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ट्विटर वॉर में मायावती की हुई फजीहत, बाद में सुधारी गलती - बीजेपी

बसपा सुप्रीमो मायावती की ओर से एक ट्वीट करते हुए योगी सरकार पर सीबीएसई बोर्ड की फीस बढ़ाने को लेकर सवाल खड़ा किया गया. इसके कुछ ही देर बाद उन्होंने अपने ट्वीट में सुधार किया.

मायावती ने किया गलत ट्वीट.
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Published : Aug 13, 2019, 2:19 PM IST

लखनऊ: ट्विटर पर जुबानी जंग आम हो गई है. इसी जुबानी जंग में टि्वटर पर कभी कोई कुछ भी बोल दे रहा है. विपक्ष का आलम यह है कि वह बिना सोचे समझे ही सरकार की घेराबंदी में उतर पड़ता है. मंगलवार को बसपा अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट कर बीजेपी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने सीबीएसई बोर्ड में 24 गुना परीक्षा शुल्क बढ़ा दी है, इसे वापस लिया जाना चाहिए. यह फैसला दलित और गरीब विरोधी है. वहीं कुछ ही देर बाद उन्हें अपनी गलती का आभास हो गया कि सीबीएसई योगी सरकार के अधीन नहीं है. इसके बाद उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दूसरा ट्वीट किया.

मायावती ने अपने ट्वीट में किया सुधार.

बसपा अध्यक्ष मायावती ने अपने पहले ट्वीट में लिखा कि बीजेपी सरकार गरीब विरोधी फैसले कर रही है. मायावती ने कहा कि इस सरकार में सीबीएसई बोर्ड का परीक्षा शुल्क 24 गुना बढ़ा दिया गया है. इस वजह से अब एससी-एसटी छात्रों को 50 रुपये के स्थान पर 1200 रुपये देने पड़ेंगे. बसपा अध्यक्ष ने कहा कि इसी प्रकार सामान्य वर्ग के छात्रों के शुल्क में भी दोगुना वृद्धि की गई है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. फैसला गरीब विरोधी है. बसपा इसे तुरंत वापस लिए जाने की मांग कर रही है.

कुछ देर बाद उन्हें आभास हुआ कि सीबीएसई बोर्ड केंद्र सरकार के अधीन है. वह उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के अधीन नहीं है. न ही यह फैसला योगी सरकार ने किया है. इसके बाद मायावती ने दोबारा ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि अभी हाल ही में सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं के लिए परीक्षा शुल्क में जो 24 गुना तक बढ़ोतरी की है, जिसके तहत अब एससी-एसटी छात्रों को 50 रुपये के बजाए 1200 देने होंगे. इसके साथ ही दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि इसी प्रकार सामान्य वर्ग के छात्रों के शुल्क में भी दोगुना वृद्धि की गई है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. जातिवादी और गरीब विरोधी फैसला है. सीबीएसई इसे तुरंत वापस ले बीएसपी की यह मांग है.

मायावती के इस ट्वीट में भी गड़बड़ी दिख रही है. दरअसल पहली बात तो यह कि सामान्य वर्ग के लिए बढ़ोत्तरी से पूर्व 12वीं का 750 रुपये और एससी-एसटी छात्रों के लिए 350 रुपये परीक्षा शुल्क है. दिल्ली की केजरीवाल सरकार इन छात्रों को 300 रुपये वापस करती है, इसलिए 50 रुपये देने पड़ते हैं. इस लिहाज से भी सीबीएसई द्वारा 24 फीसद परीक्षा शुल्क बढ़ाए जाने की बात नहीं कही जा सकती. अब सवाल यह उठता है कि आखिर विपक्ष बिना सोचे समझे सवाल क्यों खड़ा करता है.

लखनऊ: ट्विटर पर जुबानी जंग आम हो गई है. इसी जुबानी जंग में टि्वटर पर कभी कोई कुछ भी बोल दे रहा है. विपक्ष का आलम यह है कि वह बिना सोचे समझे ही सरकार की घेराबंदी में उतर पड़ता है. मंगलवार को बसपा अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट कर बीजेपी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने सीबीएसई बोर्ड में 24 गुना परीक्षा शुल्क बढ़ा दी है, इसे वापस लिया जाना चाहिए. यह फैसला दलित और गरीब विरोधी है. वहीं कुछ ही देर बाद उन्हें अपनी गलती का आभास हो गया कि सीबीएसई योगी सरकार के अधीन नहीं है. इसके बाद उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दूसरा ट्वीट किया.

मायावती ने अपने ट्वीट में किया सुधार.

बसपा अध्यक्ष मायावती ने अपने पहले ट्वीट में लिखा कि बीजेपी सरकार गरीब विरोधी फैसले कर रही है. मायावती ने कहा कि इस सरकार में सीबीएसई बोर्ड का परीक्षा शुल्क 24 गुना बढ़ा दिया गया है. इस वजह से अब एससी-एसटी छात्रों को 50 रुपये के स्थान पर 1200 रुपये देने पड़ेंगे. बसपा अध्यक्ष ने कहा कि इसी प्रकार सामान्य वर्ग के छात्रों के शुल्क में भी दोगुना वृद्धि की गई है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. फैसला गरीब विरोधी है. बसपा इसे तुरंत वापस लिए जाने की मांग कर रही है.

