लखनऊ : कई बार टलने के बाद आखिरकार मंगलवार को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड की बैठक हुई. इस बैठक में मदरसा नियमावली संशोधन पर सहमति बनी. बैठक में मदरसा नियमावली 2016 संशोधन प्रस्ताव को पास किया गया, साथ ही मदरसा शिक्षकों के स्थानांतरण, मृतक आश्रित की नौकरी, मैटरनिटी लीव जैसे प्रस्ताव पर भी सहमति बनी, वहीं कुछ विषयों पर सदस्य सहमत नहीं हुए, जिसे फिलहाल छोड़ दिया गया. इस दौरान बैठक से पहले कुछ सदस्यों और मदरसा बोर्ड के अधिकारियों की बहस और हल्की नोंकझोंक भी हुई, कुछ देर तक चली बहस के बाद बैठक शुरू की गई.
मदरसा बोर्ड के चेयरमैन डा. इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि 'बोर्ड के सदस्यों के साथ मदरसा नियमवाली के संशोधन पर विस्तृत चर्चा हुई. सभी की सहमति से मदरसों के बेहतरी के लिए हमने कई प्रस्ताव पास किए हैं.' बता दें कि इससे पहले मदरसा शिक्षा बैठक में परीक्षा वर्ष 2024 पर भी विचार-विमर्श किया गया. नवीन मान्यता, नवीनीकरण व स्थायीकरण किये जाने पर विचार किया गया. गैर मदरसों की मान्यता को लेकर चर्चा होगी. फाजिल-ए-तिब, कामिल-ए-तदरीस, फाजिल-ए-तदरीस के कोर्स संचालन को लेकर चर्चा हुई और सहमति बनी की इन कोर्स को बेहतरी से संचालित किए जायेंगे. साथ ही इस दौरान अन्य विश्वविद्यालय से संबद्ध करने की भी योजना बनी. बैठक में पोर्टल पर पंजीकरण से छूटे मदरसे के पोर्टल पर पंजीकरण, परीक्षा केंद्र व मूल्यांकन केंद्रों के व्यय की वृद्धि पर भी मुहर लगी. इसके अलावा कम्पार्टमेंट परीक्षा सम्पन्न कराये जाने को लेकर भी चर्चा की गई.' बैठक में मदरसा बोर्ड अध्यक्ष डॉ इफ्तिहार अहमद जावेद, रजिस्ट्रार डा प्रियंका अवस्थी, उपाध्यक्ष जे रीमा, कमर अली, तनवीर रिजवी, डा इमरान अहमद, असद हुसैन, आरपी सिंह, समेत अन्य सदस्य और कई मदरसों के प्रधानाचार्य मौजूद रहे.
प्रदेश में बोर्ड से तहतानिया कक्षा 1 से 5, फौकानिया कक्षा 5 से 8 और आलिया व उच्च आलिया स्तर यानी हाई स्कूल या इससे ऊपर के 16,460 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं. इनमें सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त 560 मदरसे हैं. इन मदरसों में मुंशी-मौलवी हाईस्कूल समकक्ष, आलिम इंटर समकक्ष, कामिल स्नातक और फाजिल परास्नातक के समकक्ष पढ़ाई होती है, लेकिन मदरसा बोर्ड की परीक्षाओं में हर साल परीक्षार्थियों की संख्या घटती जा रही है. इस साल प्रदेश भर के मदरसों से सिर्फ एक लाख 72 हजार आवेदन आए थे. इसकी वजह मदरसा बोर्ड के नए नियम को माना जा रहा है. इसके तहत अन्य बोर्ड के विद्यार्थियों के लिए आलिम में आवेदन करने के लिए हाईस्कूल और कामिल में आवेदन करने के लिए इंटरमीडिएट या समकक्ष परीक्षा में उर्दू, अरबी, फारसी से उत्तीर्ण होना अनिवार्य कर दिया है.
ये हैं मान्यता के मानक : मदरसा नियमावली 2016 के मुताबिक, तहतानिया से मुंशी-मौलवी तक की मान्यता के लिए मदरसे में कम से कम डेढ़ सौ विद्यार्थियों का होना अनिवार्य है. इनमें मुंशी-मौलवी में 30 से कम विद्यार्थी नहीं होने चाहिए. इसके अलावा आलिम, कामिल और फाजिल की मान्यता के लिए कम से कम 10 विद्यार्थियों का परीक्षाओं में शामिल होना जरूरी है.
निलंबित हो सकते हैं कुछ मदरसे : प्रदेश में मानक के अनुरूप चल रहे करीब 250 मदरसे निलंबित किए जा सकते हैं. इन मदरसों में अधिकांश मदरसों का संचालन नहीं हो रहा है, वहीं तमाम मदरसों ने मानक से कम विद्यार्थी होने के कारण उनके दस्तावेज अपलोड नहीं किए हैं. कई मदरसों ने तो खुद ही बोर्ड से मान्यता खत्म करने का अनुरोध किया है. मदरसा चेयरमैन ने बताया कि 'पहले मदरसों को करीब 3 साल के लिए निलंबित किया जायेगा, उसके बाद भी अगर ये मदरसे मानक के अनुरूप न संचालित हुए तो इनकी मान्यता खत्म कर दी जाएगी.'