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आंखों में सुरमा लगाने का क्रेज हुआ कम; नुमाइश में 120 साल से लगा रहे स्टॉल, बोले- व्यापार हो रहा चौपट - SURMA BUSINESS AFFECTED

बदलते दौर में सुरमे की डिमांड कम हो गई है. इससे सुरमा बेचने वालों का व्यापार प्रभावित हो रहा है.

आंखों में सुरमा लगाने से कतरा रहे लोग.
आंखों में सुरमा लगाने से कतरा रहे लोग. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 20, 2025, 6:42 PM IST

अलीगढ़ : देश और दुनिया में बरेली का सुरमा फेमस है. कई गाने तो बरेली के सुरमे की वजह से हिट रहे. लेकिन बदलते दौर में सुरमे की डिमांड कम हो गई है. पहले के मुकाबले में लोगों की आंखों में सुरमा कम ही दिखाई देता है.

145 साल पुराने नुमाइश में बरेली के मशहूर सुरमा बनाने वाले हाशमी सुरमा ने भी स्टॉल लगाई है. हाशमी सुरमा की सातवीं पीढ़ी सुरमा बेच रही है. मोहम्मद तनवीर शमसी ने बताया कि लोगों को असली और नकील सुरमे की पहचान नहीं है. इसी कारण व्यापार भी अच्छा नहीं हो रहा है.

आंखों में सुरमा लगाने का क्रेज हो रहा कम. (VIDEO Credit; ETV Bharat)

नुमाइश में 120 साल से लगा रहे स्टॉल: मोहम्मद तनवीर शमसी ने बताया कि 1794 में मोहम्मद हाशमी ने सुरमा बेचना शुरू किया. बाद में उनका नाम ही हाशमी सुरमा पड़ गया. नुमाइश में 120 साल से स्टॉल लगा रहे हैं. पहले सुरमे की काफी डिमांड होती थी, लेकिन अब ना के बराबर है.

बाजारों में बिक रहा नकली सुरमा: मोहम्मद तनवीर ने बताया, बाजारों में आंखों को नुकसान पहुंचाने वाला नकली सुरमा बेचा जा रहा है. काजल आंखों की खूबसूरती के लिए लगाया जाता है. सुरमा आंखों की बीमारी या कमी को दूर करने के लिए लगाया जाता है. मोतियाबिंद, नजर कम होना, आंखों से पानी आना आदि में लाभदायक होता है. हमारे पास 50 तरह के सुरमा और काजल मिलते हैं.

सुरमा लगाने से आंखें दिखेंगी खूबसूरत: हाशमी सुरमा की सातवीं पीढ़ी के सदस्य बाबू खान ने बताया कि आज के आधुनिक दौर में हर आदमी मोबाइल का प्रयोग ज्यादा करता है, जिसके कारण आंखों से पानी और आंखों में दर्द रहता है. असली सुरमा लगाने से फायदा मिलेगा और आंख भी खूबसूरत दिखेगी.

लोगों ने बना ली दूरी: खरीदार मोहम्मद सुहैल ने बताया कि आज के आधुनिक दौर में लोगों ने सुरमा और काजल से दूरी बना ली है. सुरमा और काजल आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है. बाजारों में बड़ी संख्या में नकली सुरमा और काजल के कारण ही डॉक्टर बच्चों की आंखों में सुरमा व काजल लगाने की मना करते हैं.

मोहम्मद सुहैल ने बताया, सुरमा लगाने से आंखें खूबसूरत होती हैं और यह इस्लाम मज़हब में लगाना सुन्नत भी है. आजकल बाजारों में मूंगफली का सुरमा बहुत मिलता है, जिससे आंखें खराब हो जाती हैं. अगर आप अच्छी क्वालिटी का और असली सुरमा लगाते हैं तो यह आंखों को नुकसान नहीं पहुंचता.

जानिए क्या होता है सुरमा: सुरमा आंखों के लिए इस्तेमाल होने वाला पाउडर जैसा पदार्थ है. सुरमा कोहिनूर नाम के पत्थर से तैयार किया जाता है और आमतौर पर ये काले रंग का होता है.

इसके अलावा सुरमा सफेद रंग का भी होता है. सुरमे का अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. ये आंखों की खूबसूरती बढ़ाने के साथ आंखों की कई समस्याओं के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता रहा है.

काजल और सुरमा में अंतर: सूरमा पाउडर के रूप में उपयोग किया जाता है, जबकि काजल नम या तरल रूप में उपयोग किया जाता है. सूरमा को केवल आंखों में लगाया जाता है और इसका उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता रहा है, पर काजल मेकअप लुक के लिए अलग-अलग डिजाइन बनाने के लिए इस्तेमाल होता है. इसे पलकों पर भी लगाया जाता है.

