लखनऊ: पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब की बेटी हजरत फातिमा जहरा की शहादत का गम मनाने का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा. शहर में कई जगहों पर आयोजित मजलिसों में उलेमा ने हजरत फातिमा की सीरत अपनाने की जरूरत बताई. उलेमा ने कहा कि हजरत फातिमा की सीरत अपनाकर ही महिलाओं को दुनिया और आखेरत में कामयाबी हासिल हो सकती है.
मजलिसों में उलेमा ने हजरत फातिमा की सीरत अपनाने की बताई जरूरत
रोजा-ए-बैतूल हुस्न रुस्तम नगर में मौलाना मीसम जैदी ने मजलिस को सम्बोधित करते हुए कहा कि रसूले खुदा की वफात के बाद दुश्मनों ने शहजादी फातिमा जहरा पर बहुत जुल्म किए, वह ऐसी महान महिला थीं, जिन्होंने अपने छोटे से जीवन में इस्लाम और इंसानियत के लिए महान कार्य अंजाम दिए. इसी रोजे में महिलाओं की मजलिस का भी आयोजन किया गया. मजलिस के बाद ताबूत की जियारत करायी गई. कार्यालय आयतुल्लाह सैयद खामेनाई की ओर से इमामबाड़ा सिबतेनाबाद में मजलिस को मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने सम्बोधित किया. मौलाना ने कहा कि इस्लाम और अन्य धर्मों में इबादत में मुख्य अंतर ये है कि अन्य धर्म में इबादत के लिए अकेलेपन और अद्वैतवाद कि आवश्यकता होती है, जबकि इस्लाम में इबादत के लिए सामूहिक सामाजिक व्यवस्था है.
शहर के कई इमामबाड़ों में हुई मजलिस
इमामबाड़ा कायमा खातून सज्जादबाग कॉलोनी में मौलाना तकी रजा ने मजलिस को सम्बोधित किया. मौलाना ने शहजादी हजरत फातिमा जहरा की फजीलत बयान की. लाल मस्जिद गोलागंज में अंतिम मजलिस को मौलाना फैज अब्बास मशहदी ने शहजादी फातिमा जहरा की जिंदगी पर रोशनी डालते हुए उन पर हुए अत्याचारों को बयान किया. अंजुमन काजमियां आबिदया की ओर से सोमवार को रौजा-ए-काजमैन में 'रसूल की पारा जिगर का ताबूत' के शीर्षक से एक मजलिस का आयोजन किया गया. मजलिस को मौलाना मिर्जा एजाज अतहर ने सम्बोधित किया मजलिस के बाद ताबूत निकाल कर रौजा ए काजमैन परिसर में गश्त कराया गया.