लखनऊ : आज के समय में दुनिया में होने वाली हर एक छोटी सी छोटी घटना का असर ग्लोबल स्तर पर पड़ता है. युद्ध चाहे दो देश लड़ रहे हो पर उसका असर दुनिया के हर देश को झेलना पड़ता है. मौजूदा समय में रूस-यूक्रेन युद्ध का असर आज पूरा विश्व आर्थिक मंदी व दूसरे प्रभाव के तौर पर झेल रहा है. ठीक उसी तरह दुनिया के अमीर देशों के निर्णय का असर भी बाकी देशों को भी उठाना पड़ता है. बहरहाल अब हालात पहले जैसे नहीं है भारत जैसे देश को अब पश्चिमी देश भी गंभीरता से लेते हैं. इसका बड़ा कारण हमारे देश की बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था, दुनिया के प्रति हमारा नजरिया और दुनिया को हम भी सहयोग करते हैं उसका असर हमारे देश की छवि को काफी हद तक सुधारने में देखने को मिल रहा है. हम अपने आप को कैसे आगे ले जाते हैं अपनी चीजों को दुनिया के सामने कैसे रखते हैं. इसका बड़ा ही महत्त्व होता है.
यह बात तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने शनिवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहीं. वे विश्वविद्यालय के पॉलिटिकल साइंस विभाग की ओर से आयोजित प्रोफेसर वीएस राम मेमोरियल लेक्चर सीरीज के तत्वावधान में 'इंडियन प्रेसिडेंसी ऑफ जी-20 एंड द वर्ल्ड ऑर्डर' विषय पर बोल रहे थे. राजपाल ने कहा कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद ताकतवर देशों ने एक समूह बनाया और पूरी दुनिया को उसमें शामिल किया. यही कारण है कि आज पश्चिमी देश अपने हिसाब से थ्योरी बनाकर बाकी के दुनिया दूसरे देशों पर लागू करते हैं. अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए विश्व के दूसरे देशों से कोयला, पेट्रोल व दूसरी चीजें अपने देशों में आयात करते हैं, पर जब किसी दूसरे देश की मदद करने की बारी आती है, तो वह उसके लिए अलग नियम बताते हैं.
राज्यपाल ने कहा कि हमारे देश में भी पश्चिमी देशों के प्रभाव को ही पढ़ाया जाता है. हमारे विश्वविद्यालय हमारे दार्शनिकों व विद्वानों जैसे स्वामी विवेकानंद, रविंद्र नाथ टैगोर आदि को क्यों नहीं पढ़ाते है. हमें पश्चिमी देशों पर अपनी निर्भरता को कम करनी होगी और अपनी मजबूतियों को समझ कर आगे बढ़ना होगा. इसके लिए हमें अपने देश के अंदर भी काफी सुधार करने होंगे. एक समय था जब 1980 में पंजाब कृषि प्रधान देश हुआ करता था. पंजाब में होने वाला अनाज देश के कुल अनाज के 2.5 गुणा अधिक होता था, पर आज आधुनिक फर्टिलाइजर व केमिकल के यूज करने के कारण पंजाब में अनाज का उत्पादन देश के कुल अनाज के उत्पादन से भी नीचे चला गया है. हमें इन जैसी चीजों को ठीक करना होगा. खासकर ग्लोबल वार्मिंग व एनर्जी के मामले में हमें खुद को आत्मनिर्भर बनाना होगा. तभी दुनिया के दूसरे देश हमारे महत्व को समझेंगे. हमारा पड़ोसी मुल्क आतंकवाद की मदद से हमें परेशान करता है. हमें इसका मुंह तोड़ जवाब देना होगा. हमें अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ किस तरह के संबंध रखने हैं इस पर भी अब नए तरह से सोच समझकर डिप्लोमेटिक रणनीति तैयार करनी होगी.
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