लखनऊ: केजीएमयू दीक्षांत समारोह की मेडल लिस्ट आ चुकी है. इस मेडल लिस्ट में कई ऐसे डॉक्टरों के नाम पर मेडल है, जो छात्रों के लिए यादगार तो होते ही हैं साथ ही उन डॉक्टरों का भी सम्मान बढ़ाते हैं. केजीएमयू के 15वें दीक्षांत समारोह में इस साल केजीएमयू के फैकल्टी ऑफ मेडिसिन की डीन प्रोफेसर विनीता दास के नाम का भी एक गोल्ड मेडल शामिल किया गया है.
प्रोफेसर विनीता दास किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ मेडिसिन की डीन होने के साथ-साथ क्वीन मैरी प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के विभागाध्यक्ष भी हैं. पहली बार उनके नाम से केजीएमयू के पोस्ट ग्रैजुएट स्टूडेंट्स के लिए गोल्ड मेडल को दीक्षांत समारोह में शामिल किया जा रहा है. अब यह मेडल हर साल पोस्ट ग्रेजुएट में अव्वल आने वाले किसी एक विद्यार्थी को मिलेगा.
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विनीता दास कहती हैं कि इस गोल्ड मेडल के कई क्राइटेरिया हैं. सबसे पहला क्राइटेरिया यह है कि यह मेडल किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए ही है. यह गोल्ड मेडल उन विद्यार्थियों के लिए है जो पोस्ट ग्रेजुएशन में भी एमडी, एमएस पास कर चुके हैं. यह मेडल उस स्टूडेंट को दिया जाएगा, जो किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के सभी विभागों के पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों में हाई मार्क्स लेकर आया हो.
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प्रोफेसर दास खुद भी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की एलुमनाई है. इसके साथ ही वह अपने जमाने की हीवेट गोल्ड मेडलिस्ट भी रह चुकी हैं. वह कहती हैं कि वह बहुत दिनों से सोच रही थी कि एमबीबीएस के स्टूडेंट्स के लिए तो बहुत सारे मेडल हैं. जिनके अलग-अलग क्राइटेरिया हैं. इस लिहाज में पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट के पास भी मेडल होते हैं. पर कभी एमडीएमएस स्टूडेंट्स या सभी विभागों को मिलाकर कोई कंबाइंड मेडल नहीं है, जो किसी ऐसे स्टूडेंट को मिले जो सभी विभागों को मिलाकर हाईएस्ट मार्क्स लेकर आया हो.
15वें दीक्षांत समारोह में पैथोलॉजी विभाग से एमडी में सबसे अधिक अंक लाने वाली डॉक्टर शालिनी सिंह को पहला प्रोफेसर विनीता दास गोल्ड मेडल दिया जा रहा है. डॉक्टर शालिनी ने पैथोलॉजी समेत सभी विभागों को मिलाकर पोस्ट ग्रेजुएशन एमडी एमएस में सबसे अधिक अंक हासिल किए हैं.
प्राइमरी स्कूल के बच्चे भी होंगे शामिल
इस दीक्षांत समारोह में प्राइमरी स्कूल के 50 बच्चों को भी शामिल किया जा रहा है. इस बाबत प्रोफेसर विनीता दास कहती हैं कि यह काफी अच्छी बात है और एक बेहतरीन इनीशिएटिव लिया जा रहा है, क्योंकि यह बच्चे भी जब सम्मान पाएंगे और सम्मान पाते हुए छात्रों को देखेंगे तो उनमें भी एक अलग ललक पैदा होगी. उन्हें प्रेरणा मिलेगी कि वह भी इस क्षेत्र में आगे आ सकें.