लखनऊ: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज विनय कुमार सिंह ने अरबों के स्मारक घोटाला मामले में वांछित उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन परियोजना प्रबंधक पीके जैन, सुधीर कुमार अग्रवाल, सुरेंद्र कुमार चौबे, सत्य प्रकाश गुप्ता व तत्कालीन इकाई प्रभारी शिव कुमार वर्मा उर्फ एसके वर्मा, होशियार सिंह तरकर व मुरली मनोहर के साथ ठेकेदार पन्ना लाल यादव व अंकुर अग्रवाल की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने प्रथम दृष्टया इनके अपराध को गंभीर करार दिया है.
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इस मामले की एफआईआर एक जनवरी 2014 को उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान के निरीक्षक राम नरेश सिंह राठौर ने थाना गोमती नगर में दर्ज कराई थी. एफआईआर के मुताबिक वर्ष 2007 से 2011 के दौरान लखनऊ व नोएडा में स्मारकों के निर्माण के लिए पत्थरों की खरीद में भारी अनियमितता व भ्रष्टाचार हुआ था.
विवेचना के दौरान अब तक इस मामले में 72 अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की धारा 409 व 120 बी के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) (डी) व 13 (2) में दाखिल आरोप पत्र दाखिल हो चुका है जबकि शेष अभियुक्तों के खिलाफ विवेचना अभी चल रही है. उल्लेखनीय है कि मामले में तत्कालीन सरकार के कुछ कद्दावर मंत्रियों व नेताओं के भी नाम सामने आए हैं. हालांकि उन सभी के खिलाफ अब तक आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया है. विवेचना चल रही है.