियों ने यह अफवाह फैलवाई कि उसमें लिखा है कि 'मुसलमानों की स्थिति दलितों से बदतर' है, जबकि करीब 600 पृष्ठों की रिपोर्ट में ऐसा या इससे मिलता जुलता भी कुछ नहीं लिखा है.

इसे भी पढ़ें-मुख्यमंत्री आवास पर सोमवार से होगा 'जनता दर्शन' कार्यक्रम

शाहनवाज आलम ने बताया कि फेसबुक लाइव में अल्पसंख्यक कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बताया कि मनमोहन सिंह सरकार ने अल्पसंख्यक मंत्रालय का गठन किया, जिससे अल्पसंख्यक समुदायों का विशेष रूप से विकास किया जा सके. सच्चर कमेटी की 67 में से 63 सिफारिशों पर अमल किया गया. कक्षा एक से पीएचडी तक स्कॉलरशिप की योजना बनाई गई. मदरसों का अधुनिकीकरण कर मैथ, साइंस और कंप्यूटर की तालीम शुरू की गई. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की तीन नई ब्रांच खुलीं. वक्फ की संपत्तियों पर मार्केट रेट पर किराया लिए जाने की योजना बनी, जबकि सपा और बसपा की सरकारों ने अल्पसंख्यकों के शिक्षा पर खर्च करने के लिए आए फंड को बिना इस्तेमाल किए ही लौटा दिया था. क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि मुसलमान पढ़ें और जागरुक हों.

  • 'सपा ने 27 प्रतिशत आरक्षण में 10 प्रतिशत ओबीसी मुसलमानों के लिए कोटा बनाने के रंगनाथ मिश्रा कमिशन की सिफारिश का किया था विरोध'
  • 'सच्चर रिपोर्ट में कहीं नहीं लिखा कि मुसलमानों की स्थिति दलितों से बदतर, सपा ने फैलाई अफवाह'

लखनऊ: अल्पसंख्यक कांग्रेस ने 'स्पीक अप माइनॉरिटी' अभियान के छठे संस्करण के तहत रविवार को मनमोहन सिंह सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए किए गए कार्यों के बारे में लोगों को अवगत कराया. प्रत्येक रविवार को फेसबुक लाइव के जरिए होने वाले इस अभियान में इस बार करीब दो हजार लोग शामिल हुए.

अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने बताया कि फेसबुक लाइव के जरिए बताया गया कि कांग्रेस ने मुसलमानों को सम्मान देते हुए उन्हें कश्मीर के बाहर पांच राज्यों में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया. महाराष्ट्र में अब्दुर्रहमान अंतुले, बिहार में अब्दुल गफूर, राजस्थान में बरकतुल्ला खान, असम में सैयद अनवरा तैमूर और पुदुचेरी में हसन फारूक को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन समाजवादी पार्टी ने 20 प्रतिशत आबादी वाले मुस्लिम समाज से सिर्फ वोट लिया. कभी उपमुख्यमंत्री बनाने तक का नहीं सोचा. यहां तक कि रामगोपाल यादव को बचाने के लिए आजम खान को 'बलि का बकरा' बना दिया. मुलायम सिंह यादव ने सिर्फ अपनी ही पांच प्रतिशत आबादी वाली जाति को हर बड़ी कुर्सी पर बिठाया और 20 प्रतिशत वाले मुसलमानों को ई-रिक्शा थमा दिया.

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शाहनवाज आलम का आरोप है कि सपा ने रंगनाथ मिश्रा कमीशन की रिपोर्ट (Rangnath Mishra Commission Report) का विरोध किया. क्योंकि उसमें पिछड़ों को मिलने वाले 27 प्रतिशत आरक्षण में मुस्लिमों को 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करने की सिफारिश थी. शाहनवाज आलम ने आरोप लगाया कि मुलायम सिंह यादव नहीं चाहते थे कि 27 प्रतिशत आरक्षण पर उनकी पांच प्रतिशत वाली आबादी के एकाधिकार में कोई कटौती हो. शाहनवाज आलम ने कहा कि सच्चर कमेटी (Sachar Committee) के कारण मुसलमानों में कांग्रेस की बढ़ती लोकप्रियता को रोकने के लिए सपा जैसी मुस्लिम विरोधी पार्टियों ने यह अफवाह फैलवाई कि उसमें लिखा है कि 'मुसलमानों की स्थिति दलितों से बदतर' है, जबकि करीब 600 पृष्ठों की रिपोर्ट में ऐसा या इससे मिलता जुलता भी कुछ नहीं लिखा है.

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शाहनवाज आलम ने बताया कि फेसबुक लाइव में अल्पसंख्यक कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बताया कि मनमोहन सिंह सरकार ने अल्पसंख्यक मंत्रालय का गठन किया, जिससे अल्पसंख्यक समुदायों का विशेष रूप से विकास किया जा सके. सच्चर कमेटी की 67 में से 63 सिफारिशों पर अमल किया गया. कक्षा एक से पीएचडी तक स्कॉलरशिप की योजना बनाई गई. मदरसों का अधुनिकीकरण कर मैथ, साइंस और कंप्यूटर की तालीम शुरू की गई. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की तीन नई ब्रांच खुलीं. वक्फ की संपत्तियों पर मार्केट रेट पर किराया लिए जाने की योजना बनी, जबकि सपा और बसपा की सरकारों ने अल्पसंख्यकों के शिक्षा पर खर्च करने के लिए आए फंड को बिना इस्तेमाल किए ही लौटा दिया था. क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि मुसलमान पढ़ें और जागरुक हों.

  • 'सपा ने 27 प्रतिशत आरक्षण में 10 प्रतिशत ओबीसी मुसलमानों के लिए कोटा बनाने के रंगनाथ मिश्रा कमिशन की सिफारिश का किया था विरोध'
  • 'सच्चर रिपोर्ट में कहीं नहीं लिखा कि मुसलमानों की स्थिति दलितों से बदतर, सपा ने फैलाई अफवाह'
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