ETV Bharat / state

यूपी में बेइमान मानसून, कहीं बाढ़-बारिश तो कहीं एक बूंद का इंतजार - वेस्टर्न डिस्टरबेंस

दक्षिण-पश्चिम मानसून की सक्रियता से हुई बारिश से यूपी के कई जिलों में बाढ़ के हालात हैं, लेकिन पूर्वांचल के कई जिलों में अच्छी बरसात नहीं हुई है. मानसून के ऐसे प्रभाव विशेषज्ञ अल्लीनो का प्रभाव बता रहे हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jul 18, 2023, 7:40 PM IST

Updated : Jul 18, 2023, 7:47 PM IST

मानसून में हुई उथल-पुथल. देखें खबर

लखनऊ : मानसून का मौसम है और इस समय उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अच्छी बारिश हो रही है, लेकिन पूर्वांचल के क्षेत्रों में बारिश नहीं होने के चलते किसानों की फसल बर्बाद हो रही है. इसी के साथ गर्मी से हाल बेहाल है. बारिश की वजह से जालौन, हरदोई, हापुड़, नोएडा, इटावा, कानपुर, बागपत, मेरठ, फर्रुखाबाद, बिजनौर, फिरोजाबाद, संभल, मुरादाबाद, एटा और कानपुर देहात स्कूलों को भी बंद करने की नौबत आ गई. वहीं पूर्वांचल के क्षेत्रों के लोग अभी अच्छी बारिश उम्मीद में हैं. बनारस, मऊ, बलिया, सोनभद्र चंदौली में लो बारिश के लिए तरस रहे हैं. इस बार भीषण गर्मी और अधिक तापमान के चलते उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में 37 लोगों की मौत हुई थी. बलिया जिले का अधिकतम तापमान 50 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ.

साइक्लोन की सक्रियता का असर.
साइक्लोन की सक्रियता का असर.

मानसून में हुई उथल-पुथल : लखनऊ विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग विभागाध्यक्ष प्रो. ध्रुवसेन सिंह ने बताया कि मानसून बहुत सी चीजों से प्रभावित होता है अब के शुरू में जो मानसून आया था वह लालिना से आया था जिसके कारण विशेषज्ञ मान के चल रहे थे कि मानसूनी बारिश सामान्य से कम होगी, लेकिन जून तक आते आते अल-नीनो का प्रभाव हो गया है. अल-नीनो जब सक्रिय होता है तो यह माना जाता है कि बरसात कम होगी. पिछले कुछ सालों से देखा जा रहा है कि इस समय सामान्य तौर पर जो बरसात होती है वह साउथ वेस्ट (दक्षिण-पश्चिम) मानसून होते हैं. जिसको हम ग्रीष्म बरसात भी बोलते हैं. सर्दी के समय में बरसात होती है जिसको नॉर्थ ईस्ट (पूरब-उत्तर) मानसून कहते हैं. वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण यह मानसून होता है, जब पर्यावरण में उथल-पुथल होती है. ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण इत्यादि कारकों के कारण पर्यावरण में काफी उथल-पुथल होती है. इसके चलते यह वेस्टर्न डिस्टरबेंस होता है और फिर सर्दियों में बरसात होती हैं. वेस्टर्न डिस्टरबेंस मौजूदा समय में काफी सर फ्री हो गया है समय-समय पर इसके कारण भी बरसात होती रहती हैं.

साइक्लोन की सक्रियता का असर.
साइक्लोन की सक्रियता का असर.
पूर्वांचल को बारिश का इंतजार.
पूर्वांचल को बारिश का इंतजार.



वेस्टर्न डिस्टरबेंस से यहां हुई त्रासदी : प्रो. ध्रुवसेन सिंह के अनुसार वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण केदारनाथ में भी जो घटना हुई थी वह इसी के कारण हुई थी. अभी जो हिमाचल प्रदेश में भी लगातार बारिश हो रही है और क्षतिगस्त क्षेत्र हो रहे हैं वह वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण ही है. हिमाचल प्रदेश में भी वेस्टर्न डिस्टरबेंस सक्रिय है. जिस कारण वहां का यह हाल है. अभी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बरसात हो रही है, वह अरब सागर से जो शाखा आ रही है जो वेस्टर्न डिस्टरबेंस से मिल जा रही है, उसके कारण बरसात हो रही है. बंगाल की खाड़ी की जो शाखा है अभी कमजोर हो गई है और जो मानसून का ट्रफ होता है वह अभी इधर उधर हो गई है, क्योंकि इसमें बदलाव होता रहता है कभी उत्तर की तरफ हो जाती है तो कभी यह दक्षिण की तरफ स्थापित हो जाता है.

