लखनऊः कोरोना काल में बेमौसम आंधी, बारिश, तूफान ने आम की आधी फसल को चौपट कर दिया है. वहीं कोरोना महामारी के दौर में फलों का राजा आम तैयार होने के बावजूद पेड़ों पर लॉक दिख रहा है. लॉकडाउन के चलते केवल मलिहाबाद में 150 करोड़ रुपये का आम कारोबार प्रभावित है. वहीं प्रदेश में यह आंकड़ा बढ़कर सैकड़ों करोड़ तक पहुंच गया है.
भारत में दुनिया का 52 फीसदी आम पैदा होता है. वहीं देश में कुल पैदावार का 23 फीसदी आम केवल उत्तर प्रदेश में होता है. यूपी की 2.5 लाख हेक्टेयर जमीन पर आम के बाग मौजूद है, जिसमें सबसे ज्यादा आम लखनऊ से सटे मलिहाबाद में उत्पादन किया जाता है, लेकिन कोरोना काल में जारी लॉकडाउन अब किसानों के लिए काल बनता जा रहा है.
मई महीने के अंतिम सप्ताह से आम पेड़ों से टूटना शुरू हो जाता है. इसके बाद आम को मंडियों तक पहुंचाया जाता है, लेकिन लॉकडाउन के चलते ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से बंद है और सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही पूरी तरह से थमी हुई है. इसके चलते आम पेड़ो पर ही लॉक है.
पद्मश्री हाजी कलीमुल्लाह ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि आम पर पड़ी कोरोना की मार के चलते कारोबार में अब तक कि सबसे बड़ी गिरावट देखी जा रही है. उनका कहना है कि उनके बड़े बजुर्गों ने भी कभी इस तरह आम के व्यापार पर तालाबंदी नहीं देखी थी.
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कलीमुल्लाह कहते है कि जो आम तैयार हो गया है, उसे तोड़ने, छटनी, पैकिंग करने वाले मजदूर भी नहीं मौजूद हैं. इसी के साथ ट्रांसपोर्ट बंद होने के चलते मंडियों तक ले जाने वाले भी घर बैठे हैं. इससे आम बाजारों में इस बार कम पहुंच रहा है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते सभी किसान परेशान हैं
फलों के राजा आम के दीवाने पूरी दुनिया में मौजूद हैं. शायद यही वजह है कि केवल आम का निर्यात 40 करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है. यूपी के मलिहाबाद, लखनऊ, सहारनपुर में सबसे ज्यादा आम की पैदावार होती है. किसान बताते हैं कि मलिहाबाद का आम दुबई से लेकर अमेरिका तक सप्लाई होता था, लेकिन अब सब कुछ बंद है. सरकारी मैंगो पैक हाउस पर भी ताला लगा हुआ है.