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लखनऊः लोहिया संस्थान में मेडिकोलीगल बंद, पुलिस सिविल और बलरामपुर के सहारे - लोहिया संस्थान में अब मेडिकोलीगल बनना बंद

यूपी की राजधानी लखनऊ के लोहिया संस्थान में अब मेडिकोलीगल बनाना बंद कर दिया है. संस्थान का कहना है कि उनके पास अब मेडिकल अफसर की पोस्ट नहीं है. इसलिए यहां मेडिकोलीगल बंद किया जा रहा है.

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डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान.
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Published : Feb 7, 2020, 7:37 AM IST

लखनऊः लोहिया संस्थान में अब मेडिकल लीगल बंद कर दिया गया है. इसके तहत अब सड़क पर होने वाले एक्सीडेंट और अन्य दुर्घटनाओं के मामले में संस्थान में मेडिकोलीगल नहीं हुआ करेगा. इसको लेकर के लोहिया अस्पताल का तर्क है कि उनके पास अब मेडिकल अफसर की पोस्ट नहीं है. इसकी वजह से यह निर्णय संस्थान की तरफ से लिया जा रहा है.

डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान में अब मेडिकोलीगल बंद कर दिया गया है. इसके तहत अब सड़क पर होने वाले एक्सीडेंट और अन्य मामलों में घायलों के मेडिकल के लिए पुलिस को दूसरे अस्पतालों का रुख करना होगा. यहां 4 से 5 थानों के मेडिकोलीगल हुआ करते थे. इसमें गोमतीनगर, जानकीपुरम, गोमती नगर विस्तार और गुडंबा समेत कई थाने शामिल थे.

लोहिया संस्थान में मेडिकोलीगल बंद.

अब इन थानों की पुलिस को दूसरे अस्पतालों में जाना होगा. कुछ थानों की पुलिस को सिविल अस्पतालों और कुछ थानों को बलरामपुर अस्पताल में भेजा जाएगा. इस पूरे मामले में तब्दीली को लेकर संस्थान की तरफ से कहा गया है कि मेडिकोलीगल पीएमएस के डॉक्टर करते हैं और उनके पास मेडिकल अफसर की पोस्ट होती है.

इसे भी पढ़ें- यूपी बोर्ड परीक्षा का ऑनलाइन निगरानी केंद्र तैयार, आज डिप्टी सीएम करेंगे उद्घाटन

अस्पताल के संस्थान में विलय हो जाने के बाद भी एम्स के डॉक्टर के स्थानांतरण हो गए और सिर्फ तीन ही ईएमओ अब संस्थान में तैनात हैं. इन पर संस्थान के मरीजों का मेडिकोलीगल करने का भार है. जबकि पुलिस रात में 2 बजे भी मेडिकोलीगल के लिए आ जाती थी. ऐसे में लोहिया संस्थान में इतने डॉक्टर नहीं है कि उनकी ड्यूटी लगा सकें. इस कारण संस्थान द्वारा यह निर्णय किया जा रहा है.

लखनऊः लोहिया संस्थान में अब मेडिकल लीगल बंद कर दिया गया है. इसके तहत अब सड़क पर होने वाले एक्सीडेंट और अन्य दुर्घटनाओं के मामले में संस्थान में मेडिकोलीगल नहीं हुआ करेगा. इसको लेकर के लोहिया अस्पताल का तर्क है कि उनके पास अब मेडिकल अफसर की पोस्ट नहीं है. इसकी वजह से यह निर्णय संस्थान की तरफ से लिया जा रहा है.

डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान में अब मेडिकोलीगल बंद कर दिया गया है. इसके तहत अब सड़क पर होने वाले एक्सीडेंट और अन्य मामलों में घायलों के मेडिकल के लिए पुलिस को दूसरे अस्पतालों का रुख करना होगा. यहां 4 से 5 थानों के मेडिकोलीगल हुआ करते थे. इसमें गोमतीनगर, जानकीपुरम, गोमती नगर विस्तार और गुडंबा समेत कई थाने शामिल थे.

लोहिया संस्थान में मेडिकोलीगल बंद.

