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लखनऊ: 'महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल' का आयोजन 31 जनवरी से शुरू - महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल

लखनऊ जिले में 31 जनवरी से कैसरबाग के सफेद बारादरी में 'महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल' का आयोजन किया जा रहा है. फेस्टिवल में इस बार की थीम 'कस्बाती के रंग' रखी गई है. इसमें लखनऊ के आसपास के तमाम कस्बों की जानकारी मिलेगी.

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'महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल' का आयोजन 31 जनवरी से शुरु
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Published : Jan 30, 2020, 7:23 PM IST

लखनऊ: राजधानी की संस्कृति से रूबरू करवाने के लिए 'महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल' एक बार फिर दस्तक दे रहा है. यह आयोजन 31 जनवरी से कैसरबाग के सफेद बारादरी में शुरू होगा.

'महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल' का आयोजन 31 जनवरी से शुरू.
महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल की संस्थापक माधवी कुकरेजा कहती हैं कि इस वर्ष हम सनतकदा फेस्टिवल के 11 वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं. इस वर्ष हमने लखनऊ के आसपास के कल्चर और वहां के रहन-सहन को फेस्टिवल में शामिल किया है. लोग कहते हैं कि लखनऊ के आसपास घूमने को नहीं है, लेकिन लखनऊ के आसपास ऐसे कई कस्बे हैं, जहां पर रहन-सहन और खानपान आदि लखनऊ से जुड़ी संस्कृति को दिखाते हैं और इसी को हमने इस बार लोगों के सामने रखने की कोशिश की है.

कैसरबाग के सफेद बारादरी में लगने वाले फेस्टिवल में इस बार की थीम 'कस्बाती के रंग' रखी गई है. जिसमें लखनऊ के आसपास के तमाम कस्बों की जानकारी भी मिलेगी और वहां के रहन-सहन और खान-पान को नजदीक से देखने का मौका भी मिलेगा.

माल निवासी देवेंद्र सिंह कहते हैं कि माल में हेरिटेज वॉक के दौरान वहां पर हम लोगों की बोलचाल और भाषा के बारे में बताने की कोशिश करेंगे. इसके साथ ही वहां पर रुकने की व्यवस्था भी की गई है. जहां पर लोग रहकर उस कस्बे के बारे में जान सकते हैं.

काकोरी से आए रियाज अहमद अल्वी कहते हैं कि काकोरी के कबाब तो दुनिया भर में मशहूर हैं, पर इसके साथ ही वहां हेरिटेज वॉक के दौरान कुछ ऐसे ऐतिहासिक इमारतें भी हैं जिनके बारे में लोगों को कम ही पता है. सनतकदा फेस्टिवल के दौरान होने वाली हेरिटेज वॉक में काकोरी के खानपान के साथ वहां के ऐतिहासिकता को भी हम दिखाने की कोशिश करेंगे.

वहीं रुदौली से आए यूनुस कहते हैं कि अनरसे की गोली और हब्शी हलवा ऐसी चीजें हैं, जो रुदौली के खानपान को खास बनाती हैं. सनतकदा फेस्टिवल में इस बार रुदौली से हम यह दो चीजें लाने की तैयारी में है, जिससे राजधानी के लोगों को रुदौली के बारे में भी पता चल सके.

लखनऊ: राजधानी की संस्कृति से रूबरू करवाने के लिए 'महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल' एक बार फिर दस्तक दे रहा है. यह आयोजन 31 जनवरी से कैसरबाग के सफेद बारादरी में शुरू होगा.

'महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल' का आयोजन 31 जनवरी से शुरू.
महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल की संस्थापक माधवी कुकरेजा कहती हैं कि इस वर्ष हम सनतकदा फेस्टिवल के 11 वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं. इस वर्ष हमने लखनऊ के आसपास के कल्चर और वहां के रहन-सहन को फेस्टिवल में शामिल किया है. लोग कहते हैं कि लखनऊ के आसपास घूमने को नहीं है, लेकिन लखनऊ के आसपास ऐसे कई कस्बे हैं, जहां पर रहन-सहन और खानपान आदि लखनऊ से जुड़ी संस्कृति को दिखाते हैं और इसी को हमने इस बार लोगों के सामने रखने की कोशिश की है.

कैसरबाग के सफेद बारादरी में लगने वाले फेस्टिवल में इस बार की थीम 'कस्बाती के रंग' रखी गई है. जिसमें लखनऊ के आसपास के तमाम कस्बों की जानकारी भी मिलेगी और वहां के रहन-सहन और खान-पान को नजदीक से देखने का मौका भी मिलेगा.

