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कठपुतलियों की अनोखी कला का जादू बरकरार, पपेट शो से दिया 'बापू' का संदेश

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर राजधानी लखनऊ में अनुभव पपेट ग्रुप ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यक्रम में कठपुतलियों के माध्यम से गांधी जी के स्वच्छता संदेश से लोगों को जागरूक किया गया.

पपेट शो से दिया बापू का संदेश.
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Published : Oct 3, 2019, 4:07 AM IST

लखनऊ: आज भले ही लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए तमाम तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हों, लेकिन इस दौर में कठपुतलियों का यह खेल बहुत ही कम देखने को मिलता है. महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर राजधानी लखनऊ में अनुभव पपेट ग्रुप ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यक्रम में कठपुतलियों के माध्यम से गांधी जी के स्वच्छता संदेश से लोगों को जागरूक किया गया.

कठपुतलियों का दौर
नेता अक्सर हाथ में झाडू लेकर सफाई करते हुए नजर आते रहते हैं, इन सबका असर जनता पर पड़े न पड़े, लेकिन जो बेजान और बेजुबान कठपुतलियां हैं. वह निश्चित तौर पर स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने का पुरातन युग से आधुनिक युग तक सशक्त माध्यम बनी हुईं हैं. पुराने समय में जब बिजली, टीवी, इंटरनेट की दुनिया नहीं थी, तो यही कठपुतलियां लोगों को जागरूक करने का काम करती थीं.

पपेट शो से दिया बापू का संदेश.

अनुभव पपेट ग्रुप ने लोगों तक पहुंचाया संदेश
आज के युग में भी यह कठपुतलियां वो काम कर सकती हैं, जो शायद डिजिटल युग में अभी भी संभव न हो. वैसे तो आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर शहर में तमाम तरह के आयोजन हुए. नेता सड़कों पर उतरे, बापू की प्रतिमा पर माला चढ़ाई, लोगों से आस-पास साफ-सफाई रखने की अपील की, स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक किया, लेकिन बापू के स्वच्छता संदेश को कठपुतलियों के माध्यम से सबसे बेहतर तरीके से अनुभव पपेट ग्रुप ने लोगों तक पहुंचाया है.

कठपुतलियों के माध्यम से दर्शाया लोगों की कहानी
गांधी प्रतिमा पर आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में कठपुतलियों के माध्यम से यह दर्शाया गया कि कमला और विमला नाम की कठपुतलियां एक-दूसरे के घर के सामने कूड़ा फेंक देती हैं और दोनों में इस बात को लेकर खूब झगड़ा होता है. इस दौरान मुखिया दोनों को समझाने की कोशिश करते हैं, लेकिन इन दोनों की आपसी लड़ाई में पिस जाते हैं. दोनों कठपुतलियां कमला और विमला आपस में इस बात को लेकर झगड़ती हैं कि घर के सामने कूड़ा क्यों फेंकती हो. जब लड़ाई ज्यादा बढ़ती है तो मुखिया दोनों को समझाने की कोशिश करते हैं और समझाने में कामयाब भी हो जाते हैं, तो वे बताते हैं कि जब एक-दूसरे के घर के सामने कूड़ा डालोगे तो यही कूड़ा घर के सामने हवा में उड़ कर आएगा. कुछ कूड़ा नालियों में जाएगा और सड़ जाएगा, जिससे वहां पर मच्छर पनप जाएंगे और यही मच्छर तुम्हें और बच्चों को किस तरह बीमार कर देंगे. यह सुनते ही कमला और विमला दोनों ही घर के सामने कूड़ा न फैलाने का संकल्प लेती और मुखिया का धन्यवाद करती हैं.