कुछ देर बाद उन्हें आभास हुआ कि सीबीएसई बोर्ड केंद्र सरकार के अधीन है. वह उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के अधीन नहीं है. न ही यह फैसला योगी सरकार ने किया है. इसके बाद मायावती ने दोबारा ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने लिखा कि अभी हाल ही में सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं के लिए परीक्षा शुल्क में जो 24 गुना तक बढ़ोतरी की है, जिसके तहत अब एससी-एसटी छात्रों को 50 रुपये के बजाए 1200 देने होंगे. इसके साथ ही दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि इसी प्रकार सामान्य वर्ग के छात्रों के शुल्क में भी दोगुना वृद्धि की गई है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. जातिवादी और गरीब विरोधी फैसला है. सीबीएसई इसे तुरंत वापस ले बीएसपी की यह मांग है.

मायावती के इस ट्वीट में भी गड़बड़ी दिख रही है. दरअसल पहली बात तो यह कि सामान्य वर्ग के लिए बढ़ोत्तरी से पूर्व 12वीं का 750 रुपये और एससी-एसटी छात्रों के लिए 350 रुपये परीक्षा शुल्क है. दिल्ली की केजरीवाल सरकार इन छात्रों को 300 रुपये वापस करती है, इसलिए 50 रुपये देने पड़ते हैं. इस लिहाज से भी सीबीएसई द्वारा 24 फीसद परीक्षा शुल्क बढ़ाए जाने की बात नहीं कही जा सकती. अब सवाल यह उठता है कि आखिर विपक्ष बिना सोचे समझे सवाल क्यों खड़ा करता है.

Intro:लखनऊ। ट्विटर पर जुबानी जंग आम हो गया है। इसी जुबानी जंग में टि्वटर पर कभी कोई कुछ भी बोल दे रहा है। विपक्ष का तो आलम यह है कि वह बिना सोचे समझे ही सरकार की घेराबंदी में उतर पड़ता है। हुआ यूं कि आज मंगलवार को बसपा अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट करके उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने सीबीएसई बोर्ड में 24 गुना परीक्षा शुल्क बढ़ा दिए हैं। इसे वापस लिया जाना चाहिए। यह फैसला दलित और गरीब विरोधी है। कुछ ही देर बाद उन्हें अपनी गलती का आभास हो गया कि सीबीएसई योगी सरकार के अधीन नहीं है। उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट करके दूसरा ट्वीट किया। लेकिन उसमें भी खामियां साफ दिख रही हैं।


Body:बसपा अध्यक्ष मायावती ने अपने पहले ट्वीट में लिखा कि बीजेपी सरकार गरीब विरोधी फैसले कर रही है। मायावती ने कहा कि इस सरकार में सीबीएसई बोर्ड का परीक्षा शुल्क 24 गुना बढ़ा दिया गया है। इस वजह से अब एससी-एसटी छात्रों को 50 रुपये के स्थान पर 1200 रुपये देने पड़ेंगे। बसपा अध्यक्ष ने कहा कि इसी प्रकार सामान्य वर्ग के छात्रों के शुल्क में भी दोगुना वृद्धि की गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। फैसला गरीब विरोधी है। बसपा इसे तुरंत वापस लिए जाने की मांग कर रही है।

उन्हें आभास हो गया कि यह गलती हुई है। दरअसल सीबीएसई बोर्ड केंद्र सरकार के अधीन है। वह उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के अधीन नहीं है। न ही यह फैसला योगी सरकार ने किया है। इसके बाद मायावती ने ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि अभी हाल ही में सीबीएसई ने 10वीं व 12वीं के लिए परीक्षा शुल्क में जो 24 गुना तक बढ़ोतरी की है जिसके तहत अब एससी-एसटी छात्रों को 50 रुपये के बजाए 1200 देने होंगे। इसके साथ ही दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि इसी प्रकार सामान्य वर्ग के छात्रों के शुल्क में भी दोगुना वृद्धि की गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। जातिवादी और गरीब विरोधी फैसला है। सीबीएसई से तुरंत वापस ले बीएसपी की यह मांग है।

मायावती के इस ट्वीट में भी गड़बड़ी दिख रही है। दरअसल पहली बात तो यह कि सामान्य वर्ग के लिए बढ़ोत्तरी से पूर्व 12वीं का 750 रुपये और एससीएसटी छात्रों के लिए 350 रुपये परीक्षा शुल्क है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार इन छात्रों को 300 रुपये वापस करती है। इसलिए 50 रुपये देने पड़ते हैं। इस लिहाज से भी 24 सीबीएसई द्वारा 24 फीसद परीक्षा शुल्क बढ़ाये जाने की बात नहीं कही जा सकती। अब सवाल यह उठता है कि आखिर विपक्ष बिना सोचे समझे सवाल खड़े करता है।


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