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सिंगल बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण, ऐसे बच्चे होते हैं अधिक जिद्दी

बच्चों की परवरिश को लेकर सभी पैरेंट्स काफी फिक्रमंद रहते हैं, लेकिन सिंगल चाइल्ड की देखभाल बड़ी चुनौती है. विशेषज्ञों का मानना है कि इकलौते बच्चों का कुछ ज्यादा ही लाड-प्यार मिलता है. ऐसे में वे बिगड़ैल और जिद्दी हो जाते हैं. ऐसे बच्चों को पालना काफी चुनौतीपूर्ण होता है.

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Published : Jun 24, 2023, 10:12 PM IST

सिंगल बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण. देखें खबर

लखनऊ : जीवन में आपाधापी और कुछ अन्य कारणों से आज बहुत-से दंपती एक बच्चे यानी सिंगल चाइल्ड को महत्व देने लगे हैं. उन्हें समझ आने लगा है कि एक बच्चे की बेहतर परवरिश करके उसे अच्छा नागरिक और कामयाब इंसान बनाया जा सकता है. हालांकि इकलौते बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण होती है. वजह यह कि इकलौते बच्चे ज्यादा देखभाल चाहते हैं और वे जिद्दी हो सकते हैं और अकेलेपन का शिकार भी. इसलिए माता-पिता को उन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है.

सिंगल बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण.
सिंगल बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण.

केजीएमयू के मनोरोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ. विवेक अग्रवाल के अनुसार सिंगल चाइल्ड के लिए माता-पिता की परवरिश बहुत महत्व रखती है. बचपन से ही माता-पिता जिस माहौल में बच्चे को ढालेंगे, बच्चा उसी प्रकार से रहेगा. मौजूदा समय में बच्चे को अत्यधिक छूट मिलती है. माता-पिता दोनों वर्किंग होते हैं तो वे बच्चे पर फोकस नहीं कर पाते हैं. ऐसे में जिद्दी बच्चों को संभालना कई पैरेंट्स के लिए चुनौती बन जाता है. बच्चों को नहलाने, खाना खिलाने, सोने तक हर बात पर बच्चों को समझाना काफी मुश्किल हो जाता है. कई बार बच्चों की परवरिश पर पैरेंट्स की कुछ गलतियां काफी भारी पड़ती हैं और बच्चा पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर निकल जाता है. हालांकि युवावस्था में बच्चे बिगड़ते और सुधरते दोनों ही हैं.

सिंगल बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण.
सिंगल बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण.


बच्चे के साथ बिताएं समय

डॉ. विवेक अग्रवाल ने कहा कि रोजाना अस्पताल की ओपीडी में छह से सात ऐसे बच्चे आते हैं जो सिंगल चाइल्ड होते हैं. अभिभावक यहां पर आकर एक ही शिकायत करते हैं कि बच्चा उनकी बात नहीं सुनता है और न उनकी बात मानता है. ऐसे में अगर आप सिंगल पेरेंट हैं तो बच्चों के प्रति आपकी जिम्मेदारियां ज्यादा बढ़ जाती हैं. ऐसे बच्चों को अधिक से अधिक समय दें और उनके साथ कुछ समय बिताएं. ऐसा करने से बच्चे आपकी निगरानी में भी रहेंगे और करीब भी. बच्चों से उनके दोस्तों के बारे में बात करें.

सिंगल बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण.
सिंगल बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण.

बच्चे को संभलाने के लिए इन बातों का भी रखें ख्याल

  • अधिकतर समय जब आपका बच्चा कुछ करने या ना करने की जिद करे तो आपका शांति और धैर्य से उनकी बात सुनें जरूर, उनकी बात खत्म होने से पहले उन्हें टोकें नहीं. आप उनसे कभी भी गर्म मूड में बात न करें.
  • बच्चों के साथ जबर्दस्ती बिल्कुल न करें. जब आप अपने बच्चों के साथ किसी भी चीज को लेकर जबर्दस्ती करते हैं तो वे स्वभाव से बगावत करते चले जाते हैं. कई बार जबर्दस्ती से आपको समाधान तो मिल जाता है लेकिन आगे के लिए ये खतरनाक होता चला जाता है. बच्चों से जबरन कुछ करवाने से वे वही कुछ करने लगते हैं जिनसे उन्हें मना किया जाता है.
  • बच्चों का अपना दिमाग होता है और वे हमेशा वो करना पसंद नहीं करते हैं जो उन्हें कहा जाता है. अगर आप अपने चार साल के बच्चे को कहेंगी कि वह नौ बजे से पहले बिस्तर में चला जाए तो इसका जवाब एक बड़ा सा न मिलेगा. ऐसा आदेश देने के बजाए आप उससे पूछें कि वो सोते समय कौन सी कहानी सुनना पसंद करेगा.
  • बच्चों से चिल्ला चिल्ला कर नहीं बल्कि शांति पूर्वक बात करें बच्चे को समझाने की कोशिश करें बच्चे कभी भी गुस्से में बोली मेरी बात को समझते नहीं है उन्हें अगर बड़े प्यार से वही चीज बता दिया जाए तो वह आसानी से समझते हैं.
  • किसी भी तरह से बच्चों को जिद्दी होने से बचाएं. बच्चों को हर चीज उसकी मांग से पूरा कर देना बच्चे को जिद्दी बना सकता है. बच्चे की हर मांग पूरी करने से अच्छा यह है कि, पहले मांगें मानने या मना करने से पहले उसकी आवश्यकता की जरूरत को समझें.