यह भी पढ़ें : अफसरों के फ्लीट से हटने पर भड़की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, सीडीओ और एसडीएम को बुलाया

मानसून में हुई उथल-पुथल. देखें खबर

लखनऊ : मानसून का मौसम है और इस समय उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अच्छी बारिश हो रही है, लेकिन पूर्वांचल के क्षेत्रों में बारिश नहीं होने के चलते किसानों की फसल बर्बाद हो रही है. इसी के साथ गर्मी से हाल बेहाल है. बारिश की वजह से जालौन, हरदोई, हापुड़, नोएडा, इटावा, कानपुर, बागपत, मेरठ, फर्रुखाबाद, बिजनौर, फिरोजाबाद, संभल, मुरादाबाद, एटा और कानपुर देहात स्कूलों को भी बंद करने की नौबत आ गई. वहीं पूर्वांचल के क्षेत्रों के लोग अभी अच्छी बारिश उम्मीद में हैं. बनारस, मऊ, बलिया, सोनभद्र चंदौली में लो बारिश के लिए तरस रहे हैं. इस बार भीषण गर्मी और अधिक तापमान के चलते उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में 37 लोगों की मौत हुई थी. बलिया जिले का अधिकतम तापमान 50 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ.

साइक्लोन की सक्रियता का असर.
साइक्लोन की सक्रियता का असर.

मानसून में हुई उथल-पुथल : लखनऊ विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग विभागाध्यक्ष प्रो. ध्रुवसेन सिंह ने बताया कि मानसून बहुत सी चीजों से प्रभावित होता है अब के शुरू में जो मानसून आया था वह लालिना से आया था जिसके कारण विशेषज्ञ मान के चल रहे थे कि मानसूनी बारिश सामान्य से कम होगी, लेकिन जून तक आते आते अल-नीनो का प्रभाव हो गया है. अल-नीनो जब सक्रिय होता है तो यह माना जाता है कि बरसात कम होगी. पिछले कुछ सालों से देखा जा रहा है कि इस समय सामान्य तौर पर जो बरसात होती है वह साउथ वेस्ट (दक्षिण-पश्चिम) मानसून होते हैं. जिसको हम ग्रीष्म बरसात भी बोलते हैं. सर्दी के समय में बरसात होती है जिसको नॉर्थ ईस्ट (पूरब-उत्तर) मानसून कहते हैं. वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण यह मानसून होता है, जब पर्यावरण में उथल-पुथल होती है. ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण इत्यादि कारकों के कारण पर्यावरण में काफी उथल-पुथल होती है. इसके चलते यह वेस्टर्न डिस्टरबेंस होता है और फिर सर्दियों में बरसात होती हैं. वेस्टर्न डिस्टरबेंस मौजूदा समय में काफी सर फ्री हो गया है समय-समय पर इसके कारण भी बरसात होती रहती हैं.

साइक्लोन की सक्रियता का असर.
साइक्लोन की सक्रियता का असर.
पूर्वांचल को बारिश का इंतजार.
पूर्वांचल को बारिश का इंतजार.



वेस्टर्न डिस्टरबेंस से यहां हुई त्रासदी : प्रो. ध्रुवसेन सिंह के अनुसार वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण केदारनाथ में भी जो घटना हुई थी वह इसी के कारण हुई थी. अभी जो हिमाचल प्रदेश में भी लगातार बारिश हो रही है और क्षतिगस्त क्षेत्र हो रहे हैं वह वेस्टर्न डिस्टरबेंस के कारण ही है. हिमाचल प्रदेश में भी वेस्टर्न डिस्टरबेंस सक्रिय है. जिस कारण वहां का यह हाल है. अभी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बरसात हो रही है, वह अरब सागर से जो शाखा आ रही है जो वेस्टर्न डिस्टरबेंस से मिल जा रही है, उसके कारण बरसात हो रही है. बंगाल की खाड़ी की जो शाखा है अभी कमजोर हो गई है और जो मानसून का ट्रफ होता है वह अभी इधर उधर हो गई है, क्योंकि इसमें बदलाव होता रहता है कभी उत्तर की तरफ हो जाती है तो कभी यह दक्षिण की तरफ स्थापित हो जाता है.

यह भी पढ़ें : अफसरों के फ्लीट से हटने पर भड़की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, सीडीओ और एसडीएम को बुलाया

Last Updated : Jul 18, 2023, 7:47 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.