यह भी पढ़ें: आंखों का 'टॉनिक' है बरेली का सुरमा, जानिए क्यों... - बरेली सुरमा न्यूज

यह भी पढ़ें: अलीगढ़ नुमाइश में हाथ से बनी कश्मीरी शॉल की डिमांड, 40 साल से बेच रही तीसरी पीढ़ी - ALIGARH NUMAISH

अलीगढ़ : देश और दुनिया में बरेली का सुरमा फेमस है. कई गाने तो बरेली के सुरमे की वजह से हिट रहे. लेकिन बदलते दौर में सुरमे की डिमांड कम हो गई है. पहले के मुकाबले में लोगों की आंखों में सुरमा कम ही दिखाई देता है.

145 साल पुराने नुमाइश में बरेली के मशहूर सुरमा बनाने वाले हाशमी सुरमा ने भी स्टॉल लगाई है. हाशमी सुरमा की सातवीं पीढ़ी सुरमा बेच रही है. मोहम्मद तनवीर शमसी ने बताया कि लोगों को असली और नकील सुरमे की पहचान नहीं है. इसी कारण व्यापार भी अच्छा नहीं हो रहा है.

आंखों में सुरमा लगाने का क्रेज हो रहा कम. (VIDEO Credit; ETV Bharat)

नुमाइश में 120 साल से लगा रहे स्टॉल: मोहम्मद तनवीर शमसी ने बताया कि 1794 में मोहम्मद हाशमी ने सुरमा बेचना शुरू किया. बाद में उनका नाम ही हाशमी सुरमा पड़ गया. नुमाइश में 120 साल से स्टॉल लगा रहे हैं. पहले सुरमे की काफी डिमांड होती थी, लेकिन अब ना के बराबर है.

बाजारों में बिक रहा नकली सुरमा: मोहम्मद तनवीर ने बताया, बाजारों में आंखों को नुकसान पहुंचाने वाला नकली सुरमा बेचा जा रहा है. काजल आंखों की खूबसूरती के लिए लगाया जाता है. सुरमा आंखों की बीमारी या कमी को दूर करने के लिए लगाया जाता है. मोतियाबिंद, नजर कम होना, आंखों से पानी आना आदि में लाभदायक होता है. हमारे पास 50 तरह के सुरमा और काजल मिलते हैं.

सुरमा लगाने से आंखें दिखेंगी खूबसूरत: हाशमी सुरमा की सातवीं पीढ़ी के सदस्य बाबू खान ने बताया कि आज के आधुनिक दौर में हर आदमी मोबाइल का प्रयोग ज्यादा करता है, जिसके कारण आंखों से पानी और आंखों में दर्द रहता है. असली सुरमा लगाने से फायदा मिलेगा और आंख भी खूबसूरत दिखेगी.

लोगों ने बना ली दूरी: खरीदार मोहम्मद सुहैल ने बताया कि आज के आधुनिक दौर में लोगों ने सुरमा और काजल से दूरी बना ली है. सुरमा और काजल आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है. बाजारों में बड़ी संख्या में नकली सुरमा और काजल के कारण ही डॉक्टर बच्चों की आंखों में सुरमा व काजल लगाने की मना करते हैं.

मोहम्मद सुहैल ने बताया, सुरमा लगाने से आंखें खूबसूरत होती हैं और यह इस्लाम मज़हब में लगाना सुन्नत भी है. आजकल बाजारों में मूंगफली का सुरमा बहुत मिलता है, जिससे आंखें खराब हो जाती हैं. अगर आप अच्छी क्वालिटी का और असली सुरमा लगाते हैं तो यह आंखों को नुकसान नहीं पहुंचता.

जानिए क्या होता है सुरमा: सुरमा आंखों के लिए इस्तेमाल होने वाला पाउडर जैसा पदार्थ है. सुरमा कोहिनूर नाम के पत्थर से तैयार किया जाता है और आमतौर पर ये काले रंग का होता है.

इसके अलावा सुरमा सफेद रंग का भी होता है. सुरमे का अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल किया जाता है. ये आंखों की खूबसूरती बढ़ाने के साथ आंखों की कई समस्याओं के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता रहा है.

काजल और सुरमा में अंतर: सूरमा पाउडर के रूप में उपयोग किया जाता है, जबकि काजल नम या तरल रूप में उपयोग किया जाता है. सूरमा को केवल आंखों में लगाया जाता है और इसका उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता रहा है, पर काजल मेकअप लुक के लिए अलग-अलग डिजाइन बनाने के लिए इस्तेमाल होता है. इसे पलकों पर भी लगाया जाता है.

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