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वरासत की ऑनलाइन व्यवस्था फेल, आवेदक लगा रहे तहसील के चक्कर - ऑनलाइन आवेदन

लखनऊ में वरासत के लिए आवेदनों के मॉनिटरिंग की पुख्ता व्यवस्था न होने से राजस्वकर्मी मनमानी कर रहे हैं. लिहाजा ग्रामीणों को ऑनलाइन आवेदन कराने के बावजूद भी वरासत कराने के लिए तहसील में भटकना पड़ रहा है.

वरासत की ऑनलाइन व्यवस्था फेल.
वरासत की ऑनलाइन व्यवस्था फेल.
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Published : Nov 30, 2020, 7:26 AM IST

लखनऊ : प्रदेश की सभी तहसीलों में वरासत दर्ज कराने के लिए लोगों को बेवजह भागदौड़ न करनी पड़े, इसके लिए राजस्व परिषद ने ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था लागू कर रखी है. राजस्व परिषद की मंशा थी कि कहीं से भी वरासत के लिए ऑनलाइन आवेदन कराने के बाद लोगों को घर बैठे ही खतौनी मिल जाएगी. लेकिन राजस्वकर्मियों की लापरवाही आवेदकों को भारी पड़ रही है. लिहाजा परेशान आवेदक तहसील समाधान दिवस से लेकर आईजीआरएस तक वरासत दर्ज कराने के लिए गुहार लगा रहे हैं.

खास बात यह है कि शिकायत अधिकारियों तक पहुंचने के बाद राजस्वकर्मी ऑनलाइन आवेदन में कमी बताकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं. आवेदकों को राजस्वकर्मियों की तलाश में तहसील के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. मोहनलालगंज के दहियर निवासी हंसकुमार का दिसम्बर 2019 में देहान्त हो गया था. इसकी सूचना देने के बाद भी राजस्वकर्मियों ने वरासत दर्ज नहीं की. अब दीपावली से पहले ऑनलाइन आवेदन कराने के बावजूद राजस्वकर्मी टरका रहे हैं. वहीं पकरा आदमपुर निवासी श्रीकेशन का 2008 में निधन हो गया लेकिन वरासत नहीं की गई. अब ऑनलाइन आवेदन के बाद भी वरासत नहीं हो सकी तो वारिसों ने तहसील समाधान दिवस में गुहार लगाई है.

ऐसा ही एक मामला दूल्हापुर हुसेनाबाद का है, यहां लालमन के देहान्त के बाद वरासत नहीं की गई. ऑनलाइन आवेदन भी ठण्डे बस्ते में जाता नजर आया तो वारिसों ने अधिकारियों से शिकायत की है. वहीं दहियर निवासी बालकुमार का फरवरी 2020 में कैंसर की बीमारी से निधन हो गया. अब ऑनलाइन आवेदन के बावजूद भी बेटे अमन को तहसील की परिक्रमा करनी पड़ रही है.

लखनऊ : प्रदेश की सभी तहसीलों में वरासत दर्ज कराने के लिए लोगों को बेवजह भागदौड़ न करनी पड़े, इसके लिए राजस्व परिषद ने ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था लागू कर रखी है. राजस्व परिषद की मंशा थी कि कहीं से भी वरासत के लिए ऑनलाइन आवेदन कराने के बाद लोगों को घर बैठे ही खतौनी मिल जाएगी. लेकिन राजस्वकर्मियों की लापरवाही आवेदकों को भारी पड़ रही है. लिहाजा परेशान आवेदक तहसील समाधान दिवस से लेकर आईजीआरएस तक वरासत दर्ज कराने के लिए गुहार लगा रहे हैं.

खास बात यह है कि शिकायत अधिकारियों तक पहुंचने के बाद राजस्वकर्मी ऑनलाइन आवेदन में कमी बताकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं. आवेदकों को राजस्वकर्मियों की तलाश में तहसील के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. मोहनलालगंज के दहियर निवासी हंसकुमार का दिसम्बर 2019 में देहान्त हो गया था. इसकी सूचना देने के बाद भी राजस्वकर्मियों ने वरासत दर्ज नहीं की. अब दीपावली से पहले ऑनलाइन आवेदन कराने के बावजूद राजस्वकर्मी टरका रहे हैं. वहीं पकरा आदमपुर निवासी श्रीकेशन का 2008 में निधन हो गया लेकिन वरासत नहीं की गई. अब ऑनलाइन आवेदन के बाद भी वरासत नहीं हो सकी तो वारिसों ने तहसील समाधान दिवस में गुहार लगाई है.

ऐसा ही एक मामला दूल्हापुर हुसेनाबाद का है, यहां लालमन के देहान्त के बाद वरासत नहीं की गई. ऑनलाइन आवेदन भी ठण्डे बस्ते में जाता नजर आया तो वारिसों ने अधिकारियों से शिकायत की है. वहीं दहियर निवासी बालकुमार का फरवरी 2020 में कैंसर की बीमारी से निधन हो गया. अब ऑनलाइन आवेदन के बावजूद भी बेटे अमन को तहसील की परिक्रमा करनी पड़ रही है.

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