लखनऊ : जीवन में आपाधापी और कुछ अन्य कारणों से आज बहुत-से दंपती एक बच्चे यानी सिंगल चाइल्ड को महत्व देने लगे हैं. उन्हें समझ आने लगा है कि एक बच्चे की बेहतर परवरिश करके उसे अच्छा नागरिक और कामयाब इंसान बनाया जा सकता है. हालांकि इकलौते बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण होती है. वजह यह कि इकलौते बच्चे ज्यादा देखभाल चाहते हैं और वे जिद्दी हो सकते हैं और अकेलेपन का शिकार भी. इसलिए माता-पिता को उन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है.
केजीएमयू के मनोरोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ. विवेक अग्रवाल के अनुसार सिंगल चाइल्ड के लिए माता-पिता की परवरिश बहुत महत्व रखती है. बचपन से ही माता-पिता जिस माहौल में बच्चे को ढालेंगे, बच्चा उसी प्रकार से रहेगा. मौजूदा समय में बच्चे को अत्यधिक छूट मिलती है. माता-पिता दोनों वर्किंग होते हैं तो वे बच्चे पर फोकस नहीं कर पाते हैं. ऐसे में जिद्दी बच्चों को संभालना कई पैरेंट्स के लिए चुनौती बन जाता है. बच्चों को नहलाने, खाना खिलाने, सोने तक हर बात पर बच्चों को समझाना काफी मुश्किल हो जाता है. कई बार बच्चों की परवरिश पर पैरेंट्स की कुछ गलतियां काफी भारी पड़ती हैं और बच्चा पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर निकल जाता है. हालांकि युवावस्था में बच्चे बिगड़ते और सुधरते दोनों ही हैं.
बच्चे के साथ बिताएं समय
डॉ. विवेक अग्रवाल ने कहा कि रोजाना अस्पताल की ओपीडी में छह से सात ऐसे बच्चे आते हैं जो सिंगल चाइल्ड होते हैं. अभिभावक यहां पर आकर एक ही शिकायत करते हैं कि बच्चा उनकी बात नहीं सुनता है और न उनकी बात मानता है. ऐसे में अगर आप सिंगल पेरेंट हैं तो बच्चों के प्रति आपकी जिम्मेदारियां ज्यादा बढ़ जाती हैं. ऐसे बच्चों को अधिक से अधिक समय दें और उनके साथ कुछ समय बिताएं. ऐसा करने से बच्चे आपकी निगरानी में भी रहेंगे और करीब भी. बच्चों से उनके दोस्तों के बारे में बात करें.
बच्चे को संभलाने के लिए इन बातों का भी रखें ख्याल |
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