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नौकरशाही में बड़े बदलाव के संकेत, चीफ सेक्रेटरी की कुर्सी भी सुरक्षित नहीं !

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Published : Apr 30, 2021, 7:23 PM IST

मुख्य सचिव की कुर्सी पर काबिज होने को लेकर कई वरिष्ठ नौकरशाह लॉबिंग करने में जुटे हैं. चर्चा है कि अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी भी इस रेस में शामिल हैं.

नौकरशाही में बड़े बदलाव जल्द, चीफ सेक्रेटरी की कुर्सी भी सुरक्षित नहीं !
नौकरशाही में बड़े बदलाव जल्द, चीफ सेक्रेटरी की कुर्सी भी सुरक्षित नहीं !

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में जल्द ही बड़े बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं. उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार राजस्व परिषद के अध्यक्ष पद पर किसी वरिष्ठ नौकरशाह की तैनाती की जानी है. इस फेरबदल के साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी की कुर्सी भी सुरक्षित नहीं बताई जा रही है. इसके पीछे योजनाओं के क्रियान्वयन में लेटलतीफी सहित कई अन्य समस्याओं के निस्तारण में देरी को मुख्य वजह माना जा रहा है. कोविड-19 के दौरान फ्लॉप मैनेजमेंट को भी इस बदलाव के पीछे की बड़ी वजह मानी जा रही है.

अवनीश अवस्थी सहित कई अफसर रेस में

मुख्य सचिव की कुर्सी पर काबिज होने को लेकर कई वरिष्ठ नौकरशाह लॉबिंग करने में जुटे हैं चर्चा यह भी है कि अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी भी इस रेस में शामिल हैं. वह भी नौकरशाही की सबसे बड़ी कुर्सी पर काबिज होना चाहते हैं. सीएम योगी भी उन्हें पसंद करते हैं जबकि उनसे एक बैच सीनियर 1986 बैच कई आईएएस अधिकारी भी हैं जो चीफ सेक्रेटरी की कुर्सी के स्वाभाविक दावेदार हैं. वरिष्ठता की बात करें तो 1985 बैच के दो और आईएएस अधिकारी हैं जिनमें शालिनी प्रसाद व इफ्तिखारउद्दीन शामिल हैं. हालांकि इन दोनों अफसरों को मुख्य सचिव की रेस से बाहर बताया जा रहा है.


आलोक सिन्हा व आलोक टंडन भी प्रबल दावेदार

उत्तर प्रदेश में 1986 बैच के कई सीनियर अफसर हैं जिनमें मुख्य रूप से कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा, अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक मुकुल सिंघल व केंद्र में तैनात इसी बैच के आलोक टंडन, आलोक कुमार, कुमार कमलेश व प्रभात सारंगी शामिल हैं. लेकिन इन अफसरों में सबसे ज्यादा चर्चा आलोक सिन्हा व आलोक टंडन के नाम की है. खासबात यह भी है कि इन दोनों अफसरों के साथ कोई विवाद भी नहीं जुड़ा है.


यह भी पढ़ें : वसीम रिजवी को मिली जान से मारने की धमकी, FIR दर्ज

1987 बैच के ये अफसर

1987 बैच के जो आईएएस अधिकारी हैं, उनमें अरुण सिंघल, महेश कुमार गुप्ता, लीना नंदन, रेणुका कुमार, देवाशीष पांडा, संजीव मित्तल, हेमंत राव, रमा रमण, सुनील कुमार, जीवेश नंदन शामिल हैं. अवनीश अवस्थी भी इसी बैच के आईएएस अफसर है.

अवनीश अवस्थी के काम से खुश नहीं हैं प्रमुख लोग

ऐसे में सवाल यह है कि क्या उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कई सीनियर आईएएस अफसरों को सुपरसीड करते हुए 1987 बैच के अवनीश अवस्थी को मुख्य सचिव बनाने का फैसला कर सकती है. हालांकि इसके आसार कम ही नजर आ रहे हैं. यूपी की ध्वस्त कानून व्यवस्था सहित तमाम मुद्दों पर उनके काम से शासन सत्ता में लोग खुश नहीं हैं. कई बार उनके फैसले और काम की वजह से सरकार की किरकिरी भी हो चुकी है. इसके अलावा अवनीश अवस्थी को उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग पसंद नहीं करते.


पीएमओ की मंजूरी भी महत्वपूर्ण

इसके अलावा 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में मुख्य सचिव जैसी महत्वपूर्ण कुर्सी पर किस आईएएस अफसर को बिठाया जाना है, इसे लेकर पीएमओ की भी मंजूरी ली जाएगी. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस कुर्सी पर किसकी पसंद को ज्यादा तवज्जो दी जाती है.