यह भी पढ़ें : जनता के लिए पुलिस का खास प्लान, प्रत्येक सर्किल और थाने में अफसरों की निगरानी में होगी सुनवाई

सिंगल बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण. देखें खबर

लखनऊ : जीवन में आपाधापी और कुछ अन्य कारणों से आज बहुत-से दंपती एक बच्चे यानी सिंगल चाइल्ड को महत्व देने लगे हैं. उन्हें समझ आने लगा है कि एक बच्चे की बेहतर परवरिश करके उसे अच्छा नागरिक और कामयाब इंसान बनाया जा सकता है. हालांकि इकलौते बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण होती है. वजह यह कि इकलौते बच्चे ज्यादा देखभाल चाहते हैं और वे जिद्दी हो सकते हैं और अकेलेपन का शिकार भी. इसलिए माता-पिता को उन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है.

सिंगल बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण.
सिंगल बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण.

केजीएमयू के मनोरोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ. विवेक अग्रवाल के अनुसार सिंगल चाइल्ड के लिए माता-पिता की परवरिश बहुत महत्व रखती है. बचपन से ही माता-पिता जिस माहौल में बच्चे को ढालेंगे, बच्चा उसी प्रकार से रहेगा. मौजूदा समय में बच्चे को अत्यधिक छूट मिलती है. माता-पिता दोनों वर्किंग होते हैं तो वे बच्चे पर फोकस नहीं कर पाते हैं. ऐसे में जिद्दी बच्चों को संभालना कई पैरेंट्स के लिए चुनौती बन जाता है. बच्चों को नहलाने, खाना खिलाने, सोने तक हर बात पर बच्चों को समझाना काफी मुश्किल हो जाता है. कई बार बच्चों की परवरिश पर पैरेंट्स की कुछ गलतियां काफी भारी पड़ती हैं और बच्चा पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर निकल जाता है. हालांकि युवावस्था में बच्चे बिगड़ते और सुधरते दोनों ही हैं.

सिंगल बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण.
सिंगल बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण.


बच्चे के साथ बिताएं समय

डॉ. विवेक अग्रवाल ने कहा कि रोजाना अस्पताल की ओपीडी में छह से सात ऐसे बच्चे आते हैं जो सिंगल चाइल्ड होते हैं. अभिभावक यहां पर आकर एक ही शिकायत करते हैं कि बच्चा उनकी बात नहीं सुनता है और न उनकी बात मानता है. ऐसे में अगर आप सिंगल पेरेंट हैं तो बच्चों के प्रति आपकी जिम्मेदारियां ज्यादा बढ़ जाती हैं. ऐसे बच्चों को अधिक से अधिक समय दें और उनके साथ कुछ समय बिताएं. ऐसा करने से बच्चे आपकी निगरानी में भी रहेंगे और करीब भी. बच्चों से उनके दोस्तों के बारे में बात करें.

सिंगल बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण.
सिंगल बच्चे की परवरिश बेहद चुनौतीपूर्ण.

बच्चे को संभलाने के लिए इन बातों का भी रखें ख्याल

  • अधिकतर समय जब आपका बच्चा कुछ करने या ना करने की जिद करे तो आपका शांति और धैर्य से उनकी बात सुनें जरूर, उनकी बात खत्म होने से पहले उन्हें टोकें नहीं. आप उनसे कभी भी गर्म मूड में बात न करें.
  • बच्चों के साथ जबर्दस्ती बिल्कुल न करें. जब आप अपने बच्चों के साथ किसी भी चीज को लेकर जबर्दस्ती करते हैं तो वे स्वभाव से बगावत करते चले जाते हैं. कई बार जबर्दस्ती से आपको समाधान तो मिल जाता है लेकिन आगे के लिए ये खतरनाक होता चला जाता है. बच्चों से जबरन कुछ करवाने से वे वही कुछ करने लगते हैं जिनसे उन्हें मना किया जाता है.
  • बच्चों का अपना दिमाग होता है और वे हमेशा वो करना पसंद नहीं करते हैं जो उन्हें कहा जाता है. अगर आप अपने चार साल के बच्चे को कहेंगी कि वह नौ बजे से पहले बिस्तर में चला जाए तो इसका जवाब एक बड़ा सा न मिलेगा. ऐसा आदेश देने के बजाए आप उससे पूछें कि वो सोते समय कौन सी कहानी सुनना पसंद करेगा.
  • बच्चों से चिल्ला चिल्ला कर नहीं बल्कि शांति पूर्वक बात करें बच्चे को समझाने की कोशिश करें बच्चे कभी भी गुस्से में बोली मेरी बात को समझते नहीं है उन्हें अगर बड़े प्यार से वही चीज बता दिया जाए तो वह आसानी से समझते हैं.
  • किसी भी तरह से बच्चों को जिद्दी होने से बचाएं. बच्चों को हर चीज उसकी मांग से पूरा कर देना बच्चे को जिद्दी बना सकता है. बच्चे की हर मांग पूरी करने से अच्छा यह है कि, पहले मांगें मानने या मना करने से पहले उसकी आवश्यकता की जरूरत को समझें.

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