लखनऊः मजलिसे ओलमाए हिंद के महासचिव और शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने गुरुवार को फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रोन द्वारा पैगंबर हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (सअव) के अपमान की कड़ी निंदा की. मौलाना ने कहा कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रोन का बयान 'फ्रांस पवित्र पैगंबर के कार्टून बनाने की प्रक्रिया को जारी रखेगा' निंदनीय हैं.
वरिष्ठ शिया धर्मगुरु और इमामे जुमा मौलाना कल्बे जवाद ने गुरुवार को बयान जारी कर फ्रांस के राष्ट्रपति की कड़ी निंदा की. बयान में मौलाना ने कहा कि यूरोप जो खुद को धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी कहता है यह उसकी मुनाफिकाना नीति का सुबूत है. मौलाना ने कहा कि मैक्रॉन ने पहले भी कहा है कि इस्लाम वैश्विक संकट से पीड़ित है, अगर ऐसा है तो इस्लाम यूरोप में तेजी से क्यों फैल रहा है. मैक्रोन का बयान उनकी बीमार मानसिकता का प्रतीक है और वह लोगों को मुसलमानों के खिलाफ भड़काना चाहते हैं
फ्रांसीसी राष्ट्रपति इस्लामोफोबिया का शिकार
मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि जो लोग पैगंबर हज़रत मोहम्मद के चरित्र और उनकी सीरत से अनजान हैं, ऐसा निन्दात्मक बयान दे सकते हैं. फ्रांसीसी राष्ट्रपति इस्लामोफोबिया का शिकार हैं और अपनी चरमपंथी मानसिकता का इजहार कर रहे हैं. मौलाना ने कहा कि यूरोप इस्लामोफोबिया का शिकार है. युवा पीढ़ी मैक्रोन जैसे इस्लामोफोबिया से पीड़ित लोगों के शब्दों पर कम ध्यान देती है और अनुसंधान व अध्ययन में रुचि रखती है.
मैक्रोन का बयान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ
मौलाना ने कहा कि जिसने भी इस्लाम और पैगंबर हज़रत मोहम्मद की सीरत और उनकी ज़िंदगी का अध्ययन किया है, वह लोग प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके. फ्रांसीसी राष्ट्रपति खुद की थोड़ी सी भी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकते और अपने आलोचकों को जेल भेज देते हैं. मैक्रोन ने पैगंबर हज़रत मोहम्मद का अपमान करके अपनी द्वैध नीति और बीमार मानसिकता का सुबूत दिया है. फ्रांस के लोगों को इस संबंध में अपने राष्ट्रपति से सवाल करना चाहिए और उनके खिलाफ प्रतिक्रिया देनी चाहिए, क्योंकि मैक्रॉन की ये हरकतें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ हैं.
इस्लामिक देशों को फ्रांस के खिलाफ एकजुट होने की आवश्यकता
मौलाना ने कहा कि इस्लामी दुनिया मुस्लमान देशों की पाखंडी भूमिका का खामियाज़ा भुगत रही है. अगर सभी मुस्लमान देश ऐसे चरमपंथी और इस्लामोफोबिया का शिकार देशों और पवित्र पैगंबर हज़रत मोहम्मद (सअव) का अपमान करने वालों का एकजुट होकर बहिष्कार करते तो ऐसे निंदनीय बयान कभी अस्तित्व में नहीं आते. मौलाना ने कहा कि सभी इस्लामिक देशों को एकजुट होकर फ्रांसीसी अधिकारियों के बयानों की निंदा करनी चाहिए. यदि इसके बाद भी वह माफी नहीं मांगते हैं, तो उनके साथ राजनयिक संबंध तोड़ लेने चाहिए.