राजस्व परिषद अध्यक्ष दीपक त्रिवेदी का हुआ निधन

1985 बैच के आईएएस अधिकारी व राजस्व परिषद के अध्यक्ष दीपक त्रिवेदी का एक दिन पहले ही कोरोना संक्रमण से निधन हो गया. वह 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त भी हो रहे थे. ऐसे में अब राजस्व परिषद अध्यक्ष की महत्वपूर्ण कुर्सी पर किसी सीनियर आईएएस अफसर को तैनाती दी जानी है. इस कुर्सी पर मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी को बिठाए जाने की चर्चा नौकरशाही में तेज है. अब देखना होगा कि राजस्व परिषद के अध्यक्ष के पद पर सरकार मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी को भेजती है या फिर किसी दूसरे वरिष्ठ अधिकारी को. सूत्र बताते हैं कि सरकार इस पर भी फैसला जल्द कर सकती है.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में जल्द ही बड़े बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं. उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार राजस्व परिषद के अध्यक्ष पद पर किसी वरिष्ठ नौकरशाह की तैनाती की जानी है. इस फेरबदल के साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी की कुर्सी भी सुरक्षित नहीं बताई जा रही है. इसके पीछे योजनाओं के क्रियान्वयन में लेटलतीफी सहित कई अन्य समस्याओं के निस्तारण में देरी को मुख्य वजह माना जा रहा है. कोविड-19 के दौरान फ्लॉप मैनेजमेंट को भी इस बदलाव के पीछे की बड़ी वजह मानी जा रही है.

अवनीश अवस्थी सहित कई अफसर रेस में

मुख्य सचिव की कुर्सी पर काबिज होने को लेकर कई वरिष्ठ नौकरशाह लॉबिंग करने में जुटे हैं चर्चा यह भी है कि अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी भी इस रेस में शामिल हैं. वह भी नौकरशाही की सबसे बड़ी कुर्सी पर काबिज होना चाहते हैं. सीएम योगी भी उन्हें पसंद करते हैं जबकि उनसे एक बैच सीनियर 1986 बैच कई आईएएस अधिकारी भी हैं जो चीफ सेक्रेटरी की कुर्सी के स्वाभाविक दावेदार हैं. वरिष्ठता की बात करें तो 1985 बैच के दो और आईएएस अधिकारी हैं जिनमें शालिनी प्रसाद व इफ्तिखारउद्दीन शामिल हैं. हालांकि इन दोनों अफसरों को मुख्य सचिव की रेस से बाहर बताया जा रहा है.


आलोक सिन्हा व आलोक टंडन भी प्रबल दावेदार

उत्तर प्रदेश में 1986 बैच के कई सीनियर अफसर हैं जिनमें मुख्य रूप से कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा, अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक मुकुल सिंघल व केंद्र में तैनात इसी बैच के आलोक टंडन, आलोक कुमार, कुमार कमलेश व प्रभात सारंगी शामिल हैं. लेकिन इन अफसरों में सबसे ज्यादा चर्चा आलोक सिन्हा व आलोक टंडन के नाम की है. खासबात यह भी है कि इन दोनों अफसरों के साथ कोई विवाद भी नहीं जुड़ा है.


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1987 बैच के ये अफसर

1987 बैच के जो आईएएस अधिकारी हैं, उनमें अरुण सिंघल, महेश कुमार गुप्ता, लीना नंदन, रेणुका कुमार, देवाशीष पांडा, संजीव मित्तल, हेमंत राव, रमा रमण, सुनील कुमार, जीवेश नंदन शामिल हैं. अवनीश अवस्थी भी इसी बैच के आईएएस अफसर है.

अवनीश अवस्थी के काम से खुश नहीं हैं प्रमुख लोग

ऐसे में सवाल यह है कि क्या उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कई सीनियर आईएएस अफसरों को सुपरसीड करते हुए 1987 बैच के अवनीश अवस्थी को मुख्य सचिव बनाने का फैसला कर सकती है. हालांकि इसके आसार कम ही नजर आ रहे हैं. यूपी की ध्वस्त कानून व्यवस्था सहित तमाम मुद्दों पर उनके काम से शासन सत्ता में लोग खुश नहीं हैं. कई बार उनके फैसले और काम की वजह से सरकार की किरकिरी भी हो चुकी है. इसके अलावा अवनीश अवस्थी को उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग पसंद नहीं करते.


पीएमओ की मंजूरी भी महत्वपूर्ण

इसके अलावा 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में मुख्य सचिव जैसी महत्वपूर्ण कुर्सी पर किस आईएएस अफसर को बिठाया जाना है, इसे लेकर पीएमओ की भी मंजूरी ली जाएगी. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस कुर्सी पर किसकी पसंद को ज्यादा तवज्जो दी जाती है.

राजस्व परिषद अध्यक्ष दीपक त्रिवेदी का हुआ निधन

1985 बैच के आईएएस अधिकारी व राजस्व परिषद के अध्यक्ष दीपक त्रिवेदी का एक दिन पहले ही कोरोना संक्रमण से निधन हो गया. वह 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त भी हो रहे थे. ऐसे में अब राजस्व परिषद अध्यक्ष की महत्वपूर्ण कुर्सी पर किसी सीनियर आईएएस अफसर को तैनाती दी जानी है. इस कुर्सी पर मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी को बिठाए जाने की चर्चा नौकरशाही में तेज है. अब देखना होगा कि राजस्व परिषद के अध्यक्ष के पद पर सरकार मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी को भेजती है या फिर किसी दूसरे वरिष्ठ अधिकारी को. सूत्र बताते हैं कि सरकार इस पर भी फैसला जल्द कर सकती है.

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