अब इन थानों की पुलिस को दूसरे अस्पतालों में जाना होगा. कुछ थानों की पुलिस को सिविल अस्पतालों और कुछ थानों को बलरामपुर अस्पताल में भेजा जाएगा. इस पूरे मामले में तब्दीली को लेकर संस्थान की तरफ से कहा गया है कि मेडिकोलीगल पीएमएस के डॉक्टर करते हैं और उनके पास मेडिकल अफसर की पोस्ट होती है.

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अस्पताल के संस्थान में विलय हो जाने के बाद भी एम्स के डॉक्टर के स्थानांतरण हो गए और सिर्फ तीन ही ईएमओ अब संस्थान में तैनात हैं. इन पर संस्थान के मरीजों का मेडिकोलीगल करने का भार है. जबकि पुलिस रात में 2 बजे भी मेडिकोलीगल के लिए आ जाती थी. ऐसे में लोहिया संस्थान में इतने डॉक्टर नहीं है कि उनकी ड्यूटी लगा सकें. इस कारण संस्थान द्वारा यह निर्णय किया जा रहा है.

Intro:



लखनऊ के लोहिया संस्थान में अब मेडिकल लीगल बंद कर दिया गया है। इसके तहत अब सड़क पर होने वाले एक्सीडेंट व अन्य दुर्घटनाओं के मामले में संस्थान में मेडिकोलीगल नहीं हुआ करेगा। इसको लेकर के लोहिया अस्पताल का तर्क है कि उनके पास अब मेडिकल अफसर की पोस्ट नहीं है।जिसकी वजह से यह निर्णय संस्थान की तरफ से लिया जा रहा है।




Body:डॉ राम मनोहर लोहिया संस्थान में अब मेडिकल लीगल बंद कर दिया गया है।इसके तहत अब सड़क पर होने वाले एक्सीडेंट व अन्य मामलों में घायलों के मेडिकल के लिए पुलिस को दूसरे अस्पतालों का रुख करना होगा। अब तक यहां 4 से 5 थानों के मेडिकोलीगल हुआ करते थे। जिसमें गोमतीनगर, जानकीपुरम गोमती नगर विस्तार ,गुडंबा समेत कई थाने शामिल थे।अब इन थानों की पुलिस को दूसरे अस्पतालों में जाना होगा। जिसमें कुछ को सिविल और कुछ को बलरामपुर अस्पताल में भेजा जाएगा। जिसके बाद पुलिस की मशक्कत बढ़ जाएगी। इस पूरे मामले में तब्दीली के पीछे का तर्क हालांकि संस्थान की तरफ से कहा गया है कि मेडिकोलीगल पीएमएस के डॉक्टर करते हैं और उनके पास मेडिकल अफसर की पोस्ट होती है।अस्पताल के संस्थान में विलय हो जाने के बाद भी एम्स के डॉक्टर के स्थानांतरण हो गया और सिर्फ तीन ही ईएमओ अब संस्थान में तैनात हैं।इन पर संस्थान के मरीजों का मेडिको लीगल करने का भार है। जबकि पुलिस रात में 2:00 बजे भी मेडिकोलीगल के लिए आ जाती थी, ऐसे में लोहिया संस्थान में इतने डॉक्टर नहीं है कि उनके ड्यूटी लगा सके।इस कारण संस्थान द्वारा यह निर्णय किया जा रहा है, साथ ही साथ इस व्यवस्था के तब्दील हो जाने के बाद लोहिया संस्थान में मेडिकोलीगल बंद हो जाने के बाद अब पुलिस को दुगना समय लगता है क्योंकि पहले जितनी देरी में medico-legal हो जाता था ।इतनी देर में तो बलरामपुर अस्पताल सिविल अस्पताल पहुंचा जा सकता है। जबकि जाम में और ज्यादा समय भी लगता है क्योंकि संस्थान द्वारा यह मना कर दिया इसलिए पुलिस के पास और कोई विकल्प भी नहीं है।

बाइट- डॉ भुवन तिवारी, चिकित्सा अधीक्षक, लोहिया संस्थान



Conclusion:
हालांकि संस्थान के तर्क के हिसाब से इस बदलाव के बाद डॉक्टरों का कार्यभार कम होगा और वे बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे अब देखने वाली बात यह होगी कि इस परिवर्तन के बाद आखिर कितनी मेडिकल स्वास्थ्य सेवाएं लोहिया संस्थान में सुधरती हैं।

एन्ड पीटीसी
शुभम पाण्डेय।
7054605976
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