लखनऊ : करवा चौथ के दिन चांद का दीदार करने के लिए सुहागिनें घंटों इंतजार करती हैं. चांद निकलने के बाद पूजा पाठ के बाद ही व्रत पारण करती है. बुधवार को सुहागिनों ने अपने पति की लंबी आयु के लिए निराजल उपवास रखा. पूजा का शुभ मुहूर्त 5:54 से 9:15 मिनट रहा. इस बीच सुहागिनों ने करवा चौथ की कथा कहकर पूजा पाठ संपन्न कर लिया. पूजा करने के बाद सुहागिनों ने चांद के लिए करीब तीन घंटे का इंतजार किया. रात 9:10 पर चांद निकला. इसके बाद सुहागिनों ने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत पारण किया.
'सास ने सिखाई करवा चौथ की पूजा' : हजरतगंज निवासी रंजना पांडेय ने बताया कि 'चौथ का व्रत मैं अपने पति संजीव पांडेय की दिर्घायु के लिए पिछले 27 साल से रह रही हूं. हमारी शादी को पूरी 27 साल हो चुके हैं. आज का पूरा दिन हम निराजल व्रत रहे हैं. व्रत की शुरुआत मैंने शादी के पहले साल से ही की थी इस व्रत के बारे में मेरी सास ने मुझे सारी जानकारी दी थी और उन्होंने मुझे बताया था कि किस तरह से इस व्रत को उठाते हैं और इस व्रत की क्या कथा है यह सब उन्होंने ही मुझे बताया है. हमारे घर की जिस तरह से संस्कार और सभ्यता है इस तरह से हम इस व्रत को रखते हैं.'
'पति की लंबी उम्र के लिए रखा व्रत' : ममता चौधरी ने बताया कि 'उनकी शादी को पूरे 21 साल हो चुके हैं और शादी के पहले साल से ही वह अपने पति राकेश चौधरी के लिए की लंबी उम्र के लिए रहती आ रही हूं. उन्होंने बताया कि करवा चौथ के दिन बहुत अच्छे से पूजा पाठ करते हैं. ससुराल में सभी सुहागिन स्त्रियां आज के दिन व्रत है और हमेशा से इसी परंपरा के साथ हम हमेशा व्रत रहते आए हैं और भविष्य में भी हमारा सुहाग सलामत रहे इसी लिए करवा चौथ का व्रत रहते हैं ताकि करवा माता हमेशा हमारे सुहाग की रक्षा करें.'
'पति के हाथ से पीकर पानी तोड़ा व्रत' : प्रियंका चौधरी ने बताया कि 'पति सुरेन्द्र कुमार चौधरी के लिए लिए वह पिछले 15 साल से व्रत रह रही हैं. उन्होंने बताया कि शादी को पूरे 15 साल हो गए हैं. हमेशा से इसी तरह व्रत करते आ रहे हैं. पहले करवा चौथ बहुत महत्व रखता है क्योंकि हमारी सास के द्वारा हमें करवा चौथ रहने की पूरी विधि बताई जाती है और वह सरगी खिलाती हैं. इसके बाद पूरा दिन निराजल व्रत रहते हैं. करवा चौथ की पहले ही सारी खरीदारी कर ली थी.'
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने असीम स्नेह, विश्वास और अखंड सौभाग्य के प्रतीक महापर्व करवा चौथ के पावन मौके पर जीवन की हर परिस्थिति में सुख दुख की सहभागी अपनी धर्मपत्नी नम्रता पाठक के साथ करवा चौथ मनाया. इस दौरान उन्होंने यह संदेश दिया कि 'सभी मातृशक्तियों को सनातन संस्कृति के इस महापर्व की मंगल शुभकामनाएं'.
जानें क्यों मनाते हैं व्रत? : कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि होने के कारण करवा और चौथ को मिलाकर इसका नाम करवा चौथ पड़ा. इस तरह से मां करवा पहली स्त्री हैं जिन्होंने अपने सुहाग की रक्षा के लिए करवा चौथ व्रत की शुरुआत की थी. इसके बाद इस व्रत को भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने भी किया था.