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Lockdown Effect: गांव से दूर नहीं जाना चाहते मजदूर, CM योगी से मांगा रोजगार

यूपी की राजधानी लखनऊ में गुजरात से लौटे मजदूरों ने वापस घर छोड़कर अन्य प्रदेश नहीं जाने का मन बनाया है. मजूदरों का कहना है कि अगर यूपी सरकार यहां ही कोई काम-धंधा या नौकरी दे दे तो वे वापस लौटकर अन्य प्रदेश कभी नहीं जाएंगे.

प्रवासी मजदूर.
प्रवासी मजदूर.
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Published : May 7, 2020, 1:17 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में रहने वाले मजदूर अब अपना गांव छोड़कर दूसरे प्रदेश में नहीं जाना चाहते. कोरोना ने मजदूरों को डरा तो दिया ही है. साथ ही यह भी सोचने को मजबूर कर दिया है कि आखिर आठ हजार रुपये के चक्कर में हजारों किलोमीटर दूर क्यों जाएं. इससे बेहतर है कि अपने गांव में ही खेती-किसानी करें. गुजरात के आंनद शहर से 'श्रमिक स्पेशल ट्रेन' से वापस लौटे मजदूरों से जब 'ईटीवी भारत' ने बात कि तो उन्होंने बताया कि वे सरकार से अनुरोध करते हैं कि सरकार उन्हें यहीं पर काम की व्यवस्था कर दे और उद्योग-धंधे स्थापित कर दे, जिससे बाहर जाने की जरूरत ही न पड़े.

जानकारी देते मजदूर.

गोण्डा और बलरामपुर के रहने वाले तमाम मजदूर मजबूरन अपना घर छोड़कर हजारों किलोमीटर दूर गुजरात में रहकर अपने परिवार को पालने-पोसने का काम करते हैं, लेकिन कोरोना के चलते पिछले डेढ़ माह से लॉकडाउन ने उनकी हालत पतली कर दी है. साथ ही उन्हें भविष्य के लिए डरा भी दिया है कि अगर ऐसी महामारी आती है तो उनके सामने बड़ा संकट खड़ा होता रहेगा.

मजदूरों ने गिनाई अपनी परेशानियां
गोण्डा के रहने वाले सुफियान पिछले तीन साल से गुजरात के आनंद शहर में रहकर पीओपी का काम करते थे. 8 से 9 हजार रुपये प्रतिमाह कमा लेते थे, लेकिन कोरोना ने सब चौपट कर दिया. सुफियान कहते हैं कि अब भविष्य में अपना गांव-अपना प्रदेश छोड़कर इतनी दूर नहीं जाएंगे. हालांकि उनका कहना है कि मजबूरी में ही इतनी दूर रहना पड़ रहा है. अगर सरकार यहां व्यवस्था कर दे तो कोई भी इतनी दूर जाना नहीं चाहेगा.

गोण्डा निवासी मुख्तार भी काफी समय से गुजरात के आनंद शहर में रहते थे और पीओपी का काम करते थे. महीने में आठ हजार तक की इनकम हो जाती थी. इसी से परिवार को भी पैसे भेजते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते धंधा ही बंद हो गया है. ऊपर से घर आने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी. मुख्तार का कहना है कि अब वापस जाने का कोई इरादा नहीं है. बशर्ते अगर यूपी सरकार मजदूरों को यहां पर काम दे दे.

बलरामपुर के उतरौला निवासी रामसुरेश यादव कहते हैं कि वे पिछले छह साल से आनंद में रहकर पीओपी का काम करते हैं. महीने का 10 हजार रुपये तक कमा लेते थे. अब परिस्थितियां अलग हो गई हैं. महामारी के कारण कमाई पूरी तरह बंद है. अब वापस अपने घर लौट रहे हैं. भविष्य में जाने का कोई प्लान भी अब नहीं बनाएंगे. उनका भी यही कहना है कि अगर सरकार यहीं पर रोजगार दे दे तो और भी अच्छा रहेगा.

इसे भी पढ़ें- CM योगी ने प्रदेश में रोजगार की संभावनाएं तलाशने के दिये निर्देश: अवनीश अवस्थी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में रहने वाले मजदूर अब अपना गांव छोड़कर दूसरे प्रदेश में नहीं जाना चाहते. कोरोना ने मजदूरों को डरा तो दिया ही है. साथ ही यह भी सोचने को मजबूर कर दिया है कि आखिर आठ हजार रुपये के चक्कर में हजारों किलोमीटर दूर क्यों जाएं. इससे बेहतर है कि अपने गांव में ही खेती-किसानी करें. गुजरात के आंनद शहर से 'श्रमिक स्पेशल ट्रेन' से वापस लौटे मजदूरों से जब 'ईटीवी भारत' ने बात कि तो उन्होंने बताया कि वे सरकार से अनुरोध करते हैं कि सरकार उन्हें यहीं पर काम की व्यवस्था कर दे और उद्योग-धंधे स्थापित कर दे, जिससे बाहर जाने की जरूरत ही न पड़े.

जानकारी देते मजदूर.

गोण्डा और बलरामपुर के रहने वाले तमाम मजदूर मजबूरन अपना घर छोड़कर हजारों किलोमीटर दूर गुजरात में रहकर अपने परिवार को पालने-पोसने का काम करते हैं, लेकिन कोरोना के चलते पिछले डेढ़ माह से लॉकडाउन ने उनकी हालत पतली कर दी है. साथ ही उन्हें भविष्य के लिए डरा भी दिया है कि अगर ऐसी महामारी आती है तो उनके सामने बड़ा संकट खड़ा होता रहेगा.

मजदूरों ने गिनाई अपनी परेशानियां
गोण्डा के रहने वाले सुफियान पिछले तीन साल से गुजरात के आनंद शहर में रहकर पीओपी का काम करते थे. 8 से 9 हजार रुपये प्रतिमाह कमा लेते थे, लेकिन कोरोना ने सब चौपट कर दिया. सुफियान कहते हैं कि अब भविष्य में अपना गांव-अपना प्रदेश छोड़कर इतनी दूर नहीं जाएंगे. हालांकि उनका कहना है कि मजबूरी में ही इतनी दूर रहना पड़ रहा है. अगर सरकार यहां व्यवस्था कर दे तो कोई भी इतनी दूर जाना नहीं चाहेगा.

गोण्डा निवासी मुख्तार भी काफी समय से गुजरात के आनंद शहर में रहते थे और पीओपी का काम करते थे. महीने में आठ हजार तक की इनकम हो जाती थी. इसी से परिवार को भी पैसे भेजते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते धंधा ही बंद हो गया है. ऊपर से घर आने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी. मुख्तार का कहना है कि अब वापस जाने का कोई इरादा नहीं है. बशर्ते अगर यूपी सरकार मजदूरों को यहां पर काम दे दे.

बलरामपुर के उतरौला निवासी रामसुरेश यादव कहते हैं कि वे पिछले छह साल से आनंद में रहकर पीओपी का काम करते हैं. महीने का 10 हजार रुपये तक कमा लेते थे. अब परिस्थितियां अलग हो गई हैं. महामारी के कारण कमाई पूरी तरह बंद है. अब वापस अपने घर लौट रहे हैं. भविष्य में जाने का कोई प्लान भी अब नहीं बनाएंगे. उनका भी यही कहना है कि अगर सरकार यहीं पर रोजगार दे दे तो और भी अच्छा रहेगा.

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