माल निवासी देवेंद्र सिंह कहते हैं कि माल में हेरिटेज वॉक के दौरान वहां पर हम लोगों की बोलचाल और भाषा के बारे में बताने की कोशिश करेंगे. इसके साथ ही वहां पर रुकने की व्यवस्था भी की गई है. जहां पर लोग रहकर उस कस्बे के बारे में जान सकते हैं.

काकोरी से आए रियाज अहमद अल्वी कहते हैं कि काकोरी के कबाब तो दुनिया भर में मशहूर हैं, पर इसके साथ ही वहां हेरिटेज वॉक के दौरान कुछ ऐसे ऐतिहासिक इमारतें भी हैं जिनके बारे में लोगों को कम ही पता है. सनतकदा फेस्टिवल के दौरान होने वाली हेरिटेज वॉक में काकोरी के खानपान के साथ वहां के ऐतिहासिकता को भी हम दिखाने की कोशिश करेंगे.

वहीं रुदौली से आए यूनुस कहते हैं कि अनरसे की गोली और हब्शी हलवा ऐसी चीजें हैं, जो रुदौली के खानपान को खास बनाती हैं. सनतकदा फेस्टिवल में इस बार रुदौली से हम यह दो चीजें लाने की तैयारी में है, जिससे राजधानी के लोगों को रुदौली के बारे में भी पता चल सके.

Intro:लखनऊ। राजधानी में तमाम तरह के आयोजन होते रहते हैं और इन सांस्कृतिक आयोजनों का मूल राजधानी में संस्कृति और नवाबों की नगरी की नजाकत और नफासत के बारे में लोगों से रूबरू करवाना है। इस सिलसिले में महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल एक बार फिर दस्तक दे रहा है। यह आयोजन 31 जनवरी से कैसरबाग के सफेद बारादरी में शुरू होगा।


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महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल की संस्थापक माधवी कुकरेजा इस बारे में कहती हैं कि इस वर्ष हम सनतकदा फेस्टिवल के 11 वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। इस वर्ष हमने लखनऊ के आसपास के कल्चर और वहां के रहन सहन को फेस्टिवल में शामिल किया है। लोग कहते हैं कि लखनऊ के आसपास घूमने को नहीं है लेकिन लखनऊ के आसपास ऐसे कई कस्बे हैं जहां पर रहन-सहन और खान-पान आदि लखनऊ से जुड़ी संस्कृति को दिखाते हैं और इसी को हमने इस बार लोगों के सामने रखने की कोशिश की है।

इस बारे में माल से वहां के रहन-सहन को लाने वाले देवेंद्र सिंह कहते हैं कि माल में हेरिटेज वा के दौरान वहां पर हम लोगों की बोलचाल और भाषा के बारे में बताने की कोशिश करेंगे इसके साथ ही वहां पर रुकने की व्यवस्था भी की गई है जहां पर लोग रहकर उस कस्बे के बारे में जान सकते हैं।

काकोरी से आए रियाज अहमद अल्वी कहते हैं कि काकोरी के कबाब तो दुनिया भर में मशहूर हैं पर इसके साथ ही वहां हेरिटेज वाक के दौरान कुछ ऐसे ऐतिहासिक इमारतें भी हैं जिनके बारे में लोगों को कम ही पता है सनत कथा फेस्टिवल के दौरान होने वाली हेरिटेज वॉक में काकोरी के खानपान के साथ वहां के ऐतिहासिकता को भी हम दिखाने की कोशिश करेंगे।

वही रुदौली से आए यूनुस कहते हैं कि अनरसे की गोली और हब्शी हलवा ऐसी चीजें हैं जो रुदौली के खानपान को खास बनाती हैं। सनतकदा फेस्टिवल में इस बार रुदौली से हम यह दो चीजें लाने की तैयारी में है ताकि राजधानी के लोगों को रुदौली के बारे में भी पता चल सके।


Conclusion:महिंद्रा सनतकदा लखनऊ फेस्टिवल 31 जनवरी से शुरू हो रहा है। कैसरबाग के सफेद बारादरी में लगने वाले फेस्टिवल में इस बार की थीम 'कस्बियत के रंग' रखे गए हैं जिसमें लखनऊ के आसपास के तमाम कस्बों की जानकारी भी मिलेगी और वहां के रहन-सहन और खान-पान को नजदीक से देखने का मौका भी मिलेगा।

बाइट- माधवी कुकरेजा, संस्थापक सनतकदा फेस्टिवल
बाइट- देवेंद्र सिंह माल
बाइट- रियाज अहमद अल्वी, काकोरी
बाइक- यूनुस, रुदौली


रामांशी मिश्रा
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