ग्रामीण इलाकों में खासकर रिमोट सेंसिंग एरिया में जहां बिजली टीवी या अन्य माध्यम नहीं है, उन इलाकों में कठपुतलियां बेहद कारगर साबित होती हैं. बापू ने जो संदेश दिया था, ‘रघुपति राघव राजा राम सबको सन्मति दे भगवान, तो सभी में स्वच्छता की सन्मति आनी चाहिए.
राजेंद्र विश्वकर्मा, कठपुतली कलाकार

लखनऊ: आज भले ही लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए तमाम तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हों, लेकिन इस दौर में कठपुतलियों का यह खेल बहुत ही कम देखने को मिलता है. महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर राजधानी लखनऊ में अनुभव पपेट ग्रुप ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यक्रम में कठपुतलियों के माध्यम से गांधी जी के स्वच्छता संदेश से लोगों को जागरूक किया गया.

कठपुतलियों का दौर
नेता अक्सर हाथ में झाडू लेकर सफाई करते हुए नजर आते रहते हैं, इन सबका असर जनता पर पड़े न पड़े, लेकिन जो बेजान और बेजुबान कठपुतलियां हैं. वह निश्चित तौर पर स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने का पुरातन युग से आधुनिक युग तक सशक्त माध्यम बनी हुईं हैं. पुराने समय में जब बिजली, टीवी, इंटरनेट की दुनिया नहीं थी, तो यही कठपुतलियां लोगों को जागरूक करने का काम करती थीं.

पपेट शो से दिया बापू का संदेश.

अनुभव पपेट ग्रुप ने लोगों तक पहुंचाया संदेश
आज के युग में भी यह कठपुतलियां वो काम कर सकती हैं, जो शायद डिजिटल युग में अभी भी संभव न हो. वैसे तो आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर शहर में तमाम तरह के आयोजन हुए. नेता सड़कों पर उतरे, बापू की प्रतिमा पर माला चढ़ाई, लोगों से आस-पास साफ-सफाई रखने की अपील की, स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक किया, लेकिन बापू के स्वच्छता संदेश को कठपुतलियों के माध्यम से सबसे बेहतर तरीके से अनुभव पपेट ग्रुप ने लोगों तक पहुंचाया है.

कठपुतलियों के माध्यम से दर्शाया लोगों की कहानी
गांधी प्रतिमा पर आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में कठपुतलियों के माध्यम से यह दर्शाया गया कि कमला और विमला नाम की कठपुतलियां एक-दूसरे के घर के सामने कूड़ा फेंक देती हैं और दोनों में इस बात को लेकर खूब झगड़ा होता है. इस दौरान मुखिया दोनों को समझाने की कोशिश करते हैं, लेकिन इन दोनों की आपसी लड़ाई में पिस जाते हैं. दोनों कठपुतलियां कमला और विमला आपस में इस बात को लेकर झगड़ती हैं कि घर के सामने कूड़ा क्यों फेंकती हो. जब लड़ाई ज्यादा बढ़ती है तो मुखिया दोनों को समझाने की कोशिश करते हैं और समझाने में कामयाब भी हो जाते हैं, तो वे बताते हैं कि जब एक-दूसरे के घर के सामने कूड़ा डालोगे तो यही कूड़ा घर के सामने हवा में उड़ कर आएगा. कुछ कूड़ा नालियों में जाएगा और सड़ जाएगा, जिससे वहां पर मच्छर पनप जाएंगे और यही मच्छर तुम्हें और बच्चों को किस तरह बीमार कर देंगे. यह सुनते ही कमला और विमला दोनों ही घर के सामने कूड़ा न फैलाने का संकल्प लेती और मुखिया का धन्यवाद करती हैं.

ग्रामीण इलाकों में खासकर रिमोट सेंसिंग एरिया में जहां बिजली टीवी या अन्य माध्यम नहीं है, उन इलाकों में कठपुतलियां बेहद कारगर साबित होती हैं. बापू ने जो संदेश दिया था, ‘रघुपति राघव राजा राम सबको सन्मति दे भगवान, तो सभी में स्वच्छता की सन्मति आनी चाहिए.
राजेंद्र विश्वकर्मा, कठपुतली कलाकार

Intro:डिजिटल युग में भी पुतलियों की अनोखी कला का जादू बरकरार, पपेट शो से दिया "बापू" का स्वच्छता संदेश

लखनऊ। आज भले ही लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए तमाम तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हों, मंच पर भाषणबाजी का दौर चलता हो, दिखावे के लिए नेता हाथ में झाड़ू लेकर सफाई करते हुए नजर आते हों, इन सबका असर भले जनता पर पड़े न पड़े, लेकिन जो बेजान और बेजुबान पुतलियां हैं वह निश्चित तौर पर स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने का पुरातन युग से आधुनिक युग तक सशक्त माध्यम बनी हुईं हैं। पुराने समय में जब बिजली, टीवी, इंटरनेट की दुनिया नहीं थी तो यही पुतलियां लोगों को जागरूक करने का काम करती थीं। आज के युग में भी यह पुतलियां वो काम कर सकती हैं जो शायद डिजिटल युग में अभी भी संभव न हो। वैसे तो आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर शहर में तमाम तरह के आयोजन हुए। नेता सड़कों पर उतरे, बापू की प्रतिमा पर माला चढ़ाई, लोगों से आसपास साफ-सफाई रखने की अपील की, स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक किया लेकिन बापू के स्वच्छता संदेश को पुतलियों के माध्यम से सबसे बेहतर तरीके से लोगों तक पहुंचाया अनुभव पपेट ग्रुप ने।


Body:गांधी प्रतिमा पर आयोजित किए गए इस कार्यक्रम में पुतलियों के माध्यम से यह दर्शाया गया कि कमला और विमला नाम की पुतलियां एक-दूसरे के घर के सामने कूड़ा फेंक देती हैं और दोनों में इस बात को लेकर खूब झगड़ा होता है। इस दौरान मुखिया दोनों को समझाने की कोशिश करते हैं लेकिन इन दोनों की आपसी लड़ाई में पिस जाते हैं। दोनों पुतलियां कमला और विमला आपस में इस बात को लेकर झगड़ती हैं कि घर के सामने कूड़ा क्यों फेंकती हो। जब लड़ाई ज्यादा बढ़ती है तो मुखिया दोनों को समझाने की कोशिश करते हैं और समझाने में कामयाब भी हो जाते हैं। वे बताते हैं कि जब एक-दूसरे के घर के सामने कूड़ा डालोगे तो यही कूड़ा घर के सामने हवा में उड़ कर आएगा। कुछ कूड़ा नालियों में जाएगा और सड़ जाएगा जिससे वहां पर मच्छर पनप जाएंगे और यही मच्छर तुम्हें और बच्चों को किस तरह बीमार कर देंगे। यह सुनते ही कमला और विमला दोनों ही घर के सामने कूड़ा न फैलाने का संकल्प लेती और मुखिया का धन्यवाद करती हैं। बड़े ही नाटकीय ढंग से इन पुतलियों के माध्यम से लोगों के जेहन में यह बात पहुंचा दी गई कि आसपास गंदगी रखने का क्या नुकसान हो सकता है और स्वच्छता के कितने फायदे हैं। आज भी सच यही है कि पुतलियों के सहारे इस युग में भी लोगों के दिमाग पर सीधा असर डाला जा सकता है जो इंटरनेट युग में तमाम तकनीकी के जरिए भी संभव नहीं है।


Conclusion:वरिष्ठ रंगकर्मी राजेंद्र विश्वकर्मा ने इस आयोजन के बारे में ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए समझाया कि किस तरह से यह न बोल पाने वाली पुतलियां लोगों को जागरूक कर सकती हैं। बापू ने जो स्वच्छता का संदेश दिया उसे किस तरह से इन पुतलियों के सहारे लोगों के पास तक बड़ी आसानी से पहुंचाया जा सकता है और ग्रामीण इलाकों में खासकर रिमोट सेंसिंग एरिया में जहां बिजली टीवी या अन्य माध्यम नहीं है उन इलाकों में पुतलियां बेहद कारगर साबित होती हैं। बापू ने जो संदेश दिया था रघुपति राघव राजा राम सबको सन्मति दे भगवान तो सभी में स्वच्छता की सन्मति आनी चाहिए।

अखिल पांडेय, लखनऊ, 93368 64096
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